वर्ल्ड स्ट्रीट। जोधपुर
आॅल इंडिया मारवाड़ी हॉर्स सोसायटी के तत्वावधान में दो दिवसीय मारवाड़ी हाॅर्स जजेज क्लिनिक कार्यशाला का शनिवार को सुबह बालसमंद लेक पैलेस में शुभारंभ हुआ। कार्यशाला में दिनभर अश्व विशेषज्ञों ने मारवाड़ी हाॅर्स के गुणों व कद-काठी सहित विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श किया। उन्होंने निर्णय करने के तरीकों के बारे में भी जानकारी दी। अॉल इंडिया मारवाड़ी हाॅर्स सोसायटी के सचिव कर्नल उम्मेदसिंह राठौड़ ने बताया कि प्रथम दिन दो तकनीकी सत्र हुए। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि काजरी के निदेशक डाॅ. आरके भट्ट ने कहा कि मारवाड़ी अश्व की अपनी अलग पहचान है। इसके समान दुनिया में कोई मिसाल नहीं है। इस नस्ल को बचाए रखने के पूरे प्रयास होने चाहिए। उन्होंने मारवाड़ी हाॅर्स जजेज क्लिनिक के आयोजन को सार्थक बताया।
कार्यशाला का समापन आज
रविवार को सुबह नौ बजे रावल देवेंद्रसिंह नवलगढ़ व डॉ. महेंद्रसिंह द्वारा जजिंग मारवाड़ी हार्स प्रेक्टिकल मार्किंग व टेस्ट कन्वीनर पर व्याख्यान होगा। तीसरा तकनीकी सत्र सुबह 11.30 बजे होगा। इसकी अध्यक्षता ब्रिगेडियर नरपतसिंह राजपुरोहित करेंगे। चतुर्थ सत्र की अध्यक्षता सवाईसिंह रणसी करेंगे। शाम चार बजे समापन समारोह होगा। इस सत्र के मुख्य अतिथि जोधपुर के पूर्व नरेश गजसिंह होंगे। अध्यक्षता सरदार पटेल पुलिस विवि के कुलपति एमएल कुमावत करेंगे।
मारवाड़ी अश्व के डीएनए पर भी हुई चर्चा
द्वितीय सत्र में आरडी सिंह झाला ने मारवाड़ी अश्व व काठियावाड़ी अश्वों के 22 शारीरिक गुणों की तुलनात्मक जानकारी दी। डाॅ. एके गुप्ता ने घोड़े के डीएनए के बारे में बताया। कार्यशाला में शाम को हाॅर्स शो के दौरान 7 नर व 5 मादा घोड़ों का 22 निर्णायकों के सामने प्रदर्शन किया गया। पूर्व महाराणा महिपेंद्रसिंह दाता ने कहा कि मारवाड़ी अश्व के संरक्षण के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने चाहिए। अश्व विशेषज्ञ व पूर्व राज्यसभा सदस्य डाॅ. नारायणसिंह माणकलाव ने मारवाड़ी हाॅर्स जजेज क्लिनिक के आयोजन की महत्ता पर प्रकाश डाला। प्रथम तकनीकी सत्र में कर्नल उम्मेदसिंह राठौड़ ने ‘जजिंग आॅफ हाॅर्सेज‘ विषय पर अपने व्याख्यान में बताया कि मारवाड़ हाॅर्स जजेज में क्या गुण होने चाहिए। निर्णायक अपनी पैनी निगाहों से सही निर्णय करें और बिना किसी प्रभाव के घोड़े के बारे में अपना निर्णय दें। प्रथम सत्र के द्वितीय व्याख्यान में सिद्धार्थसिंह रोहिट ने मारवाड़ अश्व के गुणों के बारे में विस्तार से बताया।
आॅल इंडिया मारवाड़ी हॉर्स सोसायटी के तत्वावधान में दो दिवसीय मारवाड़ी हाॅर्स जजेज क्लिनिक कार्यशाला का शनिवार को सुबह बालसमंद लेक पैलेस में शुभारंभ हुआ। कार्यशाला में दिनभर अश्व विशेषज्ञों ने मारवाड़ी हाॅर्स के गुणों व कद-काठी सहित विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श किया। उन्होंने निर्णय करने के तरीकों के बारे में भी जानकारी दी। अॉल इंडिया मारवाड़ी हाॅर्स सोसायटी के सचिव कर्नल उम्मेदसिंह राठौड़ ने बताया कि प्रथम दिन दो तकनीकी सत्र हुए। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि काजरी के निदेशक डाॅ. आरके भट्ट ने कहा कि मारवाड़ी अश्व की अपनी अलग पहचान है। इसके समान दुनिया में कोई मिसाल नहीं है। इस नस्ल को बचाए रखने के पूरे प्रयास होने चाहिए। उन्होंने मारवाड़ी हाॅर्स जजेज क्लिनिक के आयोजन को सार्थक बताया।
कार्यशाला का समापन आज
रविवार को सुबह नौ बजे रावल देवेंद्रसिंह नवलगढ़ व डॉ. महेंद्रसिंह द्वारा जजिंग मारवाड़ी हार्स प्रेक्टिकल मार्किंग व टेस्ट कन्वीनर पर व्याख्यान होगा। तीसरा तकनीकी सत्र सुबह 11.30 बजे होगा। इसकी अध्यक्षता ब्रिगेडियर नरपतसिंह राजपुरोहित करेंगे। चतुर्थ सत्र की अध्यक्षता सवाईसिंह रणसी करेंगे। शाम चार बजे समापन समारोह होगा। इस सत्र के मुख्य अतिथि जोधपुर के पूर्व नरेश गजसिंह होंगे। अध्यक्षता सरदार पटेल पुलिस विवि के कुलपति एमएल कुमावत करेंगे।
मारवाड़ी अश्व के डीएनए पर भी हुई चर्चा
द्वितीय सत्र में आरडी सिंह झाला ने मारवाड़ी अश्व व काठियावाड़ी अश्वों के 22 शारीरिक गुणों की तुलनात्मक जानकारी दी। डाॅ. एके गुप्ता ने घोड़े के डीएनए के बारे में बताया। कार्यशाला में शाम को हाॅर्स शो के दौरान 7 नर व 5 मादा घोड़ों का 22 निर्णायकों के सामने प्रदर्शन किया गया। पूर्व महाराणा महिपेंद्रसिंह दाता ने कहा कि मारवाड़ी अश्व के संरक्षण के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने चाहिए। अश्व विशेषज्ञ व पूर्व राज्यसभा सदस्य डाॅ. नारायणसिंह माणकलाव ने मारवाड़ी हाॅर्स जजेज क्लिनिक के आयोजन की महत्ता पर प्रकाश डाला। प्रथम तकनीकी सत्र में कर्नल उम्मेदसिंह राठौड़ ने ‘जजिंग आॅफ हाॅर्सेज‘ विषय पर अपने व्याख्यान में बताया कि मारवाड़ हाॅर्स जजेज में क्या गुण होने चाहिए। निर्णायक अपनी पैनी निगाहों से सही निर्णय करें और बिना किसी प्रभाव के घोड़े के बारे में अपना निर्णय दें। प्रथम सत्र के द्वितीय व्याख्यान में सिद्धार्थसिंह रोहिट ने मारवाड़ अश्व के गुणों के बारे में विस्तार से बताया।
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