गीत: डीके पुरोहित
आज सितारे मुट्ठी में
चंदा से चल रही वार्ता
विश्वास भरा कोने-कोने में
फिर कैसे मन हारता?
पहाड़ों पर जा चढ़ा शौर्य
नदियों को थामा बांहों में
खंड-खंड बिखरे पत्थर
टिक ना सका अवरोध राहों में
यमराज छिपा विज्ञान ओट में
फिर भला है कौन मारता
आज सितारे मुट्ठी में
चंदा से चल रही वार्ता
जो भी पाया इसी जगत से
उन्नति बसी जा अंबर में
परमाणु के सिरहाने मानवता
भय व्याप्त हो गया घर-घर में
कब कौन धैर्य खो बैठे
विनाश का भय हर दम सालता
आज सितारे मुट्ठी में
चंदा से चल रही वार्ता
धर्म-अधर्म का भेद जानना
आज जरूरी हम सबको भैया
श्मशानों में ताकत ना रोये
मृत्यु करे ना ता-धिन-तैया
वही बचाएगा हम सबको
जो इस जगत को है पालता
आज सितारे मुट्ठी में
चंदा से चल रही वार्ता।
आज सितारे मुट्ठी में
चंदा से चल रही वार्ता
विश्वास भरा कोने-कोने में
फिर कैसे मन हारता?
पहाड़ों पर जा चढ़ा शौर्य
नदियों को थामा बांहों में
खंड-खंड बिखरे पत्थर
टिक ना सका अवरोध राहों में
यमराज छिपा विज्ञान ओट में
फिर भला है कौन मारता
आज सितारे मुट्ठी में
चंदा से चल रही वार्ता
जो भी पाया इसी जगत से
उन्नति बसी जा अंबर में
परमाणु के सिरहाने मानवता
भय व्याप्त हो गया घर-घर में
कब कौन धैर्य खो बैठे
विनाश का भय हर दम सालता
आज सितारे मुट्ठी में
चंदा से चल रही वार्ता
धर्म-अधर्म का भेद जानना
आज जरूरी हम सबको भैया
श्मशानों में ताकत ना रोये
मृत्यु करे ना ता-धिन-तैया
वही बचाएगा हम सबको
जो इस जगत को है पालता
आज सितारे मुट्ठी में
चंदा से चल रही वार्ता।
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