Sunday, 28 June 2015

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वसुंधरा राजे को सत्ता देने की भूल सुधारें, आओ फिर नए नेतृत्व की ओर बढ़ें .....

-अब समय आ गया है कि हम अपना नया नेता चुने, अभी चुनाव होने में देरी है, मगर लोक आंदोलन शुरू कर महारानी को सत्ता से हटाने की पहल कर गरीबों के लिए आम आदमी के लिए नेतृत्व की तलाश करें, मोदी की माया से निकलें और उजले सूरज को रास्ता दें....

-डीके पुरोहित-

कुछ दिन पहले समाचार पढ़ने को मिले कि राजस्थान में जल संकट को लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कमरे में रोई। अब समाचार है कि भगोड़े ललित मोदी को वह मदद कर रही है। राजस्थान में वसुंधरा सरकार ने अब तक नौटंकी के अलावा कुछ नहीं किया। खुद सरकार के पास अपने किए काम गिनाने को कुछ नहीं है। लोकतंत्र की यह विडंबना है कि यहां जनता भेड़ चाल चलती है। या फिर लोकतंत्र लहर के भरोसे चलता है। विदेशों में डेरा डाले बैठी महारानी मोदी लहर में फिर से सत्ता में आ गई। कांग्रेस शासन काल में वह कहीं कभी जनता के साथ नहीं दिखी। अब वही राजे फिर से मुख्यमंत्री है। है ही नहीं बेशर्मी से शासन चला रही है।

पिछले कुछ दिनों से ललित मोदी के साथ राजे सुर्खियों में है। कांग्रेस राजे से इस्तीफा मांग रही है। महारानी इस्तीफा नहीं दे रही है। मोदी भी चुप है। मोदी जैसे मौकापरस्त लोग नौटंकी करने में अपनी सफलता समझते हैं। अब तक के कार्यकाल में मोदी ने देश भर को झाड़ू थमा दिया। सबसे पहले भ्रष्टाचार, अराजकता, चरित्रहीनता की गंदगी साफ करने की जरूरत है। चुनाव के दौरान मोदी कहा करते थे कि उनका शासन आते ही अच्छे दिन आएंगे। बलात्कार जैसे शब्द से उन्हें चिढ़ थी और कहते थे कि वे सत्ता में आकर नारी के सम्मान की रक्षा करेंगे। लेकिन खुद उनके शासन में कितने ही बलात्कार हो चुके हैं। मोदी को वरदान है कि वे अच्छे वक्ता है। वे मौके को भुनाना जानते हैं। शब्दों के बाजीगर है। वे अपने अब तक के कार्यकाल में विदेशों में ही दौरे करते रहे। लोग कहते हैं मोदी ने देश का सम्मान विदेश में बढ़ाया है। सम्मान बढ़ाने से देश की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता।

मोदी चाहते हैं देश विकास करें। तो फिर अब तक उन्होंने क्या किया? वादे। वादे और सिर्फ वादे। युवा वर्ग में उन्होंने एक नई उम्मीद जगाई थी। वे युवाओं के चहेते बन गए। थोड़े से समय में मोदी देश में बड़े नेता के रूप में उभरे। लोकतंत्र में जिस तरह मेले कई होते हैं, उसी तरह यहां लोगों को जल्दी ही सिर पर चढ़ा दिया जाता है। सब जानते हैं गुजरात में मोदी किस वजह से सत्ता में बने रहे। विकास के नाम पर हो सकता है, उनके पास दिखाने को कई काम होंगे, तो फिर देश की राजधानी में आ कर देश को कैसे अनदेखा कर रहे हैं। बहरहाल बात वसुंधरा राजे की हो रही है। वसुंधरा ने अब तक कार्यकाल में कुछ नहीं किया। वे भी मोदी के नाम काे भुनाती रही। खुद उनकी उपलब्धियां कुछ नहीं है।

कांग्रेस कह रही है कि वसुंधरा इस्तीफा दे। मगर वसुंधरा नहीं दे रही है। आलाकमान खामोश है। भाजपा की क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीति मोदी से इस बार शुरू हुई और मोदी पर आकर खत्म हो गई। लोग मोदी की ओर देख रहे हैं। मगर मोदी कलाकार तगड़े हैं, वसुंधरा के खिलाफ कुछ नहीं कर रहे। हो सकता है वे वसुंधरा को कुसुरवार नहीं मानते हो। शायद सच भी हो। या नहीं भी हो। लेकिन उन्हें इस मामले में बोलना चाहिए।

वसुंधरा शुरू से ही तानाशाह शासक रही है। गुर्जर आंदोलन के दौरान पिछले कार्यकाल में उन्होंने गोलियां बरसाई। पानी मांग रहे किसानों को खून से रंग दिया। कोई आवाज नहीं उठा सकता था। अब दूसरे कार्यकाल में वह फिर तानाशाह बनी हुई है। राज्य में सरकारी सेवाओं का निजीकरण कर वह पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। सरकार से अगर सरकारी महकमे नहीं संभलते हैं तो उसका हल निजीकरण करना तो नहीं है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निजीकरण करने का फैसला भी कुछ ऐसा ही है। निजी होते ही लूट शुरू हो जाएगी। आम और गरीब आदमी पिसेगा। पैसे वालों को इलाज मिलेगा और आम आदमी लाचार हो जाएगा। कांग्रेस सरकार में अशोक गहलोत ने गरीबों में नई उम्मीद जगाई थी, मगर खुद जनता ने मोदी की माया का शिकार होकर महारानी को ताज सौंप दिया। अब भुगते। भुगत ही रहे हैं। अभी तक पीएचसी का निजीकरण हो रहा है। आगे-आगे देखिए और क्या होता है। अब भी जनता को चाहिए कि मोदी और महारानी के खिलाफ अभियान शुरू करे। जिस तरह उदारभाव से इन्हें हमने सत्ता साैंपी थी, उतनी ही सख्ती से इनका विरोध होना चाहिए। 

अब हमें मोदी और महारानी नहीं नायक चाहिए। सही मायने में नायक, जो आम जनता से सीधा जुड़े। महारानी जिस तरह से निर्णय कर रही है, उससे राज्य का सत्यानाश होना तय है। वह चाहे पानी के मुद्दे पर आंसू बहाए या महिलाओं को गले से लगाए। यह नौटंकी अब खत्म होनी चाहिए। राज्य की जनता को चाहिए कि वसुंधरा के खिलाफ आंदोलन शुरू करे। राज्य को क्या चाहिए-रोटी, मकान, कपड़ा, स्वास्थ्य और शिक्षा के साथ प्राथमिक जरूरत की चीजें। मगर इन सबसे राज्य की जनता वंचित है। बिजली का भी जल्द निजीकरण करने जा रही है महारानी। जिस पवित्र उद्देश्य से केजरीवाल ने दिल्ली में शासन करना शुरू किया है, उसी की अब देश के साथ राज्य को भी जरूरत है। हमें फिर से अपने नेता की तलाश करनी होगी। मौकापरस्त लोगों से बचना होगा। इन मौकापरस्त नेताओं ने हमें हर बार भरमाया है। कोई तो सुकून का निर्णय हो। राज्य की जनता राजे को कोस रही है। अब समय आ गया है कि एक बार फिर से राज्य जगे। अपनी भूल पर प्रायश्चित करे और महारानी के खिलाफ तेज आंदोलन शुरू करे। हमें नेता नहीं काम करने वाले नेतृत्व की जरूरत है। राज्य में शराब माफिया शासन चला रहे हैं। अतिक्रमण हटाने के नाम पर गरीबों के आशियाने ढहाए जा रहे हैं। हर तरफ अराजकता है। अब चलो एक बार फिर सुकून के लिए शांति के लिए राजे को हटाएं। एक आंदोलन चलाएं। शुरुआत जल्दी होनी चाहिए।

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