गीत: डीके पुरोहित
इक आंसू गिरा आंख से
चेहरे को पढ़ लिया हमने
हालातों की हाला पीकर
कोई झूठ-सच गढ़ लिया हमने
छटपटाती रही मछलियां
पानी से बाहर आकर
संभलने की कोशिश न की
बार-बार ठोकर खाकर
जमाने खुदगर्ज में यारों
चेहरे पर चेहरा मढ़ लिया हमने
इक आंसू गिरा आंख से
चेहरे को पढ़ लिया हमने
आज इनसान बहुरूपिया है
कब बदल जाए कह नहीं सकते
किस्से-कहानियां पल में बनाते
निर्लज भगवान से नहीं डरते
मुग्ध है अपने आप पर ऐसे
जैसे कोई एवरेस्ट चढ़ लिया हमने
इक आंसू गिरा आंख से
चेहरे को पढ़ लिया हमने।
इक आंसू गिरा आंख से
चेहरे को पढ़ लिया हमने
हालातों की हाला पीकर
कोई झूठ-सच गढ़ लिया हमने
छटपटाती रही मछलियां
पानी से बाहर आकर
संभलने की कोशिश न की
बार-बार ठोकर खाकर
जमाने खुदगर्ज में यारों
चेहरे पर चेहरा मढ़ लिया हमने
इक आंसू गिरा आंख से
चेहरे को पढ़ लिया हमने
आज इनसान बहुरूपिया है
कब बदल जाए कह नहीं सकते
किस्से-कहानियां पल में बनाते
निर्लज भगवान से नहीं डरते
मुग्ध है अपने आप पर ऐसे
जैसे कोई एवरेस्ट चढ़ लिया हमने
इक आंसू गिरा आंख से
चेहरे को पढ़ लिया हमने।
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