-चौहाबो सेक्टर 18 बालाजी मंदिर में भागवत कथा की पूर्ण आरती, पंडित कृष्ण मुरारी ने कहा-भागवत अमृत समान
कम्यूनिटी रिपोर्टर. जोधपुर
पंडित कृष्ण मुरारी ने कहा कि भागवत कथा अमृत समान है। इसका रसपान करने के बाद किसी अन्य पेय की जरूरत नहीं रहती। कथा की शिक्षाओं को जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है। कृष्ण लीलाओं का बखान करते हुए उन्होंने कहा कि कान्हा को पल भर के लिए भी ना बिसराएं, कथा में ध्यान लगाएं और अपने जीवन को आनंदमय बनाएं। वे गुरुवार को चौहाबो सेक्टर 18 स्थित बालाजी मंदिर में भागवत कथा की पूर्ण आरती के मौके पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कृष्ण योगेश्वर हैं। वे अपनी लीलाओं से दुनिया को अलौकिक संदेश देते हैं। गीता का संदेश देकर उन्होंने अर्जुन को युद्धभूमि में लड़ने के लिए प्रेरित किया। गीता हमें निष्काम कर्म की शिक्षा देती है। इसके हर श्लोक में ज्ञान और सत्य का संदेश है।
घर-घर में हो भागवत पोथी
कृष्ण मुरारी ने कहा कि भागवत पोथी मात्र नहीं है, यह साक्षात ईश्वर का स्वरूप है। इसे हर घर में होना चाहिए। राजा परीक्षित ने सात दिन तक लगातार भागवत को तन्मय होकर सुना इसलिए उनका मोक्ष हो गया। यह कथा भवसागर से पार लगाने वाली है। राजा परीक्षित को श्राप था कि तक्षक सांप उसे डस लेगा। ऐसे में अपने जीवन को धन्य करने और मुक्ति के लिए उन्होंने भागवत कथा सुनी।
मनोहारी झांकियों ने मन मोहाः
कथा की पूर्ण आरती के दौरान विभिन्न झांकियां सजाई गई। श्रद्धालुओं ने झांकियों के दर्शन किए। बाद में आरती की गई और भागवत पोथी की पूजा-अर्चना की गई। इस मौके पर पंडित कृष्ण मुरारी ने कहा कि भागवत कथा कभी संपन्न नहीं होती। इसकी पूर्ण आरती होती है। कथा अनंत है। हरि अनंत, हरि कथा अनंता....इसी तरह इस कथा का अंत नहीं है। जितनी बार सुनोगे बार-बार सुनने की इच्छा होगी।
कम्यूनिटी रिपोर्टर. जोधपुर
पंडित कृष्ण मुरारी ने कहा कि भागवत कथा अमृत समान है। इसका रसपान करने के बाद किसी अन्य पेय की जरूरत नहीं रहती। कथा की शिक्षाओं को जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है। कृष्ण लीलाओं का बखान करते हुए उन्होंने कहा कि कान्हा को पल भर के लिए भी ना बिसराएं, कथा में ध्यान लगाएं और अपने जीवन को आनंदमय बनाएं। वे गुरुवार को चौहाबो सेक्टर 18 स्थित बालाजी मंदिर में भागवत कथा की पूर्ण आरती के मौके पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कृष्ण योगेश्वर हैं। वे अपनी लीलाओं से दुनिया को अलौकिक संदेश देते हैं। गीता का संदेश देकर उन्होंने अर्जुन को युद्धभूमि में लड़ने के लिए प्रेरित किया। गीता हमें निष्काम कर्म की शिक्षा देती है। इसके हर श्लोक में ज्ञान और सत्य का संदेश है।
घर-घर में हो भागवत पोथी
कृष्ण मुरारी ने कहा कि भागवत पोथी मात्र नहीं है, यह साक्षात ईश्वर का स्वरूप है। इसे हर घर में होना चाहिए। राजा परीक्षित ने सात दिन तक लगातार भागवत को तन्मय होकर सुना इसलिए उनका मोक्ष हो गया। यह कथा भवसागर से पार लगाने वाली है। राजा परीक्षित को श्राप था कि तक्षक सांप उसे डस लेगा। ऐसे में अपने जीवन को धन्य करने और मुक्ति के लिए उन्होंने भागवत कथा सुनी।
मनोहारी झांकियों ने मन मोहाः
कथा की पूर्ण आरती के दौरान विभिन्न झांकियां सजाई गई। श्रद्धालुओं ने झांकियों के दर्शन किए। बाद में आरती की गई और भागवत पोथी की पूजा-अर्चना की गई। इस मौके पर पंडित कृष्ण मुरारी ने कहा कि भागवत कथा कभी संपन्न नहीं होती। इसकी पूर्ण आरती होती है। कथा अनंत है। हरि अनंत, हरि कथा अनंता....इसी तरह इस कथा का अंत नहीं है। जितनी बार सुनोगे बार-बार सुनने की इच्छा होगी।
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