-इसी महीने में कई मामले सामने आए, एनजीओ की मदद से पुलिस ने छुड़ाए बच्चे
-डी.के. पुरोहित-
केस वन:
मंडोर थाना क्षेत्र में लालसागर के पास नरसिंह विहार में 16 जून को मानव तस्करी विंग व पुलिस ने एक मकान में दबिश देकर 10 साल की बच्ची को छुड़ाया। बच्ची को राजकुमार व्यास के मकान पर दबिश देकर छुड़ाया गया। इसे राजकुमार कहीं से खरीद लाया था।
केस टू:
जयभीम विकास संस्थान की चाइल्ड हेल्पलाइन व जोधपुर पुलिस की मानव तस्करी विरोधी विंग ने 27 जून को दो जगह कार्रवाई कर कशीदाकारी और चूड़ियों की फैक्ट्री से नौ बाल श्रमिकों को मुक्त करवाया। इस मामले में ठेकेदार सहित चार जनों को गिरफ्तार किया। इन बच्चों को बिहार के बेगुसराय से खरीद कर लाया गया था।
जोधपुर। दूसरे राज्यों से बच्चे खरीद कर जोधपुर में संभ्रांत घरों के लोग मजदूरी करवा रहे हैं। पिछले एक महीने में कई मामलों में पुलिस ने एनजीओ के साथ मिलकर ऐसे बच्चों को छुड़ाया जिनकी आयु आठ से 15 साल है। अभी भी पुलिस को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। कई बच्चे ढाबों, रेस्टोरेंट, होटलों और दुकानों पर बाल मजदूरी कर रहे हैं। छोटी उम्र के इन बच्चों के साथ अनैतिक कार्य भी किया जाता है। ये बच्चे कई ढाबों और रेस्टारेंट में सड़क पर ही सोते हैं और इनके साथ आए दिन मारपीट होती है।
बिहार, उत्तरप्रदेश के साथ ही नेपाल से भी बच्चों की तस्करी हो रही है। जोधपुर शहर के कई व्यापारी भी इन्हें खरीदकर ला रहे हैं। यह धंधा वर्षों से चल रहा है। शहर की तमाम होटलों में बाल मजदूर काम कर रहे हैं। इन्हें आस-पास के राज्यों से खरीद कर लाया जा रहा है। यही नहीं पश्चिमी राजस्थान में आए साल पड़ने वाले अकाल और बेरोजगारी की वजह से मां-बाप बच्चों को बेच देते हैं या फिर धंधे में लगाने की गरज से व्यापारियों को सौंप देते हैं। इन दिनों पकड़े गए प्रकरणों में बच्चों से जबरन मजदूरी करवाई जा रही थी।
जोधपुर में शास्त्री नगर, सरदारपुरा, जालोरी गेट, चौपासनी हाउसिंग बोर्ड, कुड़ी भगतासनी, सोजती गेट, नई सड़क और घंटाघर सहित कई इलाकों में दुकानों में बाल मजदूर कार्य कर रहे हैं। पुलिस को शिकायत मिलती है तभी कार्रवाई की जाती है। जब वर्षों से यह गोरखधंधा चल रहा है। शहर में कुछ एनजीओ सक्रिय है जो इस दिशा में कार्रवाई कर रहे हैं। मगर यह कार्रवाई छोटे स्तर पर ही है। शहर में बाल मजदूरों की बड़ी तादाद है।
रात में अनैतिक कार्य और मारपीट की जाती है
एनजीआे की रिपोर्ट है कि इन बच्चों के साथ अनैतिक कार्य किए जाते हैं। इनसे दिन भर मजदूरी करवाई जाती है और काम नहीं करने पर उनके साथ मारपीट की जाती है। एक बाल श्रमिक भोले ने बताया कि उसके घर में माता-पिता की मौत हो चुकी है। चाचा ने उसे ढाबे पर लगा रखा है। वह वर्षों से अपने घर राजमथाई नहीं गया। उसने बताया कि ढाबे मालिक का बेटा उसके साथ खोटा काम करता है। ऐसे कई प्रकरण है। पुलिस को इसके खिलाफ अभियान चलाने की जरूरत है।