Monday, 29 June 2015

दूसरे राज्यों से बच्चे खरीद कर जोधपुर में करवा रहे हैं बंधुआ मजदूरी

-इसी  महीने में कई मामले सामने आए, एनजीओ की मदद से पुलिस ने छुड़ाए बच्चे


-डी.के. पुरोहित-

केस वन: 
मंडोर थाना क्षेत्र में लालसागर के पास नरसिंह विहार में 16 जून को मानव तस्करी विंग व पुलिस ने एक मकान में दबिश देकर 10 साल की बच्ची को छुड़ाया। बच्ची को राजकुमार व्यास के मकान पर दबिश देकर छुड़ाया गया। इसे राजकुमार कहीं से खरीद लाया था।

केस टू: 
जयभीम विकास संस्थान की चाइल्ड हेल्पलाइन व जोधपुर पुलिस की मानव तस्करी विरोधी विंग ने 27 जून को दो जगह कार्रवाई कर कशीदाकारी और चूड़ियों की फैक्ट्री से नौ बाल श्रमिकों को मुक्त करवाया। इस मामले में ठेकेदार सहित चार जनों को गिरफ्तार किया। इन बच्चों को बिहार के बेगुसराय से खरीद कर लाया गया था।

जोधपुर। दूसरे राज्यों से बच्चे खरीद कर जोधपुर में संभ्रांत घरों के लोग मजदूरी करवा रहे हैं। पिछले एक महीने में कई मामलों में पुलिस ने एनजीओ के साथ मिलकर ऐसे बच्चों को छुड़ाया जिनकी आयु आठ से 15 साल है। अभी भी पुलिस को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। कई बच्चे ढाबों, रेस्टोरेंट, होटलों और दुकानों पर बाल मजदूरी कर रहे हैं। छोटी उम्र के इन बच्चों के साथ अनैतिक कार्य भी किया जाता है। ये बच्चे कई ढाबों और रेस्टारेंट में सड़क पर ही सोते हैं और इनके साथ आए दिन मारपीट होती है।

बिहार, उत्तरप्रदेश के साथ ही नेपाल से भी बच्चों की तस्करी हो रही है। जोधपुर शहर के कई व्यापारी भी इन्हें खरीदकर ला रहे हैं। यह धंधा वर्षों से चल रहा है। शहर की तमाम होटलों में बाल मजदूर काम कर रहे हैं। इन्हें आस-पास के राज्यों से खरीद कर लाया जा रहा है। यही नहीं पश्चिमी राजस्थान में आए साल पड़ने वाले अकाल और बेरोजगारी की वजह से मां-बाप बच्चों को बेच देते हैं या फिर धंधे में लगाने की गरज से व्यापारियों को सौंप देते हैं। इन दिनों पकड़े गए प्रकरणों में बच्चों से जबरन मजदूरी करवाई जा रही थी।

जोधपुर में शास्त्री नगर, सरदारपुरा, जालोरी गेट, चौपासनी हाउसिंग बोर्ड, कुड़ी भगतासनी, सोजती गेट, नई सड़क और घंटाघर सहित कई इलाकों में दुकानों में बाल मजदूर कार्य कर रहे हैं। पुलिस को शिकायत मिलती है तभी कार्रवाई की जाती है। जब वर्षों से यह गोरखधंधा चल रहा है। शहर में कुछ एनजीओ सक्रिय है जो इस दिशा में कार्रवाई कर रहे हैं। मगर यह कार्रवाई छोटे स्तर पर ही है। शहर में बाल मजदूरों की बड़ी तादाद है।

रात में अनैतिक कार्य और मारपीट की जाती है
एनजीआे की रिपोर्ट है कि इन बच्चों के साथ अनैतिक कार्य किए जाते हैं। इनसे दिन भर मजदूरी करवाई जाती है और काम नहीं करने पर उनके साथ मारपीट की जाती है। एक बाल श्रमिक भोले ने बताया कि उसके घर में माता-पिता की मौत हो चुकी है। चाचा ने उसे ढाबे पर लगा रखा है। वह वर्षों से अपने घर राजमथाई नहीं गया। उसने बताया कि ढाबे मालिक का बेटा उसके साथ खोटा काम करता है। ऐसे कई प्रकरण है। पुलिस को इसके खिलाफ अभियान चलाने की जरूरत है। 

Sunday, 28 June 2015

वसुंधरा राजे को सत्ता देने की भूल सुधारें, आओ फिर नए नेतृत्व की ओर बढ़ें .....

-अब समय आ गया है कि हम अपना नया नेता चुने, अभी चुनाव होने में देरी है, मगर लोक आंदोलन शुरू कर महारानी को सत्ता से हटाने की पहल कर गरीबों के लिए आम आदमी के लिए नेतृत्व की तलाश करें, मोदी की माया से निकलें और उजले सूरज को रास्ता दें....

-डीके पुरोहित-

कुछ दिन पहले समाचार पढ़ने को मिले कि राजस्थान में जल संकट को लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कमरे में रोई। अब समाचार है कि भगोड़े ललित मोदी को वह मदद कर रही है। राजस्थान में वसुंधरा सरकार ने अब तक नौटंकी के अलावा कुछ नहीं किया। खुद सरकार के पास अपने किए काम गिनाने को कुछ नहीं है। लोकतंत्र की यह विडंबना है कि यहां जनता भेड़ चाल चलती है। या फिर लोकतंत्र लहर के भरोसे चलता है। विदेशों में डेरा डाले बैठी महारानी मोदी लहर में फिर से सत्ता में आ गई। कांग्रेस शासन काल में वह कहीं कभी जनता के साथ नहीं दिखी। अब वही राजे फिर से मुख्यमंत्री है। है ही नहीं बेशर्मी से शासन चला रही है।

पिछले कुछ दिनों से ललित मोदी के साथ राजे सुर्खियों में है। कांग्रेस राजे से इस्तीफा मांग रही है। महारानी इस्तीफा नहीं दे रही है। मोदी भी चुप है। मोदी जैसे मौकापरस्त लोग नौटंकी करने में अपनी सफलता समझते हैं। अब तक के कार्यकाल में मोदी ने देश भर को झाड़ू थमा दिया। सबसे पहले भ्रष्टाचार, अराजकता, चरित्रहीनता की गंदगी साफ करने की जरूरत है। चुनाव के दौरान मोदी कहा करते थे कि उनका शासन आते ही अच्छे दिन आएंगे। बलात्कार जैसे शब्द से उन्हें चिढ़ थी और कहते थे कि वे सत्ता में आकर नारी के सम्मान की रक्षा करेंगे। लेकिन खुद उनके शासन में कितने ही बलात्कार हो चुके हैं। मोदी को वरदान है कि वे अच्छे वक्ता है। वे मौके को भुनाना जानते हैं। शब्दों के बाजीगर है। वे अपने अब तक के कार्यकाल में विदेशों में ही दौरे करते रहे। लोग कहते हैं मोदी ने देश का सम्मान विदेश में बढ़ाया है। सम्मान बढ़ाने से देश की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता।

मोदी चाहते हैं देश विकास करें। तो फिर अब तक उन्होंने क्या किया? वादे। वादे और सिर्फ वादे। युवा वर्ग में उन्होंने एक नई उम्मीद जगाई थी। वे युवाओं के चहेते बन गए। थोड़े से समय में मोदी देश में बड़े नेता के रूप में उभरे। लोकतंत्र में जिस तरह मेले कई होते हैं, उसी तरह यहां लोगों को जल्दी ही सिर पर चढ़ा दिया जाता है। सब जानते हैं गुजरात में मोदी किस वजह से सत्ता में बने रहे। विकास के नाम पर हो सकता है, उनके पास दिखाने को कई काम होंगे, तो फिर देश की राजधानी में आ कर देश को कैसे अनदेखा कर रहे हैं। बहरहाल बात वसुंधरा राजे की हो रही है। वसुंधरा ने अब तक कार्यकाल में कुछ नहीं किया। वे भी मोदी के नाम काे भुनाती रही। खुद उनकी उपलब्धियां कुछ नहीं है।

कांग्रेस कह रही है कि वसुंधरा इस्तीफा दे। मगर वसुंधरा नहीं दे रही है। आलाकमान खामोश है। भाजपा की क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीति मोदी से इस बार शुरू हुई और मोदी पर आकर खत्म हो गई। लोग मोदी की ओर देख रहे हैं। मगर मोदी कलाकार तगड़े हैं, वसुंधरा के खिलाफ कुछ नहीं कर रहे। हो सकता है वे वसुंधरा को कुसुरवार नहीं मानते हो। शायद सच भी हो। या नहीं भी हो। लेकिन उन्हें इस मामले में बोलना चाहिए।

वसुंधरा शुरू से ही तानाशाह शासक रही है। गुर्जर आंदोलन के दौरान पिछले कार्यकाल में उन्होंने गोलियां बरसाई। पानी मांग रहे किसानों को खून से रंग दिया। कोई आवाज नहीं उठा सकता था। अब दूसरे कार्यकाल में वह फिर तानाशाह बनी हुई है। राज्य में सरकारी सेवाओं का निजीकरण कर वह पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। सरकार से अगर सरकारी महकमे नहीं संभलते हैं तो उसका हल निजीकरण करना तो नहीं है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निजीकरण करने का फैसला भी कुछ ऐसा ही है। निजी होते ही लूट शुरू हो जाएगी। आम और गरीब आदमी पिसेगा। पैसे वालों को इलाज मिलेगा और आम आदमी लाचार हो जाएगा। कांग्रेस सरकार में अशोक गहलोत ने गरीबों में नई उम्मीद जगाई थी, मगर खुद जनता ने मोदी की माया का शिकार होकर महारानी को ताज सौंप दिया। अब भुगते। भुगत ही रहे हैं। अभी तक पीएचसी का निजीकरण हो रहा है। आगे-आगे देखिए और क्या होता है। अब भी जनता को चाहिए कि मोदी और महारानी के खिलाफ अभियान शुरू करे। जिस तरह उदारभाव से इन्हें हमने सत्ता साैंपी थी, उतनी ही सख्ती से इनका विरोध होना चाहिए। 

अब हमें मोदी और महारानी नहीं नायक चाहिए। सही मायने में नायक, जो आम जनता से सीधा जुड़े। महारानी जिस तरह से निर्णय कर रही है, उससे राज्य का सत्यानाश होना तय है। वह चाहे पानी के मुद्दे पर आंसू बहाए या महिलाओं को गले से लगाए। यह नौटंकी अब खत्म होनी चाहिए। राज्य की जनता को चाहिए कि वसुंधरा के खिलाफ आंदोलन शुरू करे। राज्य को क्या चाहिए-रोटी, मकान, कपड़ा, स्वास्थ्य और शिक्षा के साथ प्राथमिक जरूरत की चीजें। मगर इन सबसे राज्य की जनता वंचित है। बिजली का भी जल्द निजीकरण करने जा रही है महारानी। जिस पवित्र उद्देश्य से केजरीवाल ने दिल्ली में शासन करना शुरू किया है, उसी की अब देश के साथ राज्य को भी जरूरत है। हमें फिर से अपने नेता की तलाश करनी होगी। मौकापरस्त लोगों से बचना होगा। इन मौकापरस्त नेताओं ने हमें हर बार भरमाया है। कोई तो सुकून का निर्णय हो। राज्य की जनता राजे को कोस रही है। अब समय आ गया है कि एक बार फिर से राज्य जगे। अपनी भूल पर प्रायश्चित करे और महारानी के खिलाफ तेज आंदोलन शुरू करे। हमें नेता नहीं काम करने वाले नेतृत्व की जरूरत है। राज्य में शराब माफिया शासन चला रहे हैं। अतिक्रमण हटाने के नाम पर गरीबों के आशियाने ढहाए जा रहे हैं। हर तरफ अराजकता है। अब चलो एक बार फिर सुकून के लिए शांति के लिए राजे को हटाएं। एक आंदोलन चलाएं। शुरुआत जल्दी होनी चाहिए।

Monday, 22 June 2015

आर्मी कैंट में जोधपुर पॉलीक्लीनिक का जीर्णोद्धार के बाद लोकार्पण

वर्ल्ड स्ट्रीट।  जोधपुर 

जोधपुर एवं पश्चिमी राजस्थान के गौरव सैनिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए पॉलीक्लीनिक का जीर्णोद्धार करने के बाद सोमवार को लोकार्पण किया गया। सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल धन्नाराम ने इसका उद्घाटन किया। 

इस मौके पर कोणार्क कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बॉबी मेथ्यू भी मौजूद थे। इस महत्वपूर्ण पूर्व अंशदायी स्वास्थ्य योजना के तहत पॉलीक्लीनिक के पुनरुद्धार कार्य में कोणार्क कोर की ओर से आधुनिक सुविधाएं दी गई हैं। इस पॉलीक्लीनिक से जोधपुर व आसपास के इलाकों से करीब पचास हजार गौरव सैनिक व उनके परिजन लाभान्वित होंगे। बाड़मेर, जैसलमेर, पाली, नागौर, डीडवाना व जालोर आदि क्षेत्रों से भी मरीजों को सुविधा मिलेगी। 

यहीं दंत चिकित्सा की सुविधा भी नए भवन में स्थानांतरित की गई है। अतिरिक्त भूमि का उपयोग अतिरिक्त चिकित्सा सुविधाओं के लिए किया जाएगा। पूर्व सैनिकों ने कोणार्क कोर कमांडर तथा सब एरिया के जीओसी मेजर जनरल एएस चौधरी का आभार जताया।



फिजूलखर्च रोकने के लिए सामूहिक विवाह जरूरी: कंसारा

वर्ल्ड स्ट्रीट। जोधपुर

कंसारा समाज का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन विश्वकर्मा जांगिड़ पंचायत भवन शास्त्री नगर में संपन्न हुआ। इस मौके समाज के मुख्य संरक्षक बाबूलाल कंसारा उर्फ बाबा ने कहा कि फिजूलखर्च रोकने के लिए सामूहिक विवाह जैसे आयोजन करना जरूरी हो गया है। युवक-युवती परिचय सम्मेलन भी जरूरी है।  समाज के विकास के लिए बहुत चुनौतियां हैं। ऐसे में समाज के लोगों को अपने सुझाव देकर योजनाएं शुरू करने के प्रयास करने चाहिए।

युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण

कंसारा ने कहा कि बालिका शिक्षा आज की जरूरत है। खासकर युवा अपनी शक्ति पहचाने और समाज के विकास में अपना योगदान दें। समाज के विकास के लिए एकजुट होना होगा। संस्थान के अध्यक्ष नंदकिशोर कंसारा ने कहा कि समाज के विकास में सभी लोगों की भागीदारी जरूरी है। पूर्व अध्यक्ष नवरतन कंसारा ने लिंगानुपात गड़बड़ाने पर चिंता जताई। आनंदप्रकाश कंसारा, बालकिशन कंसारा ने इस प्रकार के आयोजन समय-समय पर करने की आवश्यकता जताई।

इन्होंने निभाई भागीदारी

राजनारायण, दामोदरलाल, मनोहरलाल, रंजन कंसारा, पुरुषोत्तम कंसारा, कैलाश कंसारा, राजेश कंसारा, मघराज, इंद्रमल कंसारा, मोहनलाल कंसारा, शिवप्रकाश, नटवरलाल, डॉ. मदनलाल कंसारा, किशनलाल, चौथमल, अचलदास, भीकमचंद कंसारा, दिनेश कुमार सहित देश भर से चौदह खेड़ों से समाज के लोगों ने भाग लिया।

राजनीतिक नहीं सामाजिक बदलाव से तरक्की करेगा देश : गडकरी

-स्व. सुंदरसिंह भंडारी व्याख्यानमाला में 14 वरिष्ठजनों का किया सम्मान

वर्ल्ड स्ट्रीट . जोधपुर

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि केवल राजनीतिक बदलाव से परिर्वतन नहीं आएगा। इसके लिए सामाजिक बदलाव लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमारे पास ताकत की कमी नहीं है, लेकिन उसका सही समय व सही जगह इस्तेमाल करने की आवश्यकता है। वे सोमवार को जयनारायण व्यास टाउन हॉल में स्व. सुंदरसिंह भंडारी की 10वीं पुण्यतिथि पर आयोजित व्याख्यानमाला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इकोनॉमिक, इथिक्स और एनवायरमेंट को बदलने के कार्य करने के प्रयास तेज करने होंगे। गडकरी ने कहा कि व्यवस्थाओं में परिर्वतन होना चाहिए, जिसमें  टेक्नोलॉजी का भी एक मजबूत पक्ष रहेगा। 

राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में बड़ा फर्क

गडकरी ने कहा कि लंबे समय तक समाज में सेवा का कार्य करते अपनी पहचान बनाने वाले बुजुर्ग अपने काम में इतने तल्लीन रहते हैं कि उन्हें सौ साल तक भी सोचने की जरूरत नहीं। लेकिन राजनीतिक व्यक्ति को हर पांच साल में सोचना पड़ता है कि अब आगे कैसे करेंगे, क्या प्लान बनाएंगे? उन्होंने कहा कि राष्ट्र को सुखमय बनाने के लिए सामाजिक ढांचे को मजबूत करने में हमें बुजर्गों से प्रेरणा लेनी होगी। 

ग्रांउड लेवल पर अच्छा काम करेंगे तो फल मिलेगा

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में आने पर लोगों को मालाएं नहीं पहनाईं और न ही स्वार्थ से जुड़ा रहा। ग्राउंड लेवल पर अच्छा कार्य किया, जिसका फल उन्हें मिला। उन्होंने कार्यकर्ताओं को भी सीख दी कि ग्राउंड लेवल पर अच्छा काम करें, वक्त आने पर जरूर अच्छा फल मिलेगा। इसका उदाहरण है कि पार्टी में कई नए लोग अच्छे ओहदे पर आए हैं।

कई जिलों के वरिष्ठजनों काे किया सम्मानित

कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री गडकरी व राज्य के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने राजनीतिक क्षेत्र के साथ समाज उत्थान के अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य करने वाले 14 वरिष्ठजनों का सम्मान किया। इसमें जोधपुर, बाड़मेर, उदयपुर, बांसवाड़ा एवं अन्य जिलों से आए वरिष्ठजनों को साफा एवं माला पहनाकर व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम आयोजक प्रसन्नचंद मेहता का भी स्वागत किया गया। कार्यक्रम में आरएसएस के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख गुणवंतसिंह कोठारी व महापौर घनश्याम ओझा ने स्व. भंडारी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।

डॉ. सोहनराज तातेड़ का अमृत महोत्सव आयोजित

वर्ल्ड स्ट्रीट . जोधपुर

सिंघानिया विवि के पूर्व कुलपति व साहित्यकार प्रो. डॉ. सोहनराज तातेड़ की पचास वर्ष की समाज सेवा और 15 साल से वानप्रस्थ जीवन को देखते हुए अमृत महोत्सव मनाया गया। इस मौके पर युवा पीढ़ी को संस्कार देने की दृष्टि से उनके जीवन दर्शन पर राष्ट्रीय विद्वानों द्वारा संगोष्ठी, उनकी उपलब्धियों की प्रदर्शनी, उनके जीवन चरित पर निर्मित डॉक्युमेंट्री का डिस्प्ले किया गया। 

इस मौके पर शहर विधायक कैलाश भंसाली, महापौर घनश्याम ओझा, उप महापौर देवेंद्र सालेचा, डीआरएम राजीव शर्मा मौजूद थे। कार्यक्रम में कुरुक्षेत्र से आए डॉ. देशराज सिखवाल, वाराणसी के डॉ. विजय कुमार, लाडनूं के डॉ. राकेशमणि त्रिपाठी, विशाखापट्टनम के डॉ. विक्टर बाबू, जोधपुर के डॉ. मांगीलाल वडेरा, सेरेंद्र गेलड़ा व बाड़मेर के बंशीधर तातेड़ ने डॉ. सोहनराज तातेड़ के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला। तातेड़ ने अपने संस्मरण भी सुनाए। संचालन गणपत भंसाली ने किया। भूपेंद्र तातेड़ ने आभार जताया।

Friday, 19 June 2015

आसाराम: जमानत के लिए बड़े वकीलों पर दांव बनाम आम लड़की के साथ खड़ा कोर्ट

वर्ल्ड स्ट्रीट। जोधपुर 

आज 20 जून है। आसाराम प्रकरण में जमानत को लेकर फैसला होना है। आसाराम जो गुरुकुल की छात्रा के साथ यौन दुराचार मामले में करीब दो साल से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद है। सबकी नजर कोर्ट पर है। क्या आसाराम को जमानत मिल जाएगी?

फैसला क्या आएगा, अभी कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन इतना साफ है कि देश की आम अदालत में आम लड़की के साथ कोर्ट खड़ा है। दो साल से जमानत के प्रयास हो रहे हैं। विख्यात एडवोकेट राम जेठमलानी तक आसाराम की जमानत के लिए जोधपुर आ चुके हैं। बड़ा नाम। वकालत के पैसे का खिलाड़ी। लेकिन कोर्ट के आगे एक नहीं चली। लड़की को मानसिक विक्षिप्त बताया। नाबालिग को बालिग बताने का प्रयास हुआ, लेकिन कोर्ट विचलित नहीं हुआ। आमतौर पर इतने बड़े संत को इतने समय तक बांधे रखना आसान नहीं था। लेकिन हिन्दुस्तान की अदालत की विशेषता है कि वह न्याय करता ही नहीं न्याय होते साबित भी करता है। सहारा के सुब्रत साल भर से जेल में है। ऐसे मामले जब अदालत में आते हैं तो पूंजीपतियों का, राजनीतिज्ञों का और बचाव संघों का दबाव कोर्ट पर रहता है।

अब कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं भाजपा नेता और प्रख्यात वकील सुब्रमण्यम स्वामी। उनका कहना है कि वे आज तक मुकदमा नहीं हारे हैं, इसलिए उन्हें उम्मीद है कि आसाराम को जमानत मिल जाएगी। यह तर्क कहां तक उचित है, इस पर वे जाने, लेकिन कोर्ट लड़की की पीड़ा जानता है। कोर्ट पर बेशक दबाव है। काफी। राजनीतिक भी। आश्रम का और कथित श्रद्धालुओं का भी। अब सबकी नजर हिंदुस्तान की न्याय प्रणाली पर है। एक बार एक सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा था कि हिन्दुस्तान में आम आदमी को न्याय नहीं मिलता। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट तक वे पैरवी नहीं कर पाते और करोड़पति अपराधी सुप्रीम कोर्ट से छूट जाते हैं। यह टिप्पणी कुछ समय पर सुप्रीम कोर्ट के जज ही कर चुके हैं।

अब देखिए जोधपुर जेल में बंद आसाराम को जमानत अभी तक नहीं मिली। आसाराम बीमार हुए। या बहाना किया। हकीकत अलग हो सकती है, लेकिन जमानत के लिए जुगाड़ कम नहीं था। इस बीच मीडिया ने आसाराम प्रकरण की सूरत बारी-बारी से देश के सामने रखी। डे-बाई-डे आसाराम का सच जनता के सामने आया। एक के बाद एक हत्याएं। आरोप। आसाराम के बेटे के साथ भी मामले। देश में संदेश गया कि आसाराम वाकई अपराधी है। इन सबके इतर एक लड़की जो बेबाकी से अपने आरोप पर लड़ रही है। उसके पिता पर दबाव है। खुद लड़की पर दबाव है। पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया। लेकिन शुरू से पुलिस पर दबाव रहा। पुलिस ने संयम से काम लेते हुए आखिर आसाराम प्रकरण कोर्ट में दर्ज करवाया। दो साल में रोज आसाराम बचाव के लिए बीमार होते रहे। कभी हकीकत तो कभी बहाना। जेल पर भी आरोप लगा कि आसाराम को नाहक बीमार बताया जा रहा है। लेकिन कोर्ट विचलित नहीं हुआ। आसाराम नहीं छूट पाए।

इस बीच सत्ता बदल गई। देश में मोदी। राज्य में राजे। भगवा झंडा आते ही हर नेता के सुर बदल गए। आसाराम को जैसे आस लगी कि अब जमानत हो जाएगी। हाल ही में सलमान खान को जैसे ही जमानत मिली, आसाराम ने कहा-अब मुझे भी जमानत मिलनी चाहिए। जेठमलानी के बाद अब सुब्रमण्यम स्वामी अदालत में पेश हुए। उनके आने से लेकर अब तक कितनी परिस्थितियां बदली। कभी लगा स्वामी आ रहे हैं, कभी लगा स्वामी नहीं आएंगे। अंतत: स्वामी आए। अब कोर्ट 20 जून को क्या फैसला करती है, उसके बारे में कहा नहीं जा सकता, लेकिन इतना साफ है हिंदुस्तान की कोर्ट के सामने एक आम लड़की और एक बड़ा स्वामी और करोड़पति आरोपी खड़े हैं। स्वामी कह रहे हैं कि आसाराम के साथ अन्याय हुआ। दो साल से उन्हें जेल में रखकर मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि आसाराम के सामने ऐसी लड़की खड़ी है, जो अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही है। उसका अगर कोई संरक्षक है तो वह कोर्ट ही है। प्रशासन, पुलिस, राजनीतिज्ञ, पूंजीवादी ताकतें और बचाव समूह साम-दाम-दंड भेद की नीति अपना रहे हैं, मगर कोर्ट ही है जो लड़की को सांत्वना और शक्ति दे रहा है।

आज कोर्ट की परीक्षा की घड़ी है। सबकी नजरें कोर्ट की ओर है। कोर्ट जानता है किसके साथ क्या करना है, लेकिन एक बात साफ है उस लड़की को न्याय कोर्ट से ही मिलना है। कोर्ट आसाराम को जमानत दे देगा या स्वामी का भी जेठमलानी जैसा हाल होगा? फैसले की घड़ी आ रही है। आसाराम बनाम एक लड़की जो बिलकुल आम है। उसके पास न करोड़ों रुपए हैं और न ही सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने की हिम्मत। ऐसे में कोर्ट को आम जनता को सामने रखते हुए फैसला करना है। देश में आए दिन बलात्कार हो रहे हैं। सख्त सजा के बावजूद मामले रुक नहीं रहे। ऐसे में कोर्ट को सख्त तो होना ही होगा। 20 जून  को निर्णय आना है-संत और आम लड़की की लड़ाई का। ऐसी लड़ाई जिसमें आम बेटियां, बहन और माताएं गुरुकुल की उस छात्रा के साथ खड़ी हैं। ऐसे में लड़की अकेली तो नहीं हैं, लेकिन आसाराम जैसी शक्ति बाहर आते ही क्या रंग दिखाती है, कहा नहीं जा सकता। बहरहाल न्याय को लेकर सबकी नजरें कोर्ट पर टिकी है। 

Thursday, 18 June 2015

आज सितारे मुट्ठी में

गीत: डीके पुरोहित

आज सितारे मुट्ठी में
चंदा से चल रही वार्ता
विश्वास भरा कोने-कोने में
फिर कैसे मन हारता?

पहाड़ों पर जा चढ़ा शौर्य
नदियों को थामा बांहों में
खंड-खंड बिखरे पत्थर
टिक ना सका अवरोध राहों में

यमराज छिपा विज्ञान ओट में
फिर भला है कौन मारता
आज सितारे मुट्ठी में
चंदा से चल रही वार्ता

जो भी पाया इसी जगत से
उन्नति बसी जा अंबर में
परमाणु के सिरहाने मानवता
भय व्याप्त हो गया घर-घर में

कब कौन धैर्य खो बैठे
विनाश का भय हर दम सालता
आज सितारे मुट्ठी में
चंदा से चल रही वार्ता

धर्म-अधर्म का भेद जानना
आज जरूरी हम सबको भैया
श्मशानों में ताकत ना रोये
मृत्यु करे ना ता-धिन-तैया

वही बचाएगा हम सबको
जो इस जगत को है पालता
आज सितारे मुट्ठी में
चंदा से चल रही वार्ता।

कदम-कदम कागज की नांव

गीतः डीके पुरोहित

कदम-कदम कागज की नांव
सागर की लहरें राह रोक रहीं

कांटों की बगिया
तिनकों की कुटिया
बिन चंदा रतियां
सूरज की किरणें गतिशील 

बदली पीछे से टोक रही
कदम-कदम कागज की नांव
सागर की लहरें राह रोक रहीं

अपने-अपने सपने
लगे रूठने अपने
छत लगी टपकने
रात काली अंधियारी घिरती
कुतिया रो-रो कर भौंक रही
कदम-कदम कागज की नांव
सागर की लहरें राह रोक रहीं

दीपक का संघर्ष
आसमां से घटा का स्पर्श
शब्दों का भीतर से विमर्श 
विराट का अर्जुन को संदेश
महाभारत क्यों चौंक रही
कदम-कदम कागज की नांव
सागर की लहरें राह रोक रहीं

इक आंसू गिरा आंख से

गीत: डीके पुरोहित

इक आंसू गिरा आंख से
चेहरे को पढ़ लिया हमने
हालातों की हाला पीकर
कोई झूठ-सच गढ़ लिया हमने

छटपटाती रही मछलियां
पानी से बाहर आकर
संभलने की कोशिश न की
बार-बार ठोकर खाकर

जमाने खुदगर्ज में यारों
चेहरे पर चेहरा मढ़ लिया हमने
इक आंसू गिरा आंख से
चेहरे को पढ़ लिया हमने

आज इनसान बहुरूपिया है
कब बदल जाए कह नहीं सकते
किस्से-कहानियां पल में बनाते
निर्लज भगवान से नहीं डरते

मुग्ध है अपने आप पर ऐसे
जैसे कोई एवरेस्ट चढ़ लिया हमने
इक आंसू गिरा आंख से
चेहरे को पढ़ लिया हमने।

हे प्रभो! हम तेरे आंगन का....

प्रार्थना: डीके पुरोहित

हे प्रभो! हम तेरे आंगन का
नन्हा सा कोई फूल हैं
तेरी बनाई बगिया में
कहीं खुशबू कहीं शूल हैं

सुख और दुख जीवन के
सदा जुड़े दो रूप हैं
एक ढलती छांव समान
दूसरी दुपहरी की धूप है

तेरी मर्जी अटल सत्य
तू हर निर्णय का मूल है
हे प्रभो! हम तेरे आंगन का
नन्हा सा कोई फूल हैं

दुनिया में जब से आए
काया-माया में फंसे रहे
काजल की कोठरी में
ये दोनों हाथ पूरे धंसे रहे

अंत समय आया करीब
समझ में आई अपनी भूल है
हे प्रभो! हम तेरे आंगन का
नन्हा सा कोई फूल हैं

इतना उपकार करना नाथ
भटक ना पाएं तेरे पथ से
जीवन के इस कुरुक्षेत्र में
जुड़े रहें तेरे गर्वित रथ से

जीत का न गर्व हो
हारें तो ऐसे पैर तले धूल है
हे प्रभो! हम तेरे आंगन का
नन्हा सा कोई फूल हैं

जाने कितने युग बीते
जब मिली यह मानव देही
इस पर लगे न दाग कोई
जीवन ऐसा हो सरल-स्नेही

तू ही गाॅड-वाहे गुरु
और तू ही राम-रसूल है
हे प्रभो! हम तेरे आंगन का
नन्हा सा कोई फूल हैं।

कान्हा को न बिसराइयो, कथा में ध्यान लगाइयो

-चौहाबो  सेक्टर 18 बालाजी मंदिर में भागवत कथा की पूर्ण आरती, पंडित कृष्ण मुरारी ने कहा-भागवत अमृत समान
 

कम्यूनिटी रिपोर्टर. जोधपुर
 

पंडित कृष्ण मुरारी ने कहा कि भागवत कथा अमृत समान है। इसका रसपान करने के बाद किसी अन्य पेय की जरूरत नहीं रहती। कथा की शिक्षाओं को जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है। कृष्ण लीलाओं का बखान करते हुए उन्होंने कहा कि कान्हा को पल भर के लिए भी ना बिसराएं, कथा में ध्यान लगाएं और अपने जीवन को आनंदमय बनाएं। वे गुरुवार को चौहाबो सेक्टर 18 स्थित बालाजी मंदिर में भागवत कथा की पूर्ण आरती के मौके पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि कृष्ण योगेश्वर हैं। वे अपनी लीलाओं से दुनिया को अलौकिक संदेश देते हैं। गीता का
संदेश  देकर उन्होंने अर्जुन को युद्धभूमि में लड़ने के लिए प्रेरित किया। गीता हमें निष्काम कर्म की शिक्षा देती है। इसके हर श्लोक में ज्ञान और सत्य का संदेश है।

घर-घर में हो भागवत पोथी


कृष्ण मुरारी ने कहा कि भागवत पोथी मात्र नहीं है, यह साक्षात ईश्वर का स्वरूप है। इसे हर घर में होना चाहिए। राजा परीक्षित ने सात दिन तक लगातार भागवत को तन्मय होकर सुना इसलिए उनका मोक्ष हो गया। यह कथा भवसागर से पार लगाने वाली है। राजा परीक्षित को श्राप था कि तक्षक सांप उसे डस लेगा। ऐसे में अपने जीवन को धन्य करने और मुक्ति के लिए उन्होंने भागवत कथा सुनी।


मनोहारी झांकियों ने मन मोहाः


कथा की पूर्ण आरती के दौरान विभिन्न झांकियां सजाई गई। श्रद्धालुओं ने झांकियों के दर्शन किए। बाद में आरती की गई और भागवत पोथी की पूजा-अर्चना की गई। इस मौके पर पंडित कृष्ण मुरारी ने कहा कि भागवत कथा कभी संपन्न नहीं होती। इसकी पूर्ण आरती होती है। कथा अनंत है। हरि अनंत, हरि कथा अनंता....इसी तरह इस कथा का अंत नहीं है। जितनी बार सुनोगे बार-बार सुनने की इच्छा होगी।