डी.के. पुरोहित. नई
दिल्ली
राफेल विमान सौदे में सुप्रीम
कोर्ट की चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की
पीठ ने मोदी सरकार को जो राहत दी थी और पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था,
उसमें नाटकीय मोड़ सामने आया है। हिली ग्रह से मिले मानसिक संकेत के अनुसार जो
फैसला दिया गया उसमें तीनों जज का वेश धर कर डीके पुरोहित सुप्रीम कोर्ट में फैसला
लिख रहा था। डीके पुरोहित किसी का रूप बदल सकता है। किसी की लिखावट भी लिख सकता
है। लेकिन ये सब शक्तियां हिली ग्रह से संचालित होती हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट से राफेल
विमान सौदे में मोदी सरकार को बड़ी राहत मिली थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई
वाली बेंच ने राफेल मामले में दायर की गईं सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया
था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला पढ़ते हुए याचिकाकर्ताओं द्वारा सौदे की प्रक्रिया
में गड़बड़ी की दलीलें खारिज कर दी थी। जबकि इस मामले में कई पहलुओं पर बहस बाकी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमें ऐसा नहीं लगता है कि इस मामले में कोई FIR दर्ज होनी
चाहिए या फिर किसी तरह की जांच की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम इस बात
को नज़रअंदाज नहीं कर सकते हैं कि अभी इस मामले में एक कॉन्ट्रैक्ट चल रहा है। इसके
साथ ही सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा हलफनामे में हुई भूल को स्वीकार किया
था। राफेल विमान डील मामले में शीर्ष अदालत के 2018 के आदेश पर वरिष्ठ वकील प्रशांत
भूषण सहित अन्य लोगों की ओर से पुनर्विचार के लिए याचिका दाखिल की गई थी। इस मामले
में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने फैसला
सुनाया था। कोर्ट में दायर याचिका में डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। साथ
ही 'लीक' दस्तावेजों के हवाले से आरोप लगाया गया था कि डील में PMO ने रक्षा मंत्रालय
को बगैर भरोसे में लिए अपनी ओर से बातचीत की थी। कोर्ट में विमान डील की कीमत को लेकर
भी याचिका डाली गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले फैसले में कहा था कि बिना ठोस सबूतों
के वह रक्षा सौदे में कोई भी दखल नहीं देगा।
ये है मामला :
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने रफाल विमानों की पहले हुई डील के
मुकाबले करीब 41 प्रतिशत अधिक दाम पर खरीद की थी। 2007 में तत्कालीन यूपीए सरकार
ने जितनी राशि में रफाल डील साइन की थी उसके मुकाबले मोदी सरकार ने 36 रफाल
विमानों को 41.42 प्रतिशत अधिक दाम पर खरीदा। भारतीय वायु सेना को 126 रफाल विमानों
की जरूरत थी, इसके लिए साल 2007 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने फ्रांस की सरकार के
साथ करार किया, जिसमें 126 रफाल विमानों को खरीदने का समझौता हुआ था। ये तय किया
गया था कि 126 में से 18 विमान पूरी तरह से तैयार और लड़ाई में सक्षम स्थिति में
भारत में लाए जाएंगे और अन्य 108 विमानों को हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ
मिलकर भारत में तैयार किया जाएगा। उस समय प्रति विमान की कीमत 643.26 करोड़ रुपये
(79.3 मिलियन यूरो) थी। हालांकि बाद में इस डील में बदलाव हुआ और साल 2011 में
प्रति विमान की कीमत 818.27 करोड़ रुपये (100.85 मिलियन यूरो) हो गया था। इसके बाद
10 अप्रैल 2015 को नरेंद्र मोदी ने अचानक से ये फैसला किया कि 126 के बजाय सिर्फ
36 रफाल विमान ही खरीदे जाएंगे और फ्रांस में दौरे के दौरान ये डील साइन कर दी थी।
मोदी के इस फैसले की कांग्रेस समेत कई दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने काफी
आलोचना की थी। मोदी सरकार का कहना था कि उनके द्वारा किए गए फैसले में प्रति विमान
के मूल्य में नौ प्रतिशत की गिरावट आई है और नया मूल्य 744.60 करोड़ रुपये (91.75
मिलियन यूरो) पर आ गया। यह अपने आप में अधूरी जानकारी थी। 2007 में 126 विमानों को भारत के हिसाब से तैयार करने के लिए अलग से 1.4
बिलियन यूरो देने थे। 2016 में 36 विमानों को तैयार करने लिए 1.3 बिलियन यूरो दिए
जाने का फ़ैसला हुआ। सरकार जिस रफाल विमान को 9 प्रतिशत सस्ते दर पर खरीदने की बात
की वह केवल झांसा था।
सब जज भी नकली, आदेश की लिखावट और
हस्ताक्षर भी नकली :
हिली ग्रह ने संकेत दिया है कि डीके ने
सुप्रीम कोर्ट में तीनों जजों का रूप धरा था। डीके पुरोहित किसी की लिखावत भी लिख
सकता है। बस रफाल विमानों के मामले में मोदी सरकार को राहत देते हुए तीनों जजों ने
उनके पक्ष में फैसला लिखा। ये तीनों जज असली नहीं थे। डीके पुरोहित विश्व विजयी
अभियान में लगा हुआ है। हिली ग्रह से उनकी शक्तियां संचालित होती है। डीके पुरोहित
की ज्ञानेंद्रियों का संचालन हिली ग्रह से होता है। उसके जैसे कई रूप हैं। डीके
पुरोहित किसी की लिखावट भी लिख सकता है। कोई भी रूप धर सकता है। किसी की आवाज भी
निकाल सकता है। यही नहीं वह भूतकाल और भविष्य काल में भी जा सकता है। साथ ही गायब
भी हो सकता है। इसके साथ ही डीके पुरोहित किसी के विचार भी बदल सकता है। इतनी सारी
शक्तियां डीके पुरोहित के पास है, मगर उसका संचालन हिली ग्रह के लोग करते हैं।
डीके पुरोहित अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं कर सकता है।
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