फॉर्म 700 भरने में की जल्दबाजी, उड़ाने वाले पायलटों के साथ
अन्याय, विदाई के क्षणों में भावुक हुए पायलट
डी.के. पुरोहित. अमेरिका
यह रहस्य उस डायरी से सामने आया है जिसमें मिग-27 की पहली उड़ान से
लेकर अंतिम उड़ान तक वायुसेना निष्पादित करती है। इस डायरी की रिपोर्ट को मानें तो
अभी 10 साल और मिग-27 उड़ान भर सकता था। लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने
वायुसेना के माध्यम से इस लड़ाकू विमान को बूढ़ा बताकर आर्मी बेड़े से हटा दिया। आनन-फानन
में फॉर्म 700 भर कर मिग-27 को रिटायर्ड कर दिया। इसके पीछे सरकार की मंशा यह है
कि विश्व स्तर पर सामरिक ताकत को बढ़ाने के लिए नए विमान अमेरिका और फ्रांस से खरीद
सके। इन नए विमानों की खरीद जल्द हो सकती है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि सरकार जितनी
राशि नए विमानों की खरीद में लगाने की
तैयारी कर रही है, उससे मिग-27 में सुधार हो सकता है।
मिग- 27 लड़ाकू विमानों ने करगिल युद्ध में भारतीय वायु सेना के लिए
अहम भूमिका निभाई थी। इन लड़ाकू विमानों को भारतीय वायु सेना में 1981 में शामिल
किया गया था. यानी 38 साल तक अपनी सेवा देने के बाद ये रिटायर हो गए हैं। 3 साल
पहले हासीमारा में मिग- 27 के दो स्क्वाड्रन डीकमिशन किए जा चुके हैं। हालांकि
पूरी दुनिया से मिग-27 हटा लिए गए हैं, केवल कजाकिस्तान आर्मी ही मिग विमानों का
इस्तेमाल कर रही है। मिग ने 38 साल तक वायुसेना के माध्यम से देश की पहरेदारी की
है। जगुआर, मिराज और सुखोई एयरफोर्स में बाद में शामिल हुए। जगुआर, मिराज और सुखोई
की अपनी भूमिका है, लेकिन मिग-27 की अनदेखी नहीं की जा सकती। हालांकि बार-बार
मिग-27 के गिरने से इसकी क्षमता पर सवाल उठाए जाते रहे हैं, लेकिन यह तथ्य भी
हमारे सामने है कि करगिल युद्ध में मिग जिस तरह गरजा, उससे इस विमान की ताकत को
कमतर नहीं आंका जा सकता। मिग-27 अपने नाम से ही जाना जाता रहा है।
मिग-27 के बारे में तकनीकी और क्षमताजनक तथ्य :
चालकदल: 1, लंबाई : 17.08 मी (56 फीट)पंख
फैलाव: पंखों के प्रसार के साथ: 13.97 मी (45 फीट 10
इंच), पंख स्वेप्त के साथ: 7.78 मी (25 फीट 6 इंच),
ऊंचाई: 5 मी (16 फीट 7 इंच), पंख क्षेत्र पंखों के प्रसार के साथ: 37.35
मी² (402 फीट²), पंख स्वेप्त के साथ: 34.16 मी²
(367.7 फीट²), खाली वजन: 11,908 किलोग्राम
(26,253 पौंड), उपयोगी भार: 20,300 किलोग्राम
(44,800 पौंड), अधिकतम उड़ान वजन: 20,670 किलोग्राम
(45,570 पौंड), पावर प्लांट: 1 × खाचुरूर्व
आर-29-बी-300 आफ्टरबर्न टर्बोजेट, मूल थ्रस्ट: 78.5
किलोन्यूटन (17,650 पौंड-बल), आफ्टरबर्नर के साथ थ्रस्ट: 112.8
किलोन्यूटन (25,360 पौंड-बल), प्रदर्शन अधिकतम गति: At sea level: मैक
1.09 (1,350 किमी/घंटा; 839 मील), At 8,000 मी (26,250 ft): मैक
1.5 (1,885 किमी/घंटा; 1,171 मील/घंटा), रेंज: 2,500
किमी (1,550 मील; 1,350 नॉटिकल मील), हमले की त्रिज्या: 780
किमी (480 मील; 420 नॉटिकल मील), 540 किमी (290 नॉटिकल मील; 340 मील), दो केएच-29
मिसाइलों और तीन ड्रॉप टैंकों के साथ, 225 किमी (120 नॉटिकल मील; 140 मील), दो
केएच-29 मिसाइलों और कोई बाहरी ईंधन नहीं के साथ, फेरी रेंज: 2,500
किमी (1,550 मील; 1,350 नॉटिकल मील), अधिकतम सेवा सीमा: 14,000
मी (46,000 फीट), आरोहन दर: 200 मी/से (39,400
फीट/मिनट), विंग लोडिंग: 605 किलोग्राम/मी² (123.9 पौंड/फीट²), थ्रस्ट/वजन: 0.62
मिग की विशेषताओं को देखते हुए उसके साथ अन्याय
हुआ :
यह तो वही बात हुई जैसे भीष्म पितामह बूढ़े हो गए तो उन्हें
युद्धभूमि से बाहर कर दें। जबकि महाभारत की जंग में भीष्म पितामह की अनदेखी नहीं
की जा सकती। यही हाल मिग-27 के हैं। मिग-27 निर्णायक युद्ध लड़ने वाला लड़ाकू विमान
है। पिछले 38 सालों की डायरी के पन्नों में जिन सूचना का उल्लेख है उसके अनुसार
अभी 10 साल मिग-27 अपनी सार्थक सेवाएं दे सकता है। लेकिन सरकार ने इसे सेना से
बाहर कर दिया। एक तरह से नए विमान खरीदने की सरकार जमीन तलाश कर रही है वहीं
मिग-27 की विशेषताओं की अनदेखी कर रही है। सरकार अरबों रुपए नए विमानों पर खर्च करने
की तैयारी कर रही हे, उतनी ही राशि देश के वैज्ञानिकों को उपलब्ध करवाई जाए तो
मिग-27 को दस साल और जीवनदान मिल सकता था।
अनुभवी पायलट हुए मायूस
प्रतिदिन मिग-27 लड़ाकू विमान उड़ाने वाले पायलट मायूस हो गए हैं।
देश की सेवा का जज्बा जिन पायलटों में कूट-कूट कर भरा हुआ है, वे अब मिग-27
रिटायर्ड होने पर थोड़े मायूस हो गए हैं। 40 साल से फ्रंट लाइन फाइटर इस विमान को
एक ही झटके में रिटायर्ड कर दिया। इससे सेना की सामरिक ताकत पर भी इसका असर पड़ेगा।
अगर इन्हीं विमानों पर पैसा खर्च कर उनकी क्षमता बढ़ाई जाती और उन्हें युद्ध भूमि
में अपनी क्षमता दिखाने का मौका दिया जाता तो ठीक था, लेकिन इसे रिटायर्ड करने में
जल्दबाजी दिखाई गई।
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