Monday, 6 January 2020
Filled Under:
शहीद होने के दो दिन पहले 2 अप्रैल 1946 को सागरमल गोपा की जेल में थानाधिकारी
गुमानसिंह से लंबी बहस हुई थी। गुमान सिंह ने उन्हें महारावल जवाहिर सिंह से माफी मांगने
और आजादी का आंदोलन खत्म करने की अंतिम चेतावनी दी। साथ ही कहा था कि अब उनके बचने
का यही अंतिम रास्ता है, अन्यथा उनका जीवित जेल से बाहर निकलना संभव नहीं है। लेकिन
सागरमल गोपा गुमानसिंह की चेतावनी से तनिक भी विचलित नहीं हुए। उन्होंने कहा कि जवाहिर
का तलवा चाटने वाले गुमान तू गुमान मत कर…आजादी के दीवाने
मौत से नहीं डरते…सागर वह सागर है जिसमें आजादी के मोती छुपे
हैं, इन मोतियों को पाने से कोई नहीं रोक सकता। तू मुझे मार सकता है, लेकिन आंदोलन
की लौ कम नहीं होगी।
सनसनीखेज : शहादत से दो दिन पहले थानाधिकारी गुमानसिंह के साथ सागरमल गोपा की लंबी बातचीत :
शहीद होने के दो दिन पहले 2 अप्रैल 1946 को सागरमल गोपा की जेल में थानाधिकारी
गुमानसिंह से लंबी बहस हुई थी। गुमान सिंह ने उन्हें महारावल जवाहिर सिंह से माफी मांगने
और आजादी का आंदोलन खत्म करने की अंतिम चेतावनी दी। साथ ही कहा था कि अब उनके बचने
का यही अंतिम रास्ता है, अन्यथा उनका जीवित जेल से बाहर निकलना संभव नहीं है। लेकिन
सागरमल गोपा गुमानसिंह की चेतावनी से तनिक भी विचलित नहीं हुए। उन्होंने कहा कि जवाहिर
का तलवा चाटने वाले गुमान तू गुमान मत कर…आजादी के दीवाने
मौत से नहीं डरते…सागर वह सागर है जिसमें आजादी के मोती छुपे
हैं, इन मोतियों को पाने से कोई नहीं रोक सकता। तू मुझे मार सकता है, लेकिन आंदोलन
की लौ कम नहीं होगी।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment