-डीके पुरोहित चूहा
बनकर सेंट्रल जेल पहुंचा, वहां आसाराम के ठाठ देखे, आश्रम से आते हैं आए दिन भोजन के
टिफिन, शाम होते ही राम नाम की महिमा बताने लग जाते हैं आसाराम
डी.के. पुरोहित.
जोधपुर
यह है जोधपुर की सेंट्रल जेल। जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता। लंबे चौड़े
क्षेत्र में फैली जैल में किसी का पहुंचना आसान नहीं है। यहां खूंखार आतंकवादी भी रखे
जाते रहे हैं। यहां आए दिन मोबाइल, सिम मिलने की घटनाएं होती रही है। इसी जेल में बंद
है आसाराम। आसाराम का जेल में जाने के बाद क्या रुटीन है, उनके साथ कैसा व्यवहार होता
है, इसकी जानकारी लेने के लिए डीके पुरोहित चूहा बनकर जेल पहुंचा। यहां पहुंचने पर
जो दृश्य दिखाई दिए, उससे लगता नहीं है कि आसाराम जेल में सजा काट रहा है। यहां तो
आसाराम को शाही मेहमान की तरह रखा जाता है। यहां प्रस्तुत है आंखन देखी :
आश्रम का खाना
: आश्रम से एक भक्त पौष्टिक भोजन से युक्त टिफिन लेकर
आता है। उसे जेल में एक सिपाही लेता है और सीधा आसाराम के पास ले जाया जाता है। आसाराम
के टिफिन में रडाया हुआ दूध भी है। जो
अलग
बोतल में था।
पैर की मालिश : आश्रम के कैदी
शाम होते ही आसाराम से राम नाम का महत्व समझते हैं। आसाराम अपने प्रवचन और किस्से सुनाते
हैं। दूसरे कैदी आसाराम के पैर दबाते हैं और मालिश करते हैं।
शिलाजीत और अफीम
की डोज : आसाराम को शिलाजीत और अफीम की डोज भी जेल में मिलती है। सर्दी के मौसम
में बॉडी फिट रहे इसकी लिए शिलाजीत दी जाती है और अफीम की खुराब भी आसाराम लेते हैं।
आंवले का मुरब्बा
:
जेल में आसाराम को आंवले का मुरब्बा भी दिया जाता है। इसके लिए पैसे आश्रम से आते हैं।
उनके मनोरंजन के लिए टीवी की व्यवस्था की गई है। जेल स्टाफ आसाराम को आदर से बात कर
बुलाते हैं। यही नहीं उनसे आशीर्वाद लेना भी नहीं भूलते।
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