गीत : डी.के. पुरोहित
सच के लिए लड़ना है
झूठ को साथ ले चलना है
जग की बावरी बांबी में
आस्तीन का सांप हो पलना है
रास्ते कठिन है, आसमां गीला है
परींदे जमीं पर जाल है
जीवन की उड़ान को
छलता मायाजाल है
पानी है जीत की मंजिल तो
पवन संग रहना है
सच के लिए लड़ना है
झूठ को साथ ले चलना है
जग की बावरी बांबी में
आस्तीन का सांप हो पलना है
कल तो कातिल है
आज भी दगाबाज है
समय का कोर्इ नहीं भरोसा
यह तो अड़ंगाबाज है
गैरों से क्या उम्मीद करें
अपनो से भी बचना है
सच के लिए लड़ना है
झूठ को साथ ले चलना है
जग की बावरी बांबी में
आस्तीन का सांप हो पलना है
सामने हमला हो बच लेंगे हम
पीठ पर वार दिखता नहीं
रेत पर पानी से कोर्इ अपनी
तकदीर यारों लिखता नहीं
राख से जिंदा होना होगा
पानी से नित जलना है
सच के लिए लड़ना है
झूठ को साथ ले चलना है
जग की बावरी बांबी में
आस्तीन का सांप हो पलना है।
सच के लिए लड़ना है
झूठ को साथ ले चलना है
जग की बावरी बांबी में
आस्तीन का सांप हो पलना है
रास्ते कठिन है, आसमां गीला है
परींदे जमीं पर जाल है
जीवन की उड़ान को
छलता मायाजाल है
पानी है जीत की मंजिल तो
पवन संग रहना है
सच के लिए लड़ना है
झूठ को साथ ले चलना है
जग की बावरी बांबी में
आस्तीन का सांप हो पलना है
कल तो कातिल है
आज भी दगाबाज है
समय का कोर्इ नहीं भरोसा
यह तो अड़ंगाबाज है
गैरों से क्या उम्मीद करें
अपनो से भी बचना है
सच के लिए लड़ना है
झूठ को साथ ले चलना है
जग की बावरी बांबी में
आस्तीन का सांप हो पलना है
सामने हमला हो बच लेंगे हम
पीठ पर वार दिखता नहीं
रेत पर पानी से कोर्इ अपनी
तकदीर यारों लिखता नहीं
राख से जिंदा होना होगा
पानी से नित जलना है
सच के लिए लड़ना है
झूठ को साथ ले चलना है
जग की बावरी बांबी में
आस्तीन का सांप हो पलना है।
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