Friday, 19 June 2015

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आसाराम: जमानत के लिए बड़े वकीलों पर दांव बनाम आम लड़की के साथ खड़ा कोर्ट

वर्ल्ड स्ट्रीट। जोधपुर 

आज 20 जून है। आसाराम प्रकरण में जमानत को लेकर फैसला होना है। आसाराम जो गुरुकुल की छात्रा के साथ यौन दुराचार मामले में करीब दो साल से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद है। सबकी नजर कोर्ट पर है। क्या आसाराम को जमानत मिल जाएगी?

फैसला क्या आएगा, अभी कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन इतना साफ है कि देश की आम अदालत में आम लड़की के साथ कोर्ट खड़ा है। दो साल से जमानत के प्रयास हो रहे हैं। विख्यात एडवोकेट राम जेठमलानी तक आसाराम की जमानत के लिए जोधपुर आ चुके हैं। बड़ा नाम। वकालत के पैसे का खिलाड़ी। लेकिन कोर्ट के आगे एक नहीं चली। लड़की को मानसिक विक्षिप्त बताया। नाबालिग को बालिग बताने का प्रयास हुआ, लेकिन कोर्ट विचलित नहीं हुआ। आमतौर पर इतने बड़े संत को इतने समय तक बांधे रखना आसान नहीं था। लेकिन हिन्दुस्तान की अदालत की विशेषता है कि वह न्याय करता ही नहीं न्याय होते साबित भी करता है। सहारा के सुब्रत साल भर से जेल में है। ऐसे मामले जब अदालत में आते हैं तो पूंजीपतियों का, राजनीतिज्ञों का और बचाव संघों का दबाव कोर्ट पर रहता है।

अब कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं भाजपा नेता और प्रख्यात वकील सुब्रमण्यम स्वामी। उनका कहना है कि वे आज तक मुकदमा नहीं हारे हैं, इसलिए उन्हें उम्मीद है कि आसाराम को जमानत मिल जाएगी। यह तर्क कहां तक उचित है, इस पर वे जाने, लेकिन कोर्ट लड़की की पीड़ा जानता है। कोर्ट पर बेशक दबाव है। काफी। राजनीतिक भी। आश्रम का और कथित श्रद्धालुओं का भी। अब सबकी नजर हिंदुस्तान की न्याय प्रणाली पर है। एक बार एक सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा था कि हिन्दुस्तान में आम आदमी को न्याय नहीं मिलता। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट तक वे पैरवी नहीं कर पाते और करोड़पति अपराधी सुप्रीम कोर्ट से छूट जाते हैं। यह टिप्पणी कुछ समय पर सुप्रीम कोर्ट के जज ही कर चुके हैं।

अब देखिए जोधपुर जेल में बंद आसाराम को जमानत अभी तक नहीं मिली। आसाराम बीमार हुए। या बहाना किया। हकीकत अलग हो सकती है, लेकिन जमानत के लिए जुगाड़ कम नहीं था। इस बीच मीडिया ने आसाराम प्रकरण की सूरत बारी-बारी से देश के सामने रखी। डे-बाई-डे आसाराम का सच जनता के सामने आया। एक के बाद एक हत्याएं। आरोप। आसाराम के बेटे के साथ भी मामले। देश में संदेश गया कि आसाराम वाकई अपराधी है। इन सबके इतर एक लड़की जो बेबाकी से अपने आरोप पर लड़ रही है। उसके पिता पर दबाव है। खुद लड़की पर दबाव है। पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया। लेकिन शुरू से पुलिस पर दबाव रहा। पुलिस ने संयम से काम लेते हुए आखिर आसाराम प्रकरण कोर्ट में दर्ज करवाया। दो साल में रोज आसाराम बचाव के लिए बीमार होते रहे। कभी हकीकत तो कभी बहाना। जेल पर भी आरोप लगा कि आसाराम को नाहक बीमार बताया जा रहा है। लेकिन कोर्ट विचलित नहीं हुआ। आसाराम नहीं छूट पाए।

इस बीच सत्ता बदल गई। देश में मोदी। राज्य में राजे। भगवा झंडा आते ही हर नेता के सुर बदल गए। आसाराम को जैसे आस लगी कि अब जमानत हो जाएगी। हाल ही में सलमान खान को जैसे ही जमानत मिली, आसाराम ने कहा-अब मुझे भी जमानत मिलनी चाहिए। जेठमलानी के बाद अब सुब्रमण्यम स्वामी अदालत में पेश हुए। उनके आने से लेकर अब तक कितनी परिस्थितियां बदली। कभी लगा स्वामी आ रहे हैं, कभी लगा स्वामी नहीं आएंगे। अंतत: स्वामी आए। अब कोर्ट 20 जून को क्या फैसला करती है, उसके बारे में कहा नहीं जा सकता, लेकिन इतना साफ है हिंदुस्तान की कोर्ट के सामने एक आम लड़की और एक बड़ा स्वामी और करोड़पति आरोपी खड़े हैं। स्वामी कह रहे हैं कि आसाराम के साथ अन्याय हुआ। दो साल से उन्हें जेल में रखकर मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि आसाराम के सामने ऐसी लड़की खड़ी है, जो अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही है। उसका अगर कोई संरक्षक है तो वह कोर्ट ही है। प्रशासन, पुलिस, राजनीतिज्ञ, पूंजीवादी ताकतें और बचाव समूह साम-दाम-दंड भेद की नीति अपना रहे हैं, मगर कोर्ट ही है जो लड़की को सांत्वना और शक्ति दे रहा है।

आज कोर्ट की परीक्षा की घड़ी है। सबकी नजरें कोर्ट की ओर है। कोर्ट जानता है किसके साथ क्या करना है, लेकिन एक बात साफ है उस लड़की को न्याय कोर्ट से ही मिलना है। कोर्ट आसाराम को जमानत दे देगा या स्वामी का भी जेठमलानी जैसा हाल होगा? फैसले की घड़ी आ रही है। आसाराम बनाम एक लड़की जो बिलकुल आम है। उसके पास न करोड़ों रुपए हैं और न ही सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने की हिम्मत। ऐसे में कोर्ट को आम जनता को सामने रखते हुए फैसला करना है। देश में आए दिन बलात्कार हो रहे हैं। सख्त सजा के बावजूद मामले रुक नहीं रहे। ऐसे में कोर्ट को सख्त तो होना ही होगा। 20 जून  को निर्णय आना है-संत और आम लड़की की लड़ाई का। ऐसी लड़ाई जिसमें आम बेटियां, बहन और माताएं गुरुकुल की उस छात्रा के साथ खड़ी हैं। ऐसे में लड़की अकेली तो नहीं हैं, लेकिन आसाराम जैसी शक्ति बाहर आते ही क्या रंग दिखाती है, कहा नहीं जा सकता। बहरहाल न्याय को लेकर सबकी नजरें कोर्ट पर टिकी है। 

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