जोधपुर. डी.के. पुरोहित
मजीठिया मामले में पत्रकारों को न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है। आज से कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने कहा, कि सुप्रीम कोर्ट में वे ही लोग न्याय प्राप्त कर सकते हैं, जिनकी जेब में सौ करोड़ रुपए हो। अखबार मालिकों के पास अरबों रुपए हैं और पत्रकारों की झोली खाली है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने भी मुंह फेर लिया। जो पत्रकार आंदोलन कर रहे हैं, उन्हें मार की खानी पड़ रही है। कई पत्रकारों का स्थानांतरण, कईयों को नौकरी से निकालना और कईयों पर दबाव है। गौरतलब है कि अखबार मालिक नित नई चालें चल रहे हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के जज भी सही फैसला नहीं दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के जज जब खुद ही कहने लगे कि उनके यहां न्याय पाने के लिए 100 करोड़ रुपए होने चाहिए, अब भला आम पत्रकारों को न्याय की उम्मीद किससे से लगाई जाए।
मजीठिया मामले में पत्रकारों को न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है। आज से कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने कहा, कि सुप्रीम कोर्ट में वे ही लोग न्याय प्राप्त कर सकते हैं, जिनकी जेब में सौ करोड़ रुपए हो। अखबार मालिकों के पास अरबों रुपए हैं और पत्रकारों की झोली खाली है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने भी मुंह फेर लिया। जो पत्रकार आंदोलन कर रहे हैं, उन्हें मार की खानी पड़ रही है। कई पत्रकारों का स्थानांतरण, कईयों को नौकरी से निकालना और कईयों पर दबाव है। गौरतलब है कि अखबार मालिक नित नई चालें चल रहे हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के जज भी सही फैसला नहीं दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के जज जब खुद ही कहने लगे कि उनके यहां न्याय पाने के लिए 100 करोड़ रुपए होने चाहिए, अब भला आम पत्रकारों को न्याय की उम्मीद किससे से लगाई जाए।
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