Thursday, 22 November 2018

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बेखुदी में लिखे गीत पूरे दस साल बाद किताब के रूप में आपके सामने है। "मैं रहूं न रहूं"

मित्रो, 
नमस्कार ! 


बेखुदी में लिखे गीत पूरे दस साल बाद किताब के रूप में आपके सामने है ।

"मैं रहूं न रहूं" गीत संग्रह अब आपके हाथों में हैं ।

 इन गीतों में मेरे जीवन के अनुभव , आध्यात्मिक साधना , देश के हालात , प्रेम , धोखा, विरह और तमाम विषय शामिल हैं । मुझे नही मालूम , कल क्या होने वाला है लेकिन मेरे ये गीत मेरे नही होने पर मेरी उपस्थिति दर्ज करवाएंगे ।

ऑनलाइन यह संग्रह इस लिंक पर उपलब्ध है।

Part 1 -  https://www.flipsnack.com/57B8B8E569B/mai-rahu-ya-n-rahu.html

Part 2 -  https://www.flipsnack.com/57B8B8E569B/mai-rahu-ya-n-rahu-part-2-fznf6jnjv.html

Part 3 -  https://www.flipsnack.com/57B8B8E569B/mai-rahu-ya-n-rahu-part-3.html

Part 4 -  https://www.flipsnack.com/57B8B8E569B/mai-rahu-ya-n-rahu-part-4.html

Part 5 -  https://www.flipsnack.com/57B8B8E569B/mai-rahu-ya-n-rahu-part-5.html

आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।


डी.के. पुरोहित 
सीनियर सब एडिटर
दैनिक भास्कर, जोधपुर





2 comments:

  1. अच्छाा है। आपकी किताब को ऑनलाइन पढ़ने का मौका भी मिल जाएग।

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  2. बेखुदी के दौर में मैंने 500 से अधिक गीत लिखे थे। इनमें से कुछ गीत ‘मैं रहूं न रहूं’ में आपके सामने प्रस्तुत है। इन गीतों पर अपनी प्रतिक्रियाएं अवश्य भेजें।

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