एजेंसी. जोधपुर
जैसलमेर में लोग पैसा कमाने, प्रॉपर्टी बढ़ाने और अपराधों से बचने के लिए पत्रकार बनते हैं। कई पत्रकार तो साप्ताहिक और पाक्षिक अखबारों की सौ-दौ सौ कापियां शुरू करवाते हैं और भारी भरकम विज्ञापन देते हैं। इन पत्रकारों का एक मात्र उद्देश्य पैसा कमाना है और पुलिस और प्रशासन में अपनी दबंगई दिखाना है। ऐसा नहीं है कि उन्हें लिखने का शौक है। बल्कि हकीकत यह है कि दो-सौ तीन सौ कॉपियां शुरू कर वे अफसरों को धमकाते हैं और पत्रकार कोटे में प्लाट हासिल कर लेते हैं। जैसलमेर में विमल भाटिया बिजनेसमैन है लेकिन आज तक, इंडिया टुडे, एजेंसी, पंजाब केसरी सहित कई संस्थाओं का एक साथ पत्रकार बना हुआ है। अंग्रेजी नहीं आती है मगर एक अंग्रेजी अखबार का भी संवाददाता है। मजे कि बात यह है कि दुकान के साथ-साथ पत्रकारिता की दुकान भी चल रही है। दैनिक भास्कर जैसलमेर के ब्यूरो चीफ ने दस करोड़ से अधिक की होटल बना ली है। ऐसे की कई पत्रकार है जिनके अखबार कभी नजर नहीं आते, लेकिन पीआरओ ऑफिस में वे पत्रकार के रूप में दर्ज है। विमल भाटिया और विमल शर्मा ने संपादकों से सैटिंग कर गलत तथ्य पेश की जयपुर से अधिस्वीकरण भी करा लिया है। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने मांग की है कि पत्रकारों की संपत्ति की जांच की जाए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। क्योंकि अखबार के मालिक तो उनके मुरीद है, क्योंकि ये पत्रकार अपने मालिकों को निशुल्क आलिशान होटलों में ठहराते हैं, उन्हें दारू और सुंदरिया पेश करते हैं। जब तक इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी, जैसलमेर में स्वस्थ पत्रकारिता की उम्मीद बेकार है। जैसलमेर के अखबारों में कभी एसपी, कलेक्टर के बारे में खबरें नहीं छपती। कभी घोटाले नहीं होते। क्योंकि असल घोटालेबाज और भू माफिया तो ये पत्रकार ही हैं।