Tuesday, 3 November 2015

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मोदी राज में भय और असुरक्षा का माहौल


-विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस और सहयोगी संगठन हुए बेलगाम, जुबानी हमलों के साथ ही अराजकता की स्थिति, प्रधानमंत्री विदेश यात्राओं में व्यस्त, आम आदमी दो जून की रोटी के लिए कर रहा है संघर्ष
-डीके पुरोहित-

विकास के सपने
दिखा कर चोट करना कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीखें। देश में भय और आक्रोश फैलाने वाला वातावरण हो गया है। मोदी आम आदमी का विश्वास नहीं जीत पाए। चुनाव से पहले जिस तरह आम आदमी ने मोदी को सिर-आंखों पर बिठाया, उसी आम आदमी के सीने में मोदी ने खंजर खोंप दिया है। हर दिन चुनौती लेकर आ रहा है। लोग सुबह उठते हैं और शाम को सुरक्षित घर आते हैं तब परिवार को सुकून मिलता है। हर तरफ अराजकता का राज है। मोदी विदेश यात्राओं में व्यस्त है। देश का विदेशों में नाम रोशन करने के नाम पर खुद दौरों में व्यस्त है। इधर नौकरशाही बेलगाम हो गई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और अन्य संगठन खुल्ले सांड की तरह हो गए हैं। कभी जुबानी हमला हो रहा है तो कभी गरीब को पीड़ा पहुंचाई जा रही है।

 
मोदी राज में मंत्री और सांसद आए दिन ऐसे बयान देते हैं, जिससे अल्पसंख्यकों ने उनका बुरा कर दिया हो। अल्पसंख्यकों में इतना भय है कि वे घर से बाहर निकलते हैं तो उन्हें भरोसा नहीं कि घर सही-सलामत लौटेंगे। मोदी ने गुजरात दंगाें में भले ही क्लीन चिट हासिल कर ली हो, मगर उनके माथे पर जो दाग लगा है, उसे वे नहीं धो पाए। अपनी तेज तरार राजनीति और आग उगलते भाषणों से मोदी ने देश की जनता को भ्रमित किया। कभी विकास की राह के सपने दिखाए तो कभी हिंदुत्व को आगे कर बाण छोड़े। चाय वाले ने जैसे गर्म-गर्म पानी लोगों की चमड़ी पर गिरा दिया। सोनिया गांधी ने कहा कि नीच राजनीति बंद हो और मोदी ने गलत व्याख्या करते हुए कहा कि वे नीच घराने के सही…ऐसी ही बातों को गलत अर्थ देते हुए अपनी विशिष्ट भाषण शैली से जनता को भ्रमित किया। मोदी इतने आक्रामक हुए कि भाजपा के शिखर पुरुष लालकृष्ण आडवाणी तक को चुप करा दिया। वे खून के आंसू पीकर रह गए। यह राजनीति नहीं आतंकी राजनीति है। हिंदुओं को यह सोचना चाहिए कि वे इस देश में शांति चाहते हैं या हर दिन किसी गरीब के चूल्हे पर हमला हो। हम अगर बड़ी संख्या में हैं तो हमें बड़प्पन भी दिखाना होगा। हमें यह सोचना ही होगा कि इस देश को हम सबने मिलकर आगे बढ़ाया है। हमे एक-दूसरे के आंसू पोंछने होंगे। कोई कमजोर है तो उसकी मदद करनी होगी। इस देश की परंपरा, हमारी संस्कृति और हमारे संस्कार कभी इतने आक्रामक नहीं रहे। हमने सबको अपने यहां जगह दी। दिलों में बिठाया। नेपाल जैसे देश ने भी हिंदू राष्ट्र की बजाय धर्मनिरपेक्ष देश को पसंद किया। हमारा देश तो धर्मनिरपेक्ष देश की मिसाल है। हमने हमारे संविधान में सबको जीने का हक दिया। यहां गांधी, गौतम और महावीर ने अहिंसा का संदेश दिया। लेकिन हमारे नेता अगर हिंसा और आगजनी से सत्ता हथियाने का रास्ता अपनाया और हमने उनकी मदद की तो इसके दूरगामी परिणाम अच्छे नहीं होंगे। मोदी जैसे नेता को हमें हावी नहीं होने देना है। जिसके मन में शासन के नाम पर धोखा भरा हो, उसका क्या भरोसा किया जाए। 


मोदी ने विकास की पैरवी की और अब तक कुछ नहीं किया। गरीबी, बेरोजगारी, हिंसा, आतंक और हर तरफ अराजकता है। नारी सुरक्षित नहीं है। नाबालिगों के साथ संत और ब्रह्मचारी गलत काम कर रहे हैं। देश में ऐसा माहौल जन्म ले चुका है, जिसमें हिंदुत्व पर गर्व करने की बजाय घमंड किया जा रहा है। हिंदू होकर हमें सहिष्णुता कभी नहीं भूलनी होगी। अल्पसंख्यकों को हमें साथ लेकर चलना होगा। हमारे पड़ोसी अगर अल्पसंख्यक है तो उन्हें जीने का हक होना ही चाहिए। 


इस देश को रहीम और रसखान ने सींचा है तो कबीर जैसे क्रांतिकारी ने हिंदु-मुसलमान दोनों को नई राह दिखाई है। साई बाबा ने हमें जीने का रास्ता दिखाया। यहां गाय को हिंदु भी पूजते हैं और मुसलमान भी पालते हैं। इस देश को हमें बनाना है। हमने हमेशा सचाई का साथ दिया। मोदी रेडियो पर मन की बात करते हैं और अगले दिन फिर अपनी मनमानी पर उतर आते हैं। ऐसे दोहरे चरित्र से सावधान रहने की जरूरत है। मोदी देश का विकास करे न करे, हम भाइयों को आपस में लड़वा कर हमारा जीने का मकसद खत्म कर देंगे। 

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