-देश में असहिष्णुता का माहौल है या नहीं, इस पर बहस निराधार है, क्योंकि
यह मीडिया का उठाया मुद्दा है, मीडिया में वह हर चीज बिकाऊ होती है जिसे तुरंत प्रतिक्रिया
मिले
-डीके पुरोहित-
देश में माहौल असहिष्णुता का है या नहीं इस पर बहस निराधार है। यह मीडिया
की बनाई स्थिति है। मीडिया अपनी जिम्मेदारी समझ नहीं रहा है। अगर मीडिया का यही रवैया
रहा तो देश में एक बार फिर 1947 का माहौल हो सकता है। प्रसिद्ध सिने अभिनेता आमिर खान
का बयान कि-माहौल देख मेरी पत्नी देश छोड़ने की बात कहने लगी थी, पर देश में हाहाकार
मचा हुआ है। इस बयान को मीडिया ने अनावश्यक तूल दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि लोगों
के बीच में आमिर नायक और खलनायक बन गए। हर कोई अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है। कोई आमिर
की खिलाफत कर रहा है तो कोई बचाव।
भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज ने ताजा बयान में कहा, ‘अगर आप चर्चित हैं तो एक
बयान देने से आपको लाभ हो सकता है। कवरेज मिल सकती है। लेकिन भारत के नाम पर इस तरह
के बयान दाग लगा सकते हैं। यह अतुल्य भारत है। इस पर दाग लगाने का काम न करो।'' उन्होंने
कहा, ‘आज सीरिया, तुर्की, जॉर्डन, ईरान, इराक में क्या हालात हैं? हिंदुस्तान में पूरे
अरब देशों से ज्यादा मुस्लिम हैं और उन्हें बराबर का हक मिला हुआ है। ‘जिस तरह से राहुल
गांधी बयान दे रहे हैं उससे साफ है कि यह कांग्रेस की देश को बदनाम करने की साजिश है।
इस देश को छोड़कर कहां जाइएगा? जहां जाइएगा इनटॉलरेंस पाइएगा। भारत के मुस्लिमों के लिए हिंदुस्तान से
अच्छा देश और हिंदुओं से अच्छा पड़ोसी नहीं मिलेगा।'
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ‘सहिष्णुता इस देश के डीएनए
में है। हम आमिर को कहीं नहीं जाने देंगे। वहीं केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू
ने कहा, ‘ऐसे बयान से भारत की छवि पर धब्बा लगता है। उधर, सपा नेता आजम खान ने कहा,
‘यह देखिए कि देश छोड़ने की बात कौन कह रहा है। किरण कह रहीं हैं जो हिंदू हैं। उन्हें
भी डर लग रहा है। आमिर खान को लिखी चिट्ठी में आजम ने कहा है, ‘बंटवारे के समय भारत
में रुकने वाले मुसलमानों को कौम का गद्दार कहा गया। अब हिंदुस्तान में रहने वालों
से भी यही सुनने को मिल रहा है। आजम ने आमिर से अपील की है कि वे लोगों के विरोध और
ऐतराज के बाद भी समाज को सही रास्ता दिखाते रहें। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
ने कहा है कि आमिर खान का कहा एक-एक शब्द सही है। इस मुद्दे पर बोलने के लिए मैं उनकी
प्रशंसा करता हूं।
वहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘मोदी जी और सरकार से सवाल
पूछने वालों को गैरराष्ट्रवादी और सरकार विरोधी या प्रेरित कहा जाता है। इससे बेहतर
हो कि सरकार उन लोगों से बात करे। जाने कि किस बात से वे व्यथित हैं। भारत में समस्याओं
को दूर करने का यही तरीका है।'
ये बयान ऐसे दौर में सामने आए हैं जब आमिर खान के बहाने मीडिया को बड़ा
मुद्दा मिल गया है। कुछ दिन बहस होगी। बयान आएंगे। फिर बहस छिड़ेगी।
…और मौजूदा माहौल में देश की हकीकत:
गुजरात में हत्याओं का जो दौर चला, उसके बाद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी
की देश में जो छवि बनी, वह जग जाहिर है। यह बात अलग है कि उन्हें कोर्ट से क्लीन चिट
मिल गई। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई। मोदी के नाम का मीडिया ने हौवा बनाकर देश में
एक अलग माहौल बनाया। मोदी मोदी का नाद सुनने को मिला। मोदी को कोई विकास का महापुरुष
बताने लगा तो कोई हिंदू तारनहार नेता। इस बीच मोदी की महत्वाकांक्षा को पंख लगे। देश
में मोदी-मोदी की लहर चली। ऐसी लहर जो हिंदुस्तान में इससे पहले कभी नहीं चली। वही
मोदी आज क्या कर रहे हैं? सब जानते हैं। लेकिन इस बीच देश में माहौल बिगाड़ने का षड़यंत्र
चल रहा है। जिसको मीडिया हवा दे रहा है। लोग उटपटांग बयान दे रहे हैं, मीडिया उसे तोड़मोड़
कर या राई का पहाड़ बना कर सामने ला रहा है।
आमिर खान का बयान ऐसे समय में सामने आया
है जब देश में फिर लोग अपने को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। मोदी के राज में नगर
निगम का बाबू से लेकर कलेक्टर-कमिश्नर-पुलिस के आला अधिकारी अपने को खुला सांड बनाकर
घूम रहे हैं। आम आदमी का जीना दुश्वार हो गया है। जिस भ्रष्टाचार को मोदी ने मुद्दा
बनाया। जिस यौन शोषण को रोकने की डींगें हांकी, उसका क्या हुई, दिल्ली सहित देश भर
में कन्याओं और महिलाओं के साथ दुराचार हो रहा है। मोदी को विदेशों में जाने की फुरसत
हैं, मगर देश की स्थिति सुधारने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। ऐसे ही माहौल में
मोदी जैसे लोग सत्ता में आते हैं। इस देश की मीडिया पर पूंजीपति घरानों का कब्जा है।
पूंजीपति ही इस देश को चला रहे हैं। राजनीति, नाैकरशाही, पूंजीवाद और दबाव समूह अपनी
दादागिरि चला रहे हैं। कोई इस मुद्दे पर नहीं बोलता? बोले भी कैसे-मीडिया अपनी राग
अलग ही हांकता है। मीडिया ने तय कर लिया है कि वह जो छापेगा, वही शास्वत सत्य है। मीडिया
मुद्दों को हौवा बनाकर देश की स्थिति को खराब कर रहा है।
मेरे एक मित्र हैं। कम्यूनिस्ट।
उसका कहना है कि हम कांग्रेस के साथ इसलिए आते हैं, क्योंकि भाजपा के राज में हमारी
भावनाओं की हत्या की जा सकती है। हमारे साथ भी अत्याचार हो सकता है। भाजपा से जान का
खतरा बना रहता है। ऐसे में कांग्रेस के साथ जाते हैं। यह शब्द कहने वाला आकाशवाणी का
जिम्मेदार उद्घोषक है और प्रसिद्ध साहित्यकार हैं। यह पीड़ा हिन्दुस्तान के कई साहित्यकारों
की है।
देश के विकास में कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आजादी के इतने
सालों में क्या हिंदुस्तान आगे नहीं बढ़ा। आज देश की पश्चिमी सीमा तक ट्रेन पहुंची है।
जिला हवाई सेवा से जुड़ गया है। देश के चारों कोनों में तेजी से विकास हुआ है। विकास
की कहानी जब लिखी जाएगी तो कांग्रेस की अनदेखी नहीं की जा सकती। लेकिन भाजपा ने सांप्रदायिक
और अनावश्यक मुद्दों को उठाकर देश की जनता को भ्रमित कर सत्ता हथियाई है। आरक्षण के
मुद्दे पर भाजपा ने भी यूटर्न लिया। अन्य दलों ने भी ऐसे बाण छोड़े, जिनका कोई तोड़ नहीं
है। लेकिन भाजपा को जब हर ओर हताशा हाथ लगती है तो देश में सांप्रदायिक मुद्दों को
हवा दे देती है। देश की जनता जानती है, यह सब सतही है। लेकिन जब हवा बनती है तो जनता
भ्रमित हो जाती है। हम जिस जिले में रहते हैं, उसके पड़ोस में बड़ी संख्या में मुसलमान
रहते हैं। वे हमारे परिवार का हिस्सा है। देश में कैसे भी हालात हो, हम प्रेम से रहते
हैं। मुसलमान इस देश की शान है। इनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।
इस देश की आजादी में मुसलमानों का भी बड़ा योगदान रहा है। हिंदुस्तान की
बात करेंगे तो मुसलमानों को भी साथ लेकर चलना होगा। लेकिन देश की राजनीति में अपने
स्वार्थ की खातिर मुसलमानों को डरा-धमकाकर रखा जा रहा है। इन दिनों देश का माहौल कैसा
है? बात इसी पर करते हैं। माहौल बिगाड़ा जा रहा है। इसका फायदा किसे हैं, उन नेताओं
को जो अपनी रोटियां सेंकना चाहते हैं। ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जिससे तनाव बढ़े। कोई
छींटे नहीं डाल रहा। बल्कि आग को हवा दे रहा है। अखबारों को विज्ञापन से मतलब है। देश
के माहौल को लेकर जिम्मेदारी से मीडिया बच नहीं सकता। देश में अधिक स्थानों पर बीजेपी
का शासन है। ऐसे में मीडिया भी अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है। एक पंक्ति देश में आग
लगा सकती है। ऐसे में मीडिया को विवाद से बचना होगा।
लेकिन चर्चा में रहने के लिए ऐसे
मुद्दों को हवा दी जाती है। इस समय देश में अराजगता का माहौल है। मोदी बोल नहीं रहे
हैं, लेकिन वे मुद्दों को भुनाना जानते हैं। मोदी ने अभी ऐसा कुछ नहीं किया, जिससे
उनकी सराहना की जाए। पूंजीपतियों ने मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाया और मोदी पूंजीपतियों
को उपकृत कर रहे हैं। अगर विरोध करते हैं तो दूसरे मुद्दे उठा कर माहौल बिगाड़ देते
हैं। गौरतलब है कि इस देश की मीडिया पर पूंजीपतियों का कब्जा है। सवर्ण जाति के लोग
ही अधिकतर संपादक और संवाददाता है। वे अपने मालिकों को खुश करने के लिए उनके मुताबिक
खबरें देते हैं। मीडिया का मतलब पूंजीवादी ताकतें हैं। ये वही ताकते हैं जो आजादी के
बाद से अपना दांव चलती आई है, लेकिन इस देश की जनता ने कभी उसका साथ नहीं दिया। लेकिन
लंबे वैचारिक युद्ध के बाद कांग्रेस को धक्का पहुंचाने में मीडिया का बड़ा रोल रहा है।
मीडिया ने ही कांग्रेस को खलनायक और मोदी को नायक बनाया। मीडिया कब किसको क्या बना
दे, कहा नहीं जा सकता। हम मीडिया से जिम्मेदार होने की अपेक्षा ही कर सकते हैं, आखिर
पूंजीवादी शक्तियों के इशारे पर कब तक मीडिया चलेगा। क्या स्वतंत्र कलम चलेगी, या यूं
ही एक विचारधारा देश पर थौंपी जाएगी।
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