Sunday, 1 November 2015

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श्रमिकों से बोनस के नाम पर छलावा

-श्रम आयुक्त कार्यालय में इंस्पेक्टरों की कमी, बिना प्रमाणिकरण के फैक्ट्री संचालक बोनस के नाम पर करते हैं बंदरबांट, निरीक्षकों को भी मिलता है पिछले रास्ते दीपावली बोनस

-डीके पुरोहित-

दीपावली पर बोनस के नाम पर जोधपुर संभाग में श्रमिकों के साथ छलावा हो रहा है। फैक्ट्री संचालक और ठेकेदार श्रमिकों को पहली बात तो बोनस देते नहीं है। इसके बावजूद यदि बोनस की बात आती है तो उपहार स्वरूप बर्तन इत्यादि की बंदरबांट कर देते हैं। इन बर्तनों व उपकरणों की कीमत बोनस के बराबर बताकर श्रमिकों के साथ छल किया जा रहा है। कई फैक्ट्री संचालक व ठेकेदार श्रमिकों को बोनस के नाम पर परात, भगोला, टिफिन, गिलास, कटोरी और ऐसे ही आइटम देते हैं। इनको बाजार से डिस्काउंट व कम राशि में खरीदा जाता है। बैलेंस शीट में दिखाने के लिए इनका अधिक बिल बना लिया जाता है। बाद में श्रमिकों को बांटा जाता है। यूनियन में दबंग श्रमिकों को उनका चेहरा देखकर उपहार बांटा जा रहा है। ऐसा कई बरसों से हो रहा है। श्रमिक हर बार छला जा रहा है, लेकिन श्रम आयुक्त कार्यालय कोई कार्रवाई करने की बजाय खुद दीपावली मना लेता है।

नियमानुसार बोनस की राशि श्रम आयुक्त कार्यालय के इंस्पेक्टर की निगरानी या प्रमाण करने के बाद ही बांटा जाना चाहिए। जोधपुर संभाग में इंस्पेक्टरों की कमी है। ऐसे में ये इंस्पेक्टर सैकड़ों फैक्ट्रियों व ठेकेदारों के यहां जाकर बोनस का प्रमाणिकरण नहीं कर पाते। होता यह है कि फैक्ट्री मालिक, ठेकेदार व संचालक बोनस की राशि बांटने की बजाय गिफ्ट खरीद लेते हैं। कम राशि में गिफ्ट खरीदकर इसे अधिक राशि का दिखाकर बोनस के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है। यदि इस मामले में जांच हो तो सच्चाई सामने आ सकती है।


हालत यह है कि श्रम आयुक्त कार्यालय के इंस्पेक्टर फैक्ट्रियों का निरीक्षण करने की बजाय उपहार बांटने के बाद कागजात पर हस्ताक्षर कर लेते हैं। भौतिक रूप से सैकड़ों फैक्ट्रियों में कम इंस्पेक्टर होने की वजह से प्रमाणिकरण नहीं हो पाता। न ही इंस्पेक्टरों की रुचि ही रहती। बाद में बोनस के रूप में बांटी गई राशि या उपकरणों का वे प्रमाणिकरण कर देते हैं। इस कलाकारी में वे अपना बोनस भी बना लेते हैं। ऐसा कई बरसों से हो रहा है, मगर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। 

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