Thursday, 23 April 2015

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अनीता जांगिड़ की दो क्षणिकाएं






-अनीता जांगिड़ नई पीढ़ी की सशक्त हस्ताक्षर है। प्रेम की गहराइयों और भावनाओं को उन्होंने शब्दों में इस कदर पिरोया है कि एक-एक शब्द में संवेदनाओं का सागर है। 


किनारा

वो किनारा कर गए
हम से इस कदर कि
कुछ कर भी ना पाए
उन्होंने इशारा तो किया
मगर हम ही कुछ समझ न पाए
साथ था वो पल भर का
पर पूरा जीवन जी लिया
बस ये इल्म रह गया
कि मुहब्बत का इजहार न कर पाए


कदम

क्यूं ठहर जाते हैं कदम बढ़ने से पहले
जीवन में प्यार की कभी कमी नहीं होगी
यादों से भी आंख कभी नम नहीं होगी
सिखाया था जीवन को जीना जिंदादिली से जिसने
बस उनके लिए हम जी रहे हैं
यह बात बतानी हर किसी को जरूरी नहीं होगी। 


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