Wednesday, 20 July 2016

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मदरसों की पुलिस जांच क्यों? राज्य सरकार के फरमान से मुसलमानों में रोष












-देश में मदरसों का गौरवमयी इतिहास रहा है, यहां दीनी एवं दुनियावी तालीम दी जा रही है, जिस तरह स्कूलों में देवी-देवताओं की प्रार्थना होती है, उसी तरह यहां भी कुरआन की शिक्षाओं और दीनी तालीम देने का उपक्रम किया जाता है, राजस्थान में संघ के इशारे पर मदरसों की पुलिस जांच का फरमान जारी कर राज्य सरकार की खूब आलोचना हो रही है, मुस्लिम लीडर का कहना है कि इस आदेश का मिलकर विरोध किया जाएगा

-डी.के. पुरोहित-

देश में मदरसों का गौरवमयी इतिहास रहा है। मदरसा एक अरबी शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ है-विद्यालय। तुर्की मेद्रेस, इस्लाम में उच्च शिक्षा का एक संस्थान है। मदरसा 20वीं शताब्दी तक कुरआन की शिक्षाओं पर केंद्रित पाठ्यक्रम के साथ एक अध्यात्मवादी गुरुकुल व कानून के विद्यालय के रूप में मौजूद रहा है। पाठ्यक्रम इस्लामी अध्यात्मकवाद व कानून के अलावा, अरबी व्याकरण व साहित्य के अलावा गणित, तर्कशास्त्र और कभी-कभी प्राकृतिक विज्ञान भी मदरसों में पढ़ाए जाते थे। अध्यापन निशुल्क व भोजन, आवास उपलब्ध कराने के अलावा चिकित्सकीय देखभाल भी की जाती थी। शिक्षण सामान्यत: आंगन में होता था व इसमें मुख्यत: पाठ्य-पुस्तकों व शिक्षक के उपदेशों को कंठस्थ करना होता था। शिक्षक अपने विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र जारी करता था, जिसमें उसके शब्दों को दोहराने की अनुमति होती थी। शहजादे व अमीर परिवार भवनों के निर्माण और विद्यार्थियों व शिक्षकों को वृत्ति देने के लिए दान में धन देते थे। 12वीं शताब्दी के अंत तक दमिश्क, बगदाद, मोसल व अधिकांश अन्य मुस्लिम शहरों में मदरसे फलफूल रहे थे। भारत में मदरसे दिल्ली सल्तनत काल में 12वीं शताब्दी में शुरू होने का अनुमान है। लेकिन अधिक प्रसिद्ध मदरसे मुगलकाल के अंत में उभरे। विद्वान शाह वली अल्लाह के पिता शाह अब्दुर्रहीम ने 17वीं शताब्दी के अंत में दिल्ली में सर्वप्रथम औपचारिक संस्थानों में से एक मदरसा- रहीमिया स्थापित किया। लखनऊ में मुल्ला निजामुद्दीन सिहलवी, जिन्होंने मदरसा-ए फिरंगी महल की स्थापना 18वीं शताब्दी के आरंभ में की थी, ने उप महाद्वीप के कई मदसों में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम दरस 4-निजामी का सूत्रपात किया। 1867 में देवबंद, उत्तरप्रदेश में मुहम्मद आबिद हुसैन व अन्य ने मदरसा-ए-दारूल उलूम की स्थापना की। इसे इस्लामी अध्यात्मवाद के विश्व के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों में से एक माना जाता है। इन विद्यालयों के पूर्व छात्रों ने समूचे दक्षिण एशिया में कई छोटे मदरसों की स्थापना की। उनके पाठ्यक्रमों का मिस्र तक के विद्यालयों पर प्रभाव रहा है।








यह है मदरसों का गौरवमयी इतिहास। लेकिन देश के साथ-साथ राजस्थान में मदरसों को जेहादी शिक्षा का केंद्र माना जाने लगा है।। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, शिवसेना और विश्व हिंदू परिषद सरीखे अतिवादी हिंछू संगठनों की आंख में मदरसे किरकरी के रूप में खटकने लगे हैं। पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी की वसुंधरा सरकार ने राज्य में मदरसों की पुलिस जांच के आदेश दिए हैं। दीनी एवं दुनियावी तालीम के केंद्र इन मदरसों की पुलिस जांच के बाद राजस्थान की राजनीति में जैसे भूचाल आ गया है। इस एकतरफा फैसले का राज्य के मुसलमानों ने विरोध करना शुरू कर दिया है, मगर सरकार ने इस तरफ ध्यान देने की बजाय जांच शुरू करवा भी ली। ऐसे में मुस्लिम समुदाय में भय जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। देश में और राज्य में हिंदू मुस्लिम मिलजुल कर रहते आए हैं। हिंदू जहां मंदिरों में आराधना करते हैं और स्कूलों में देवी-देवताओं की प्रार्थना की जाती है, वहीं राम-कृष्ण जैसे विषय स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा रहे हैं। ऐसे में मदरसों में की जा रही दीनी एवं दुनियावी तालीम भाजपा सरकार को क्यों अखर रही है? इसे समझना हो तो राजनीति व हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के रूप में देखा जा सकता है। आखिर ऐसी क्या परिस्थितियां हो गईं और सरकार की क्या मजबूरी रही कि मदरसों जैसे पाक शिक्षा केंद्रों को पुलिस जांच की आवश्यकता हो गई। यह तो सरासर मुस्लिम कम्यूनिटी को परेशान करने का राजनीतिक षड़यंत्र ही है।








राज्य सरकार ने मदरसों की जांच शुरू भी करवा दी है। इसके लिए पुलिस को जिम्मा सौंपा गया है। जांच में यह पता लगाया जाएगा कि यहां कोई संदिग्ध गतिविधियां तो संचालित नहीं हो रही। इसके लिए 14 बिंदुओं का फॉर्मेट तय कर सभी एसपी को पत्र लिखा गया है। पुलिस मदरसों के नाम, विचारधारा, रजिस्ट्रेशन की डिटेल सहित कई अन्य जानकारियां भी एकत्रित करेंगी। एडीजी (इंटेलीजेंस) जेआर साहू के अनुसार यह रुटीन प्रोसेस है।








मदरसों में कथित संदिग्ध गतिविधियों के संचालित होने के आरोप लग रहे हैं। पिछले साल रामगढ़ विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने सदन में पूछा था कि क्या मदरसों में संदिग्ध गतिविधियां संचालित हो रही हैं? क्या इनमें धर्म और देशविरोधी बातें सिखाई जा रही है। इस साल भी यह मुद्दा विधानसभा में उठा। माना जा रहा है कि इसके बाद ही सरकार ने यह फैसला किया है।








प्रदेश में 3842 मदरसे चल रहे हैं। इनमें से 3523 मदरसे प्राथमिक स्तर के मदरसा बोर्ड में पंजीकृत है। 319 मदरसे उच्च प्राथमिक स्तर के हैं। 729 मदरसों का कम छात्र संख्या के कारण पंजीयन रद्द हो चुका है। इनके अलावा 1 हजार गैर पंजीकृत मदरसे संचालित होा रहे हैं। उधर मदरसा बोर्ड की अध्यक्ष मेहरुनिसा टाक का कहना है कि जांच मदरसा बोर्ड या शिक्षा विभाग भी कर सकता था, लेकिन कोई थर्ड पार्टी कर रही है तो अच्छी बात है। सचाई सामने आ जाएगी कि यहां कोई संदिग्ध गतिविधियां नहीं चलती है। टाक ने मांग उठाई कि सरकार को उन सभी शिक्षण संस्थाओं का भी वेरिफिकेशन करना चाहिए जो बाहर के लोग यहां आकर खोल रहे हैं।








यह होंगे जांच के बिंदु :

-स्वामी या संचालक का नाम, पिता का नाम, पता और मोबाइल नंबर।
-बाहरी और स्थानीय विद्यार्थियों की संख्या।
-मदरसा पंजीकृत है या गैर पंजीकृत।
-अध्यापक या मौलवी का नाम, पिता का नाम, फोन या मोबाइल नंबर।
-मदरसा शिया, सुन्नी, देवबंद या बरेलवी में से कौनसी विचारधारा से संबंधित है।
-मदरसों में तबलीग जमातों का आना-जाना रहता है या  नहीं।
-मदरसा सरकार भूमि, निजी भूमिया किराए में से किस पर संचालित है।








मदरसा बोर्ड का गठन :

राजस्थान में लगभग 3842 मदरसे पंजीकृत है जो की स्कूल शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त हैं। विभिन्न शहरों, कस्बों, दूरस्थ गांवों-ढाणियों में छोटे-बड़े रूप में ये मदरसे चल रहे हैं। इन मदरसों में बड़ी तादाद में मुस्लिम समुदाय के बच्चे दीनी तालीम हासिल कर रहे हैं। अनुमानत: 2.50 लाख से अधिक विद्यार्थी आधुनिक शिक्षा के लिए इन मदरसों में अध्ययनरत हैं। वर्तमान में 3842 मदरसे आधुनिक शिक्षण सहायतार्थ राजस्थान मदरसा बोर्ड पंजीकृत हैं। इनमें प्राथमिक स्तर के 3842 व उच्च प्राथमिक स्तर के 319 मदरसे हैं। इन बच्चों को दुनियावी तालीम के तहत हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान विषयों की प्रारंभिक व उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा दी जा रही है। मदरसों का पंजीयन कर आधुनिक शिक्षा के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाने का कार्य राजस्थान बोर्ड ऑफ मुस्लिम वक्फ के माध्यम से वर्ष 1999-2000 से शुरू किया गया था। राजस्थान मदरसा बोर्ड का गठन प्रारंभिक शिक्षा विभाग द्वारा किया गया। राजस्थान सरकार द्वारा ऐसा महसूस किया गया कि राज्य में संचालित इन मदरसों में केवल दीनी तालीम दी जाती है। इनमें अधिकांश बच्चे आधुनिक शिक्षा के लिए किसी भी सरकारी अथवा गैर सरकारी स्कूल में नामांकित नहीं है। फलत: ये बच्चे आधुनिक शिक्षा से महरूम हो रहे हैं। इसलिए इन बच्चों को मदरसे में ही आधुनिक शिक्षा देने के उद्देश्य से समाज व सरकार की सहभागिता े तहत राजस्थान मदरसा बोर्ड का गठन किया गया।









मदरसों के क्रिया कलाप :
-राज्य में संचालित वह मदरसे जिनमें अध्ययनरत बच्चे किसी भी सरकारी अथवा गैर सरकारी स्कूल में आधुनिक शिक्षा नहीं ले रहे हैं, उन बच्चों को मदरसों में ही राजस्थान स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित सप्ताह में छह दिन दैनिक 5-6 घंटे की आधुनिक शिक्षा देने के उद्देश्य से समाज एवं सरकार की सहभागिता के तहत उन मदरसों को मदरसा बोर्ड में पंजीकृत करवाने के लिए प्रेरित करना है। राज्य सरकार द्वारा इसके लिए पंजीयन नीति तैयार की है।
-पंजीकृत मदरसों को आधुनिक शिक्षा अध्यापन के लिए शिक्षा सहयोगी उपलब्ध करवाए जाते हैं।
-पंजीकृत मदरसों को शिक्षण-प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध करवाई जाती है।
-पंजीकृत मदरसों को आधारभूत संरचना के लिए भवन अनुदान दिया जाता है।
-पंजीकृत मदरसों को आधुनिक शिक्षा के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती है।
-पंजीकृत मदरसों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर साजो-सामान उपलब्ध करवाए जाते हैं। ऐसी कई अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाती है।







कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुमार खान से विशेष बातचीत :
वर्ल्ड स्ट्रीट  : मदरसों की गतिविधियां बताएं ?
सुमार खान : मदरसों में उर्दू, अरबी व फारसी की पढ़ाई होती है। कुरआन को हिफ्ज भी कराया जाता है। इस्लाम के बारे में भी सही तालीम दी जाती है। ताकी मुसलमान सही तरीके से अपना जीवन कामयाब कर सकें। हिंदी की तालीम भी कुछ मदरसों में दी जाती है। यह मदरसे पूर्णतया जकात की रकम से चलते हैं। कुछ जगह सरकार भी सहायता देती है।
वर्ल्ड स्ट्रीट : क्या मदरसों की जांच के आदेश देकर भाजपा सरकार ने राजनीतिक षड़यंत्र रचा है :
सुमार खान : जी, बिलकुल, सरकार ने पुलिस जांच कराने के लिए जो कार्रवाई की है, वह पूर्णतया राजनीतिक षड़यंत्र है। यह आदेश ही गलत है। निंदलीय है। इसमें राजनीतिक भेदभाव साफ नजर आ रहा है। मदरसों में आज तक कहीं आपराधिक गतिविधियां नजर नहीं आई है। जबकि पुलिस का काम है आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखना है। मदरसे रजिस्टर्ड होते हैं उस दौरान पूरी जानकारी भरी जाती है। कुछ भी छिपाया नहीं जाता है। पुर पुलिस जांच के आदेश क्यों? सरकार को जानकारी चाहिए तो सरकारी मास्टरों या शिक्षा विभाग से करवाए। रजिस्ट्रार ऑफिस से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
वर्ल्ड स्ट्रीट : मदरसे क्या स्कूल से हटकर हैं?
सुमार खान : नहीं, मदरसे भी स्कूल का ही रूप हैं। यहां पाक तालीम दी जाती है।देश में मोहब्बत से रहना और अमन चैन की शिक्षा दी जाती है। जब स्कूलों की पुलिस जांच नहीं की जापती है तो मदरसों की पुलिस जांच क्यों? यह सरासर गलत है। इसका हम विरोध करेंगे।
राजनीतिक करंट : वसुंधरा सरकार से क्या कहना चाहेंगे?
सुमार खान : देश आजाद हुए इतने साल हो गए हैं। कभी कहीं मदरसों में गलत काम नहीं हुआ। अगर हुआ है तो सबूत के साथ बताएं। यहां किसी प्रकार  की संदिग्ध गतिविधियां नहीं संचालित होती। ऐसा अचानक क्या हो गया कि पुलिस जांच की नौबत आ गई? इससे पहले भी भारतीय जनता पार्टी की सरकारें रही हैं, मगर कभी किसी मुख्यमंत्री ने मदरसों की पुलिस जांच के आदेश नहीं दिए। खुद वसुंधरा भी दूसरी बार मुख्यमंत्री बनी है। पहले कार्यकाल में तो ऐसा कदम नहीं उठाया। दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कुछ ज्यादा ही हस्तक्षेप कर रहा है। सरकार को ऐसी गंदी राजनीति बंद करनी चाहिए। अगर इस आदेश को वापस नहीं लिया तो मुसलमान आंदोलन करेंगे। 










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