Wednesday, 20 July 2016

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मदरसों की पुलिस जांच क्यों? राज्य सरकार के फरमान से मुसलमानों में रोष












-देश में मदरसों का गौरवमयी इतिहास रहा है, यहां दीनी एवं दुनियावी तालीम दी जा रही है, जिस तरह स्कूलों में देवी-देवताओं की प्रार्थना होती है, उसी तरह यहां भी कुरआन की शिक्षाओं और दीनी तालीम देने का उपक्रम किया जाता है, राजस्थान में संघ के इशारे पर मदरसों की पुलिस जांच का फरमान जारी कर राज्य सरकार की खूब आलोचना हो रही है, मुस्लिम लीडर का कहना है कि इस आदेश का मिलकर विरोध किया जाएगा

-डी.के. पुरोहित-

देश में मदरसों का गौरवमयी इतिहास रहा है। मदरसा एक अरबी शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ है-विद्यालय। तुर्की मेद्रेस, इस्लाम में उच्च शिक्षा का एक संस्थान है। मदरसा 20वीं शताब्दी तक कुरआन की शिक्षाओं पर केंद्रित पाठ्यक्रम के साथ एक अध्यात्मवादी गुरुकुल व कानून के विद्यालय के रूप में मौजूद रहा है। पाठ्यक्रम इस्लामी अध्यात्मकवाद व कानून के अलावा, अरबी व्याकरण व साहित्य के अलावा गणित, तर्कशास्त्र और कभी-कभी प्राकृतिक विज्ञान भी मदरसों में पढ़ाए जाते थे। अध्यापन निशुल्क व भोजन, आवास उपलब्ध कराने के अलावा चिकित्सकीय देखभाल भी की जाती थी। शिक्षण सामान्यत: आंगन में होता था व इसमें मुख्यत: पाठ्य-पुस्तकों व शिक्षक के उपदेशों को कंठस्थ करना होता था। शिक्षक अपने विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र जारी करता था, जिसमें उसके शब्दों को दोहराने की अनुमति होती थी। शहजादे व अमीर परिवार भवनों के निर्माण और विद्यार्थियों व शिक्षकों को वृत्ति देने के लिए दान में धन देते थे। 12वीं शताब्दी के अंत तक दमिश्क, बगदाद, मोसल व अधिकांश अन्य मुस्लिम शहरों में मदरसे फलफूल रहे थे। भारत में मदरसे दिल्ली सल्तनत काल में 12वीं शताब्दी में शुरू होने का अनुमान है। लेकिन अधिक प्रसिद्ध मदरसे मुगलकाल के अंत में उभरे। विद्वान शाह वली अल्लाह के पिता शाह अब्दुर्रहीम ने 17वीं शताब्दी के अंत में दिल्ली में सर्वप्रथम औपचारिक संस्थानों में से एक मदरसा- रहीमिया स्थापित किया। लखनऊ में मुल्ला निजामुद्दीन सिहलवी, जिन्होंने मदरसा-ए फिरंगी महल की स्थापना 18वीं शताब्दी के आरंभ में की थी, ने उप महाद्वीप के कई मदसों में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम दरस 4-निजामी का सूत्रपात किया। 1867 में देवबंद, उत्तरप्रदेश में मुहम्मद आबिद हुसैन व अन्य ने मदरसा-ए-दारूल उलूम की स्थापना की। इसे इस्लामी अध्यात्मवाद के विश्व के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों में से एक माना जाता है। इन विद्यालयों के पूर्व छात्रों ने समूचे दक्षिण एशिया में कई छोटे मदरसों की स्थापना की। उनके पाठ्यक्रमों का मिस्र तक के विद्यालयों पर प्रभाव रहा है।








यह है मदरसों का गौरवमयी इतिहास। लेकिन देश के साथ-साथ राजस्थान में मदरसों को जेहादी शिक्षा का केंद्र माना जाने लगा है।। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, शिवसेना और विश्व हिंदू परिषद सरीखे अतिवादी हिंछू संगठनों की आंख में मदरसे किरकरी के रूप में खटकने लगे हैं। पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी की वसुंधरा सरकार ने राज्य में मदरसों की पुलिस जांच के आदेश दिए हैं। दीनी एवं दुनियावी तालीम के केंद्र इन मदरसों की पुलिस जांच के बाद राजस्थान की राजनीति में जैसे भूचाल आ गया है। इस एकतरफा फैसले का राज्य के मुसलमानों ने विरोध करना शुरू कर दिया है, मगर सरकार ने इस तरफ ध्यान देने की बजाय जांच शुरू करवा भी ली। ऐसे में मुस्लिम समुदाय में भय जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। देश में और राज्य में हिंदू मुस्लिम मिलजुल कर रहते आए हैं। हिंदू जहां मंदिरों में आराधना करते हैं और स्कूलों में देवी-देवताओं की प्रार्थना की जाती है, वहीं राम-कृष्ण जैसे विषय स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा रहे हैं। ऐसे में मदरसों में की जा रही दीनी एवं दुनियावी तालीम भाजपा सरकार को क्यों अखर रही है? इसे समझना हो तो राजनीति व हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के रूप में देखा जा सकता है। आखिर ऐसी क्या परिस्थितियां हो गईं और सरकार की क्या मजबूरी रही कि मदरसों जैसे पाक शिक्षा केंद्रों को पुलिस जांच की आवश्यकता हो गई। यह तो सरासर मुस्लिम कम्यूनिटी को परेशान करने का राजनीतिक षड़यंत्र ही है।








राज्य सरकार ने मदरसों की जांच शुरू भी करवा दी है। इसके लिए पुलिस को जिम्मा सौंपा गया है। जांच में यह पता लगाया जाएगा कि यहां कोई संदिग्ध गतिविधियां तो संचालित नहीं हो रही। इसके लिए 14 बिंदुओं का फॉर्मेट तय कर सभी एसपी को पत्र लिखा गया है। पुलिस मदरसों के नाम, विचारधारा, रजिस्ट्रेशन की डिटेल सहित कई अन्य जानकारियां भी एकत्रित करेंगी। एडीजी (इंटेलीजेंस) जेआर साहू के अनुसार यह रुटीन प्रोसेस है।








मदरसों में कथित संदिग्ध गतिविधियों के संचालित होने के आरोप लग रहे हैं। पिछले साल रामगढ़ विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने सदन में पूछा था कि क्या मदरसों में संदिग्ध गतिविधियां संचालित हो रही हैं? क्या इनमें धर्म और देशविरोधी बातें सिखाई जा रही है। इस साल भी यह मुद्दा विधानसभा में उठा। माना जा रहा है कि इसके बाद ही सरकार ने यह फैसला किया है।








प्रदेश में 3842 मदरसे चल रहे हैं। इनमें से 3523 मदरसे प्राथमिक स्तर के मदरसा बोर्ड में पंजीकृत है। 319 मदरसे उच्च प्राथमिक स्तर के हैं। 729 मदरसों का कम छात्र संख्या के कारण पंजीयन रद्द हो चुका है। इनके अलावा 1 हजार गैर पंजीकृत मदरसे संचालित होा रहे हैं। उधर मदरसा बोर्ड की अध्यक्ष मेहरुनिसा टाक का कहना है कि जांच मदरसा बोर्ड या शिक्षा विभाग भी कर सकता था, लेकिन कोई थर्ड पार्टी कर रही है तो अच्छी बात है। सचाई सामने आ जाएगी कि यहां कोई संदिग्ध गतिविधियां नहीं चलती है। टाक ने मांग उठाई कि सरकार को उन सभी शिक्षण संस्थाओं का भी वेरिफिकेशन करना चाहिए जो बाहर के लोग यहां आकर खोल रहे हैं।








यह होंगे जांच के बिंदु :

-स्वामी या संचालक का नाम, पिता का नाम, पता और मोबाइल नंबर।
-बाहरी और स्थानीय विद्यार्थियों की संख्या।
-मदरसा पंजीकृत है या गैर पंजीकृत।
-अध्यापक या मौलवी का नाम, पिता का नाम, फोन या मोबाइल नंबर।
-मदरसा शिया, सुन्नी, देवबंद या बरेलवी में से कौनसी विचारधारा से संबंधित है।
-मदरसों में तबलीग जमातों का आना-जाना रहता है या  नहीं।
-मदरसा सरकार भूमि, निजी भूमिया किराए में से किस पर संचालित है।








मदरसा बोर्ड का गठन :

राजस्थान में लगभग 3842 मदरसे पंजीकृत है जो की स्कूल शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त हैं। विभिन्न शहरों, कस्बों, दूरस्थ गांवों-ढाणियों में छोटे-बड़े रूप में ये मदरसे चल रहे हैं। इन मदरसों में बड़ी तादाद में मुस्लिम समुदाय के बच्चे दीनी तालीम हासिल कर रहे हैं। अनुमानत: 2.50 लाख से अधिक विद्यार्थी आधुनिक शिक्षा के लिए इन मदरसों में अध्ययनरत हैं। वर्तमान में 3842 मदरसे आधुनिक शिक्षण सहायतार्थ राजस्थान मदरसा बोर्ड पंजीकृत हैं। इनमें प्राथमिक स्तर के 3842 व उच्च प्राथमिक स्तर के 319 मदरसे हैं। इन बच्चों को दुनियावी तालीम के तहत हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान विषयों की प्रारंभिक व उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा दी जा रही है। मदरसों का पंजीयन कर आधुनिक शिक्षा के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाने का कार्य राजस्थान बोर्ड ऑफ मुस्लिम वक्फ के माध्यम से वर्ष 1999-2000 से शुरू किया गया था। राजस्थान मदरसा बोर्ड का गठन प्रारंभिक शिक्षा विभाग द्वारा किया गया। राजस्थान सरकार द्वारा ऐसा महसूस किया गया कि राज्य में संचालित इन मदरसों में केवल दीनी तालीम दी जाती है। इनमें अधिकांश बच्चे आधुनिक शिक्षा के लिए किसी भी सरकारी अथवा गैर सरकारी स्कूल में नामांकित नहीं है। फलत: ये बच्चे आधुनिक शिक्षा से महरूम हो रहे हैं। इसलिए इन बच्चों को मदरसे में ही आधुनिक शिक्षा देने के उद्देश्य से समाज व सरकार की सहभागिता े तहत राजस्थान मदरसा बोर्ड का गठन किया गया।









मदरसों के क्रिया कलाप :
-राज्य में संचालित वह मदरसे जिनमें अध्ययनरत बच्चे किसी भी सरकारी अथवा गैर सरकारी स्कूल में आधुनिक शिक्षा नहीं ले रहे हैं, उन बच्चों को मदरसों में ही राजस्थान स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित सप्ताह में छह दिन दैनिक 5-6 घंटे की आधुनिक शिक्षा देने के उद्देश्य से समाज एवं सरकार की सहभागिता के तहत उन मदरसों को मदरसा बोर्ड में पंजीकृत करवाने के लिए प्रेरित करना है। राज्य सरकार द्वारा इसके लिए पंजीयन नीति तैयार की है।
-पंजीकृत मदरसों को आधुनिक शिक्षा अध्यापन के लिए शिक्षा सहयोगी उपलब्ध करवाए जाते हैं।
-पंजीकृत मदरसों को शिक्षण-प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध करवाई जाती है।
-पंजीकृत मदरसों को आधारभूत संरचना के लिए भवन अनुदान दिया जाता है।
-पंजीकृत मदरसों को आधुनिक शिक्षा के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती है।
-पंजीकृत मदरसों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर साजो-सामान उपलब्ध करवाए जाते हैं। ऐसी कई अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाती है।







कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुमार खान से विशेष बातचीत :
वर्ल्ड स्ट्रीट  : मदरसों की गतिविधियां बताएं ?
सुमार खान : मदरसों में उर्दू, अरबी व फारसी की पढ़ाई होती है। कुरआन को हिफ्ज भी कराया जाता है। इस्लाम के बारे में भी सही तालीम दी जाती है। ताकी मुसलमान सही तरीके से अपना जीवन कामयाब कर सकें। हिंदी की तालीम भी कुछ मदरसों में दी जाती है। यह मदरसे पूर्णतया जकात की रकम से चलते हैं। कुछ जगह सरकार भी सहायता देती है।
वर्ल्ड स्ट्रीट : क्या मदरसों की जांच के आदेश देकर भाजपा सरकार ने राजनीतिक षड़यंत्र रचा है :
सुमार खान : जी, बिलकुल, सरकार ने पुलिस जांच कराने के लिए जो कार्रवाई की है, वह पूर्णतया राजनीतिक षड़यंत्र है। यह आदेश ही गलत है। निंदलीय है। इसमें राजनीतिक भेदभाव साफ नजर आ रहा है। मदरसों में आज तक कहीं आपराधिक गतिविधियां नजर नहीं आई है। जबकि पुलिस का काम है आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखना है। मदरसे रजिस्टर्ड होते हैं उस दौरान पूरी जानकारी भरी जाती है। कुछ भी छिपाया नहीं जाता है। पुर पुलिस जांच के आदेश क्यों? सरकार को जानकारी चाहिए तो सरकारी मास्टरों या शिक्षा विभाग से करवाए। रजिस्ट्रार ऑफिस से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
वर्ल्ड स्ट्रीट : मदरसे क्या स्कूल से हटकर हैं?
सुमार खान : नहीं, मदरसे भी स्कूल का ही रूप हैं। यहां पाक तालीम दी जाती है।देश में मोहब्बत से रहना और अमन चैन की शिक्षा दी जाती है। जब स्कूलों की पुलिस जांच नहीं की जापती है तो मदरसों की पुलिस जांच क्यों? यह सरासर गलत है। इसका हम विरोध करेंगे।
राजनीतिक करंट : वसुंधरा सरकार से क्या कहना चाहेंगे?
सुमार खान : देश आजाद हुए इतने साल हो गए हैं। कभी कहीं मदरसों में गलत काम नहीं हुआ। अगर हुआ है तो सबूत के साथ बताएं। यहां किसी प्रकार  की संदिग्ध गतिविधियां नहीं संचालित होती। ऐसा अचानक क्या हो गया कि पुलिस जांच की नौबत आ गई? इससे पहले भी भारतीय जनता पार्टी की सरकारें रही हैं, मगर कभी किसी मुख्यमंत्री ने मदरसों की पुलिस जांच के आदेश नहीं दिए। खुद वसुंधरा भी दूसरी बार मुख्यमंत्री बनी है। पहले कार्यकाल में तो ऐसा कदम नहीं उठाया। दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कुछ ज्यादा ही हस्तक्षेप कर रहा है। सरकार को ऐसी गंदी राजनीति बंद करनी चाहिए। अगर इस आदेश को वापस नहीं लिया तो मुसलमान आंदोलन करेंगे। 










राजस्थान के पर्यटन स्थलों पर सेक्स वर्कर सक्रिय

-राजस्थान के पर्यटन स्थलों जैसलमेर, जोधपुर, पुष्कर, उदयपुर व माउंट आबू में सेक्स वर्कर सक्रिय हैं, खासकर नेपाली, बंगाली और तेलगु फिल्मों की आइटम गर्ल देह व्यापार में संलग्न हैं






-डी.के. पुरोहित-रिपोर्ट है कि देह व्यापार के लिए नेपाल और बंगाल की युवतियां राजस्थान में सक्रिय हैंं। इस खोटे काम में तेलगु फिल्मों की आइटम गर्ल भी पीछे नहीं हैं। इन युवतियों को शहर की होटलों और रिसोर्ट में देह व्यापार के लिए लाया जा रहा है। कुछ समय पूर्व जोधपुर में तेलगु फिल्मों की आइटम गर्ल को देह व्यापार करते पीटा एक्ट में पकड़ा गया था। इससे पहले शहर की कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में भी कुछ युवतियों को देह व्यापार करते पकड़ा गया था । ये युवतियां भी शहर के बाहर की थीं। अब खबर है कि टूरिज्म के बहाने जोधपुर में सेक्स वर्कर पहुंच रही हैं। पिछले दस सालों में शहर में देह व्यापार फिर से सिर उठा रहा है । यहां घासमंडी क्षेत्र में भी चोरी-छिपे फिर से खोटा काम होने लगा है, अखबारों में भी क्षेत्र फिर से सुर्खियों में रहा । होटलों में ग्राहकों को सेक्स के लिए राजी करने के लिए यहां पेन के माध्यम से संदेश भेजा जाता है । युवतियां यदि हरा पेन दिखाती है तो समझो सेक्स के लिए युवती राजी है और इसे हरी झंडी समझा जाता है। फिर यदि लाल पेन दिखाया जाए तो समझो अभी युवती सेक्स के लिए तैयार नहीं हैं। खबर है कि मुंबई की बार गर्ल्स भी राजस्थान की ओर रुख कर रही हैं। पिछले पांच साल में बड़ी संख्या में बार गर्ल जोधपुर, जैसलमेर, उदयपुर, पुष्कर और माउंटआबू पहुंचीं हैं। ये बार गर्ल दो-चार महीने रहने के बाद फिर मुंबई चली जाती हैं। विदेशी सैलानियों, रईसों और राजनीतिज्ञों के लिए इन्हें उपलब्ध करवाया जाता है। रिपोर्ट है कि एक दिन की कीमत एक लाख रुपए से भी अधिक दी जाती है । ये बार गर्ल रईसों और राजनीतिज्ञों के लिए अपने को समर्पित करने को तैयार रहती है। तेलगु फिल्मों की आइटम गर्ल के बारे में कहा जाता है कि उसने पांच लाख रुपए में सौदा तय किया था। राजस्थान में पुलिस अलर्ट है, धरपकड़ भी की जा रही है । चुनावी दौर में देह व्यापार पर विशेष नजर रखी जाती है। पुलिस होटलों में ठहरने वाली युवतियों व युवकों पर विशेष नजर रख रही हैं । साथ ही पुलिस होटलों के विजिटर रजिस्टर भी खंगाल रही हैं। 








पाली की घटना के बाद बंगाली युवतियों का सेक्स रैकेट सामने आया :
ताजा मामला बंगाली सेक्स वर्कर का सामने आया है। पाली शहर से 15 किलोमीटर दूर रूपावास गांव के पास बोरे में बंद मिली वेस्ट बंगाल की की एक महिला के शव की गुत्थी दो दिन की तहकीकात के बाद सदर थाना पुलिस ने सुलझा दी है। एसपी दीपक भार्गव के अनुसार इस महिला को गत आठ जून की शाम जोधपुर के कुड़ी भगतासनी इलाके में सेक्स रैकेट चलाने वाली दो युवतियों की मदद से एक युवक सांगरिया इलाके में स्टोन कटिंग करने वाली एक फैक्ट्री में अपने साथ ले गया था। जहां चार युवकों ने महिला से दुष्कर्म किया, जिसका महिला ने विरोध किया और उनमें रुपयों के लेनदेन की बात को लेकर विवाद हुआ। उस समय महिला व चारों आरोपी शराब के नशे में थे। महिला ने लेनदेन की बात को लेकर शोर शराबा मचाया तो आरोपियों ने उसे चुप कराने के लिए मुंह दबाया, जिससे वह बेहोश हो गई। इससे घबराए आरोपियों ने बेहोशी की हालत में महिला को अस्पताल ले जाने के बजाय उसे बोरी में बंद किया और उसका पर्स, मोबाइल, आईडी कार्ड व अन्य सामान भी बोरे में डाल दिया। जोधपुर से बोलेरो गाड़ी में डाल कर महिला को पाली के निकट रूपावास गांव के पास केरला मार्ग पर प्याऊ पर पशुओं के पीने के लिए बनाए अवाळे (खेली) में महिला समेत बोरे को फेंक दिया। एएसपी जयपाल यादव व सीओ ग्रामीण आनंद प्रकाश स्वामी के निर्देशन में सदर थाना प्रभारी अमरसिंह रतनू व रोहिट एसएचओ तेजूसिंह की टीम दो दिन की तहकीकात के बाद शनिवार को चारों आरोपियों व दोनों महिला एजेंट को पकड़ कर पाली लाए। पूछताछ के बाद पुलिस ने जोधपुर के खेड़ापा थाना क्षेत्र में डांवरा निवासी जगदीश गुर्जर पुत्र गोकुलराम, ब्यावर के फतेहगढ़ हाल कुड़ी भगतासनी निवासी सुरेंद्रसिंह राजपूत पुत्र बालूसिंह, पाली के रोहिट थाना क्षेत्र में सिणगारी निवासी अमराराम उर्फ ओमाराम भाट पुत्र प्रतापराम तथा मणिहारी निवासी कैलाश कुमावत पुत्र राणाराम को गिरफ्तार कर लिया। कुड़ी भगतासनी सेवन सेक्टर निवासी एजेंट ज्योति कंवर व खुशबू चारण से पुलिस पूछताछ कर और जानकारी जुटा रही हैं। पुलिस की छानबीन में सामने आया है कि वेस्ट बंगाल के नंदिया जिले में सागुमा निवासी मृतका ने अपने पति को तलाक दे रखा है, जो पिछले चार-पांच साल से अहमदाबाद के नडियाद में मोहम्मद अजीज नाम के टैक्सी ड्राइवर के साथ रहती थीं। गत 3 जून को वह जोधपुर में कुड़ी भगतासनी सेवन सेक्टर में सैक्स रैकेट चलानी वाली ज्योति कंवर पत्नी सुरेंद्रसिंह राजपूत के पास पहुंची और 8 जून की शाम तक रही। शाम को खुशबू चारण नाम की एक अन्य एजेंट के मार्फत ज्योति ने सिणगारी निवासी कैलाश कुमावत के साथ भेज दिया, जिसे लेकर वह सांगरिया इलाके में सुरेंद्रसिंह की स्टोन कटिंग फैक्ट्री में पहुंचा। जहां सुरेंद्रसिंह के साथ अमराराम भाट व जगदीश गुर्जर भी मौजूद थे। चारों आरोपियों ने खुद भी शराब पी और मृतका को भी पिलाई और उससे दुष्कर्म किया। आरोपियों ने मृतका को 1500 रुपए दिए तो मृतका ने सौदा 10 हजार रुपए में तय करने की बात कहते हुए बाकी के रुपयों का तकाजा किया। इस बात को लेकर उनमें विवाद हो गया और महिला ने शोर शराबा मचाया। सदर थाना प्रभारी अमरसिंह रतनू व रोहिट एसएचओ तेजूसिंह के साथ हैड कांस्टेबल चैनाराम, कांस्टेबल धूड़ाराम, राजेश, मगाराम, एएसआई राजूसिंह, महिला कांस्टेबल कौशल्या चौधरी, शांति, कांस्टेबल सुशील चौधरी, जगाराम, समंदरसिंह, सुभाष, दिनेश मेघवाल की टीम ने आरोपियों को पकड़ने के लिए घेराबंदी की। घेराबंदी में चारों आरोपी रामदेवरा के निकट पकड़े गए। ये चारों आरोपी ट्रक की केबिन के ऊपर वाले हिस्से में बैठकर एक परिवार की ओर से रामदेवरा में आयोजित प्रसादी कार्यक्रम में शरीक होने जा रहे थे।








हमबिस्तर होने की कीमत 10 से 20 हजार, एजेंट सक्रिय :


जोधपुर में बंगाली युवती की सेक्स रैकेट में सक्रिय होने की सूचना मिलते ही राजस्थान में पुलिस सक्रिय हो गई हैं। जगह-जगह धरपकड़ चला रही हैं। ज्ञात हुआ है कि जोधपुर में बड़ी संख्या में बंगाली युवतियां देह व्यापार में संलग्न है। इन्हें एजेंट के माध्यम से पुरुषों के पास भेजा जाता है। ये एजेंट 20 से 25 हजार में सौदा तय करते हैं। इनमें से युवतियों को दस-दस हजार रुपए दिए जाते हैं। ताजा बंगाली युवती की हत्या के मामले में भी 10 हजार रुपए देना तय हुआ था, मगर दुष्कर्मी ने पूरी राशि नहीं दी तो बंगाली युवती ने शोर मचा दिया और अंतत: उसे जान गंवानी पड़ी। पिछले दस साल में बंगाली युवतियों को जोधपुर मुफीद आया है। आए महीने जोधपुर के हाउसिंग बोर्ड इलाके में सेक्स रैकेट पकड़े जाते हैं। कुछ समय पहले भी हाउसिंग बोर्ड इलाके में सेक्स वर्कर पकड़ी गई थीं। यहां पर कुलीन और सभ्रांत घरों के बिगड़े रईसजादे शौक-मौज के लिए युवतियों के हमबिस्तर होते हैं। इसी तरह पुष्कर, उदयपुर, माउंटआबू के साथ ही जैसलमेर में बड़ी संख्या में देह व्यापार हो रहा है। जैसलमेर के पर्यटन स्थलों पर कंडोम और शराब की बोतले बरामद हो रही हैं, जिससे देह व्यापार की बू आती है। इस देह व्यापार में नेपाल की युवतियां भी पहुंच रही हैं। साउथ की फिल्मों की आइटम गर्ल भी खोटे काम में अपनी भूमिका निभा रही हैं। पुष्कर में आए रोज नशे की हालत में देह व्यापार करती महिलाएं पकड़ी जा रही हैं। पुलिस आए दिन होटलों के विजिटर रजिस्टर तलाशती रही हैं। मुंबई की बार गर्ल भी राजस्थान में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं। राजनेता व उनके बिगड़े रईसजादे इस देह व्यापार में शामिल हो रहे हैं। ये बिगड़े रईसजादे होटलों में कमरे बुक करवाकर अपनी देह पूर्ति करते हैं। इसके लिए युवतियों को मनमानी कीमत दी जाती है। 





Sunday, 3 July 2016

पांच तत्वों से मानव बना, अब छठे तत्व के साथ देगा अतिमानव दस्तक : रविदत्त मोहता






-डीके पुरोहित-
-प्रख्यात कहानीकार व दार्शनिक लेखक रविदत्त मोहता इन दिनों अपनी ताजा पुस्तक अतिमानव से चर्चा में आए हैं। यह पुस्तक ब्रह्मांडीय रहस्यों की दिशा में नई शोध को उजागर करती प्रतीत हो रही हैं। एक आदिमानव की आत्मकथा, अज्ञातवास से ज्ञातवास उनकी आध्यात्मिक चेतना से परिपूर्ण पुस्तकें हैं। उनका हिमाली उपन्यास जल्द बाजार में आएगा। राजीव गांधी सद्भावना सम्मान से अलंकृत मोहता का दर्शन मानव मात्र व विश्व कल्याण से जुड़ा है। पिछले दिनों जोधपुर में उनके आवास पर वर्ल्ड स्ट्रीट की लंबी बातचीत हुई। यहां प्रस्तुत है प्रमुख अंश :-




वर्ल्ड स्ट्रीट : अतिमानव पर विस्तार से बताएं?

मोहता : जैसा कि हम जानते हैं कि ब्रह्मांड में दो तरह की गतियां चल रही हैं-पहली, गोल-गोल घूमना जिसे नासा के उपग्रह अपनी दूरबीनों के द्वारा ग्रहों को घूमता हुआ देखते हैं, दूसरी गति ब्रह्मांड की गति है। इसका प्रवाह चारों दिशाओं में फैलता रहता है। हालांकि ब्रह्मांड में दिशाएं नहीं होती है, सिर्फ समझाने के लिए यह बात कही जा रही है। इस ब्रह्मांडीय गति के कारण ही अंतरिक्ष कभी भी समाप्त नहीं हो सकता। इसलिए अंतरिक्ष को अनंत कहा गया है और जीव को आदि कहा गया है। जीव हमेशा किसी ग्रह पर जन्म लेते हैं। इसलिए जीवन व मरण चलता रहता है। ग्रहों में जीवन व मरण इसलिए चलता है क्योंकि ग्रहों की गति गोल-गोल हैं। अंतरिक्ष हो या ग्रह हो, जीवन का होना या नहीं होना गति सापेक्ष हैं। इसलिए मैं यह कहना चाहता हूं कि अंतरिक्ष की प्रवाहमयी गति के कारण आकाश गंगाओं में जो घूर्णन गति चल रही हैं वो एक दिन घूर्णन के पार जाकर प्रवाहमयी गति में बदल जाएगी और मनुष्य अमरता को प्राप्त कर लेगा। इसलिए मेरा यह प्रामाणिक विश्वास है कि मनुष्य के अंदर से अतिमानव जन्म लेने वाला है। ये अतिमानव मानव से अगली प्रजाति का पहला कदम होगा।

वर्ल्ड स्ट्रीट : आपने एक शब्द इस्तेमाल किया प्रमाणिक विश्वास, इसका खुलासा करें?

मोहता : हमारे वेदों ने बहुत पहले यह उद्घोष किया था-अमरतस्या पुत्रा: यानी मनुष्य अमरता को प्राप्त कर सकता है। यह अमरता गति साक्षेप होने पर ही प्राप्त की जा सकती है। जैसा कि मैंने पूर्व में बताया कि जो मनुष्य धरती पर रहते हुए इसकी घूर्णन गति में रहते हुए किसी दिन इस गति के पार छलांग लगाकर अपने चैतन्य से अंतरिक्ष की प्रवाहमयी गति में चहलकदमी करने लगेगा। वह मानव धरती का पहला अति मानव हो जाएगा। इसलिए मेरा मानना है कि दुनिया में महान घटनाएं सबसे पहले चैतन्य में घटित होती हैं और उसके बाद वही चैतन्य अपने स्वभाव के अनुकूल शरीर का निर्माण करता है और धरती को अति मानव की प्राप्ति होने वाली है। ये सिद्धांत नया तो नहीं हैं, लेकिन डारबिन और मुझमें थोड़ा भेद यह है कि वे शरीर के क्रमिक विकास की बात करते हैं और मैं चैतन्य के क्रमिक विकास की बात करता हूं। मेरा यह सुस्पस्ट अनुभव है कि चेतना की गति अंतरिक्ष की प्रवाहमयी जैसी गति है और शरीर की गति किसी ग्रह की गोल-गोल घूमने जैसी गति है। जो चीजें गोल-गोल घूमती हैं वे एक दिन घिसकर नष्ट हो जाती हैं, इसलिए शरीर पृथ्वी पर नष्ट हो जाता है, लेकिन चेतना अगर अपने स्वभाव अनुकूल अंतरिक्ष की प्रवाहमयी गति के साथ-साथ चलने लगे तो पृथ्वी को अमरता की प्राप्ति हो जाएगी।

वर्ल्ड स्ट्रीट : क्या हमारे प्राचीन शास्त्रों में इस तरफ इशारा किया गया है?

मोहता : हां, यह बात इसारों-इसारों में गीता में श्रीकृष्ण ने इस तरह से कही है-ये योग है जो मैंने सूर्य से कहा, सूर्य ने मनु से कहा और मनु ने ईश्वाकु से कहा, लेकिन हे अर्जुन काल के गाल में यह योग विस्मृत हो गया है, इसलिए मैं तुझे यह पुन: स्मरण करता हूं। मेरे कहने का मतलब यह है कि पार्थिव योग अर्जुन को जब पृथ्वी का महायोद्धा बना सकता है तो अंतरिक्ष से योग मनुष्य को अतिमानव बना सकता है।

वर्ल्ड स्ट्रीट : योग को अपने शब्दों में किस तरह कहना चाहेंगे?

मोहता : योग को हमें इस तरह समझने की आवश्यकता है। क्योंकि मनुष्य धरती पर अंतरिक्ष का कुल योग है और ईश्वर अंतरिक्ष का कुलसचिव है। धरती के सभी शास्त्रों में ईश्वर को निराकार बताया गया है। निराकार का मतलब होता है चैतन्य, चैतन्य हमेशा अंतरिक्ष में निवास करता है। चैतन्य इसलिए अमर है, चूंकि अंतरिक्ष अमर है। ईश्वर इसलिए अजन्मा है, क्योंकि अंतरिक्ष अजन्मा है। इसलिए मानव को एक कदम धरती पर रखते हुए दूसरा कदम अंतरिक्ष के प्रांगण में रखना होगा। तभी अंतरिक्ष हमसे संवाद कर पाएगा।

वर्ल्ड स्ट्रीट : गति शब्द की व्याख्या किस तरह करना चाहेंगे ?

मोहता : बात आगे बढ़ाने से पहले धरती की तरफ लौटते हैं और कुछ बातें यहां की करते हैं। हमारे यहां पर मंदिरों की परिक्रमा करने का और पुनर्जन्म का सिद्धांत प्रामाणिक प्रचलन लिए हुए हैं। परिक्रमा व पुनर्जन्म को यूं समझाया जा सकता है, जिस तरह से हम मंदिरों की परिक्रमा करके संतुष्ट होते हैं, ठीक उसी तरह से जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुष्य अपने शरीर की ही परिक्रमा पूरी करता है। और पुनर्जन्म को प्राप्त हो जाता है। मैं यह कहना चाह रहा हूं कि यह दोनों अवस्थाएं पृथ्वी की गति की वजह से है। कभी आप अंतरिक्ष में झांक कर देखें तो पाएंगे कि अरबों-खरबों ग्रह व नक्षत्र सदियों से गोल-गोल घूम रहे हैं। उन्हीं अरबों-खरबों ग्रहों में से हमारा पृथ्वी ग्रह भी गोल-गोल सदियों से घूम रहा है। इस अंतरिक्ष में घूमते हुए हमारी गोल-गोल पृथ्वी के अंदर हम सभी जन्म लेते हैं। स्पष्ट है कि जैसा हमारी माता का स्वभाव होगा वैसा ही उसकी संतान का स्वभाव होगा। यही वजह है कि जीवन अपने गोलाई के अंतिम चरण पर बूढ़ा होकर मर जाता है और हमें पुन: एक नए शरीर की आवश्यकता पड़ती है। वर्षों पूर्व पांडिचेरी में दो महान आत्माओं ने पदार्पण किया। एक थे श्री अरविंद और दूसरी फ्रांस की श्री मां। श्री अरविंद ने गति के इस विज्ञान को श्रीकृष्ण की सहायता से समझा और उन्होंने मानव में आगे की यात्रा आरंभ की, जिसे अति मानसिक योग के नाम से जाना जाता है। यह अतिमानसिक योग शरीर के माध्यम से दिया जाने वाला योग नहीं हैं, बिल्क हमारे मस्तिष्क से ऊपर एक चितआकाश होता है वहां पर स्थापित होकर इस योग का आरंभ होता है। इसलिए अतिमानसिक योग ही अतिमानव को जन्म देने में सहायक होता है।

वर्ल्ड स्ट्रीट : अतिमानव कैसा होगा ?

मोहता : अब हम समझते हैं कि अति मानव कैसा होगा? और वह धरती पर क्यों होना चाहिए? तो मैं आपको संन्यास काल की प्राचीन परंपरा की ओर ले जाता हूं। जब पहला संन्यासी किसी वन में जन्मा था। उस पहले संन्यासी को यह अनुभव हुआ कि संसार मरण धरना है। संसार माया है। जो जन्म लेता है वो मर जाता है। यानी संन्यास की वजह उस पहले संन्यासी की यह थी कि मनुष्य मर क्यों जाता है? उस संन्यासी ने यह सोचा कि जब मनुष्य मर ही जाता है तो पैदा ही क्यों होता है? यह अमरता की खोज का पहला स्टेप था जो उस संन्यासी के माध्यम से वेदकाल के बागिचों से होता हुआ उपनिषद की सड़कों पर टहलता हुआ व्यासपीठों व आश्रमकों में बैठता हुआ आज तक अपने उत्तर को ढूंढ़ रहा है। अगर मुझे क्षमा कर दिया जाए तो मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारी संन्यास परंपरा ने अपने चैतन्य को धरती के घर्णन गति के बाहर की तरफ ले जाने का प्रयास नहीं किया। वो पार्थिव चैतन्य में ही सोचते रहे, साधना करते रहे, दीक्षा लेते व देते रहे। और पार्थिव चेतना गोल-गोल घूमती रहती है। इस वजह से लाखों बरस हो गए उत्तर आज तक नहीं मिला। यह मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि श्री मां ने इस बात को पहचाना और उन्होंने अरविंद से कहा कि अति मानव को जन्म देने के लिए हमें पृथ्वी की पार्थिव चेतना से बाहर निकलकर अंतरिक्ष की चेतना से संधी करनी पड़ेगी। और इस वजह से हम दोनों को बहुत शारीरिक पीड़ाएं सहन करनी पड़ेगी। यही हुआ समय से पहले ही श्री अरविंद को अपना शरीर त्यागना पड़ा। और श्री मां भी शरीर के महानतम कष्टों से गुजरते हुए शरीर को त्यागकर चली गईं।

वर्ल्ड स्ट्रीट: शरीर की गति और शरीर के स्वभाव पर कुछ बताएं?

मोहता : यह बात मैं क्यों बता रहा हूं। इसलिए कि शरीर की गति और शरीर का स्वभाव ठीक वैसा ही है, जैसा इस धरती का है। यानी गोल-गोल सोचना, गोल-गोल कर्म करना, गोल-गोल जन्म लेना और मर जाना। लेकिन अंतरिक्ष की गति चूंकि ऐसी नहीं हैं, इसलिए जैसे ही हम उस प्रवाहमयी गति से संपर्क करते हैं, वैसे ही मानव शरीर क्षतिग्रस्त होने लगता है। अत: शरीर छोड़ने के बाद श्री मां व श्री अरविंद आज भी पृथ्वी लोक के चैतन्य में मौजूद हैं और वे मनुष्य के नए शरीर के निर्माण के लिए कार्य कर रहे हैं।

वर्ल्ड स्ट्रीट: अतिमानव का निर्माण कैसे होगा ?


मोहता : अतिमानव का शरीर पांच तत्वों से मिलकर नहीं बना होगा, बल्कि छठा तत्व और होगा बल्कि छठा तत्व और है,



जिसको विज्ञान प्रकाश कहता है। मैं आपको स्पष्ट कर दूं कि प्रकाश और अग्नि में बहुत अंतर है। पृथ्वी सूर्य की पुत्री है और पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्य के भीतर एक तत्व अग्नि है और अग्नि स्थूल तत्व है
, जिसका नष्ट होना स्वभाविक है, लेकिन अंतरिक्ष में घनघोर अंधकार है। लेकिन वहां फिर भी इतना प्रकाश है जो अंतरिक्ष को जागृत और प्रवाहमय बनाए हुए हैं। यह प्रकाश अंतरिक्ष में किसी विस्फोट की वजह से नहीं है, जैसा कि सूर्य में विस्फोट की वजह से धरती को प्रकाश मिलता है। अंतरिक्ष का प्रकाश उसकी प्रवाहमयी गति की वजह से है। और यह प्रवाहमयी गति खरबों वर्षों से अपने केंद्र से दूर दौड़ रही है। और पहली बार मैं इस राज को स्पष्ट करना चाहता हूं कि जब कभी भी कोई वस्तु अपने केंद्र से दूर प्रवाहमयी गति से चल पड़ती हैं तो उसमें विस्फोट नहीं होता बल्कि प्रकाश निकलता है। उसको यूं समझिए कि सूर्य में उसके केंद्र पर इस समय भयानक विस्फोट हो रहे हैं, लेकिन उसमें से निकलने वाली अग्नि जब अंतरिक्ष में बहने वाली प्रवाहमयी गति के साथ धरती पर पहुंचती है तो वह प्रकाश में बदल जाती है। यानी अग्नि पृथ्वी को जला नहीं पाती बल्कि अंतरिक्ष के प्रवाहमयी गति के साथ मिलकर प्रकाश में बदल जाती है। इसलिए सूर्य धरती के अंदर प्रकाश को पैदा करता है, लेकिन फिर भी यह प्रकाश अपने स्वरूप में नहीं हैं, क्योंकि अभी भी इसमें अग्नि है। यही वजह है कि पृथ्वी पर दो पत्थरों को रगड़ने से इसमें अग्नि निकलती है प्रकाश नहीं निकलता। कहना मैं यह चाहता हूं कि पृथ्वी पर हम सभी अग्नि पुरुष हैं इसलिए हम सभी भष्म हो जाते हैं और जिस प्रकाश की बात मैं कर रहा हूं वह ग्रह नक्षत्रों में नहीं पाया जाता है। बल्कि ब्रह्मांड की घुप काली कंदराओं के मध्य मौजूद हैं। इसलिए विज्ञान जिसे अंतरिक्ष का डार्क मेटर कहता है मैं उसे स्पार्क मेटर कहता हूं। इसको यूं समझिए जब धरती पर दो पत्थरों के टकराने से अग्नि पैदा होती है तो अंतरिक्ष के डार्क मेटर में प्रकाश अवश्य हैं। आवश्यकता हमारा उससे टकरा जाना है। तभी प्रकाश जन्म लेगा। अंतरिक्ष की वजह से पृथ्वी का अतिमानव जन्म लेगा। इसलिए अतिमानव का शरीर छठे तत्व का बना होगा-प्रकाश से बना होगा। और अतिमानव का निवास कोई ग्रह नक्षत्र नहीं होगा बल्कि वह समूचे अंतरिक्ष में घूमता फिरेगा। और पहली बार अपने वजूद के इतिहास में अंतरिक्ष मां बनेगा। और आपको यह जानकर तसल्ली होगी कि अंतरिक्ष का बन जाना ब्रह्मांड के सभी ग्रहों को बचा लेना है। इसलिए आइए हम मनुष्य का अतिक्रमण करें और भविष्य के अतिमानव का स्वागत करें। क्योंकि मनुष्य के पास इतना बल नहीं है कि वह अतिमानव को आने से रोक सकें। अति मानव के पास पार्थिव चेतना की कोई ऐसी बृद्धि नहीं है, जिससे वह मनुष्य पर कोई दया करे, कोई करुणा करे, ऐसा स्वभाव उसका नहीं हैं। उसका स्वभाव है मनुष्यता को अमरता प्रदान करना। और यह इसलिए कह रहा हूं क्योंकि धरती पर पहले संन्यासी ने ही उससे पूछा था कि मनुष्य जब जन्म लेता है तो मर क्यों जाता है। उस पहले संन्यासी के प्रश्न का उत्तर देने के लिए अतिमानव धरती पर उतर रहा है। शीघ्र ही कुछ ऐसी घटनाएं घटित होंगी जो अंतरिक्ष के सामने समर्पण करना होगा। और अंत में एक लाइन कहना चाहता हूं कि पार्थिव चेतना में श्रीकृष्ण ही ऐसे देव हैं जो हमारे अति मानव से मुलाकात करवा सकते हैं। यानी श्रीकृष्ण मनुष्य और अतिमानव की मुलाकात कराने के सेतू हैं। इसलिए कृष्ण साधना करेंं।