Wednesday, 31 May 2023

कांग्रेस और भाजपा शासन में शिक्षा विभाग में नौ हजार करोड़ रुपए के घोटाले में दोनों सरकारें चुप क्यों है?

 जोधपुर। राजनीति करंट मैगजीन ने कई साल पहले ही भाजपा और कांग्रेस शासन में 9 हजार करोड़ रुपए से अधिक शिक्षा विभाग की स्कूलों में सामग्री खरीद में अनियमितता और घोटाले का भंडाफोड़ किया था। इस संबंध में इतने सालों बाद भी किसी भी सरकार ने जांच करवाना भी जरूरी नहीं समझा। ऐसे में सचिन पायलट की ओर जनता आशा भरी नजरों से देख रही है। पेपल लीक घटनाओं ने युवाओं की करम तोड़ दी है। युवाओं की दुघती रंग पर हाथ रखने वाले मुद्दों पर प्रदेश के युवा सचिन के साथ है। अगर सचिन मुख्यमंत्री बन जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है।

राहुल गांधी बकरी से डर गए! ये है भारत जोड़ो के नायक

एक तरफ राहुल गांधी भारत छोडो यात्रा पर थे। अचानक एक कार्यकर्ता ने बकरी की आवाज निकाली। राहुल गांधी सकपका के पीछे देखने लगे। बोले- अर बकरी आ गई है उसे बाहर निकालो। तभी किसी ने कहा कि यह हमारे वीर कार्यकर्ता का करिश्मा है। तभी सभी हंसने लगे, मगर राहुल के चेहरे की हंसी गायब हो गई। जो व्यक्ति देश में बकरी की आवाज से डर जाता हो वह देश की बागडौर कैसे संभालेगा? 

अन्ना हजार की तबीयत बिगड़ी, रात में सांस लेने में तकलीफ हुई

उदित भास्कर डॉट कॉम. नई दिल्ली।  गांधी वादी विचारक और राजनीति में शुद्धिकरण के लिए जीवन भर संघर्षशील रहे अन्ना हजारे की तबीयत अचानक खराब हो गई। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई। डॉक्टरों को कहना है कि आज का दिन गुजार लिया तो आगे तबीयत में सुधार हो सकता है। 

कल कायदा : 26 मई को 2026 में अमेरिका पर 2 मई 2011 से भी बड़ा हमला कर सकता है!

वर्लड स्ट्रीम डॉट. कॉम. पाकिस्तान/अफगानिस्तान/अमेरिका

 

अल कायदा की 2 मई 2011 को अमेरिका ने लादेन को मारकर कमर भलेही तोड़ दी है, मगर नई साजिश के मुताबिक 26 मई को 2026 अल्लाह कायदा रब कायदा सब कायदा नामक संगठन ने पीर तोताई ताेलाम और तूलीमा तूलीम के बल पर एक नया सरगना तैयार किया है। इसका अड्‌डा  कहां है कौई नहीं जानता। पाकिस्तान की दीवारों पर 26 मई 2026 अल्ला ताला का काम होगा। इतना लिखा हुआ मिलता है। हालांकि पाकिस्तानी इसे मजाक समझते हैं। मगर विशेषज्ञों ने इस पत्र को गौर से पड पढ़ा तो इसका मतलब उन्हें 2026 में अल कायदा पर हमले का संकेत मिला है। 

गौरतलब है कि अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन ने 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टॉवर्स और पेंटागन पर हमला कर 3 हजार से अधिक लोगों  को मार गिराया था। इसके बाद 2 मई 2011 को अमेरिका ने लादेन को मारकर बदला लिया था। तब से अल कायदा की कमर टूट गई थी। पूरे एक दशक बाद अल कायदा फिर से सिर उठाने लगा है। जिन मदरसों में लादेन जाकर भाषण देता था, उन मदरसों से निकले युवा अब अल कायदा का दामन थाम रहे हैं। अब ये युवक जेहाद को तैयार हो रहे हैं। आज भी अफगानिस्तान में मदरसों में ओसामा बिन लादेन की बहादुरी की गाथाएं सुनाई जाती है। यही नहीं मदरसों में हथियारों का संग्रहण भी किया जा रहा है।

मदरसों में लादेन को अल्लाह का फरिश्ता बताया जाता है। यह भी पढ़ाया जाता है कि लादेन अल्लाह का बंदा था, जिसने अपने पिता की अरबों रुपए की संपत्ति होते हुए भी व्यापार करने की बजाय जेहाद में अपना जीवन खपा दिया। मदरसों के मौलवी बताते हैं कि लादेन फिर से जन्म लेगा और अपने अधूरे कार्यों का पूरा करेगा। मौलवी कहते हैं कि युवाओं को लादेन के अधूरे कार्यों को आगे बढ़ाना होगा। अफगानिस्तान में मदसों में पढ़े 700 युवाओं ने अमेरिका को नेस्तनाबूद करने की कसम खाई है। ये युवा अब मुस्लिम देशों से मदद मांग रहे हैं। यही नहीं इन युवाओं ने हथियारों की जमाबंदी भी शुरू कर दी है। इसके लिए अफगानिस्तान और मुस्लिम देशों के कई संगठन आर्थिक मदद भी कर रहे हैं।

2001 से भी बड़े हमले की तैयारी :

 

अल कायदा को मजबूत करने के लिए 700 युवाओं की टीम ने अफगानिस्तान की तोरा-बोरा पहाड़ियों में अस्थाई डेरा डाल रखा है। यह युवा कोड वर्ड में बात करते हैं। यही नहीं ये मुस्लिम देशों का भ्रमण कर रहे हैं और अपना नेटवर्क अफगानिस्तान के अलावा सऊदी अरब और अन्य मुस्लिम देशों में भी फैला रहे हैं। पाकिस्तान से भी मदद जुटाई जा रही है। इधर पाकिस्तान के पीएमओ ने स्पष्ट किया कि ओसामा बिन लादेन मर चुका है और अब अल कायदा बिखर और टूट चुका है। लेकिन यह पाकिस्तान का असली चेहरा नहीं हैं। वो अल कायदा के जरिए अपने स्वार्थ साधने की फिराक में हैं। इधर जेहादी युवा अमेरिका पर 2001 से भी बड़ी हमले की तैयारी कर रहे हैं। पिछले जुमे को इन युवाओं ने अल्लाह के नाम पर कसम ली है और अमेरिका को बर्बाद करने का संकल्प लिया है।  

पाकिस्तान में वहशी दरिंदे मृत बेटियों से करते हैं बलात्कार!

इस्लामाबाद से डीके पुरोहित की विशेष रिपोर्ट 


-मजबूरी में कब्रों पर ताला लगाकर रखते हैं हिंदू माता-पिता, नाबालिग और जवान लड़कियों की इज्जत सुरक्षित नहीं, जिहाद के नाम पर हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार, पाकिस्तान में हिंदू होना भी बना अभिशाप, हिंदुओं की ना संपत्ति सुरक्षित ना सम्मान, पिछले पांच दशक में हजारों हिंदुओं ने किया भारत की ओर पलायन, ऐसे जुल्म कि सुनते-सुनते रोंगटे खड़े हो जाए


पाकिस्तान में हिंदू होना अभिशाप हो गया है। हिंदुओं की जीवित तो जीवित मृत बेटियां भी सुरक्षित नहीं है। वहां पर हिंदू बेटियों को कब्र में भी चैन नहीं है। वहशी दरिंदे जिहाद के नाम पर मृत बेटियों को कब्र से निकालकर ले जाते हैं और उनके साथ बलात्कार करते हैं। रिपोर्ट है कि जिहादियों ने हिंदुओं को परेशान और प्रताड़ित करने के साथ जुर्म के नए-नए तरीके इजाद कर लिए हैं। उनकी सपंत्ति तो संपत्ति सम्मान भी सुरक्षित नहीं है। दुनिया भर के मानवाधिकार संगठन खामोश है। कोई बोलने वाला नहीं है। हालत यह है कि हिंदू माता-पिता को अपनी मृत बेटियों की कब्र पर भी ताला लगाना पड़ता है।

आए दिन पाकिस्तान में नाबालिग बच्चियों को उठा कर जिहादी ले जाते हैं और उनके साथ रेप करते हैं। जवान बेटियां अपनी इज्जत बचाने के लिए शाम होते ही घर से बाहर नहीं निकलती। ये स्थिति आज से पांच दशक पहले ही नहीं आज भी है। रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू घरों के आस-पास जिहादी नजर रखते हैं। उनके बारे में पूरी जानकारी हासिल करते हैं और जैसे ही उन्हें मौका मिलता है बेटियों को उठा ले जाते हैं। इन बेटियों के साथ-साथ महीनों-महीनों रेप होता है। हिंदू माता-पिता ये आतंक सहने को अभिशप्त है। पिछले पांच दशक में हजारों हिंदू परिवार जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, जयपुर और दिल्ली में शरण लिए हुए हैं। इन शरणार्थियों की व्यथा का कोई पार नहीं है। अगर इनकी कहानियां सुनी जाए तो रोंगटे खड़े हो जाएं। पाकिस्तान के जिहादियों का नाम कोई धर्म है और ना ही कोई ईमान। वे व्याभिचार में अपनी शान समझते हैं। जुर्म और अत्याचार के मारे हिंदुओं का भारत की ओर पलायन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

आज से कोई पच्चीस साल पहले अधिकतर हिंदू परिवार इन्हीं जुल्मों से तंग आकर भारत आकर बस गए। ये स्थिति आज भी कायम है। जेहादियों का एक ही काम है हिंदुओं पर अत्याचार। हिंदू परिवार भय के साए में जी रहे हैं। पाकिस्तान के जेहादी मानसिक रूप से वीभत्स बीमारी से ग्रस्त है। बताया जाता है कि वर्दी नैक्रोफीलिया यानी मृत शरीर के साथ सेक्स में उन्हें मजा आता है। यह बीमारी उनकी रगों में है। जिहादियों को बचपन से ही 72 हूरों के सपने दिखाए जाते हैं। उन्हें व्याभिचार के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। जीवित हो या मृत उन्हें सेक्स के लिए लड़कियां चाहिए। ऐसे में कब्रों में भी बेटियां सुरक्षित नहीं है।

रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू माता-पिता अपनी बेटियों की कब्र पर ताला लगाकर रखते हैं ताकि शवों के साथ गलत काम ना हो। जेहादियों की पहली पसंद नाबालिग बेटियां होती है। जितनी बच्ची छोटी होती है उतना ही उन्हें आनंद आता है। निर्लजता की हद तो तब है जब नाबालिग बेटियों के शवों के साथ जेहादी बलात्कार करते हैं। उनका ना ही कोई चरित्र हैं और ना ही कोई धर्म। केवल और केवल जिहाद के नाम पर सेक्स उनकी जरूरत बन गई है। इसके लिए वे कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।

शवों को खरीदने के लिए लाखों रुपए का देते हैं लालच

बताया जाता है कि जिहादी जबरदस्ती तो करते ही हैं। ऐसे भी मामले सामने आने लगे हैं कि जेहादी हिंदुओं की बेटियों के शवों का भी सौदा करने लगे हैं। लाखों रुपए देकर वे मृत बेटियों के शव खरीदते हैं और उनके साथ महीनों-महीनों बलात्कार कर अपनी आग ठंडी करते हैं। गरीब हिंदू परिवार एक तरफ जुल्मों के शिकार हैं तो दूसरी ओर उनकी गरीबी के चलते उन्हें पैसों का लालच देकर उनकी बेटियों का सौदा कर लेते हैं। खासकर मृत बेटियों के शव खरीद कर उनके साथ अपनी वासना शांत की जाती है। इस संबंध में कोई सुनने वाला नहीं है। वहां की सरकार भी मौन है। जेहादी पहली बात तो सरकार की सुनते ही नहीं है। ऐसे में ना कानून का डर है और ना ही सजा की चिंता। मानवाधिकार की बातें करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठनों के पास रिपोर्ट होने के बावजूद आवाज उठाने वाला कोई नहीं है।

पाकिस्तान के एक लेखक का दर्द : हिंदू बेटी होने की मिलती है सजा

पाकिस्तान के एक लेखक की डायरी से खुलासा हुआ है कि वहां हिंदू परिवार में बेटी होना अभिशाप माना जाता है। बेटियां सुरक्षित नहीं होने की वजह से अपने आप को सजा देने को तैयार रहती है। वहां भी हिंदू परिवारों में बेटियों की भ्रूण हत्या के मामले बढ़ रहे हैं। पाकिस्तान के सिंध, बलूचिस्तान, मीठी, इस्लामाबाद, रावलपिंडी, कराची और कई शहरों में स्थितियां तेजी से बदली है। मीठी जैसे हिंदुओं की बहुतायत आबादी वाले शहर में अब मुस्लिम आबादी बढ़ने लगी है। यहां के परिवार बेटियों को जन्म होते ही अफीम खिलाकर मार देते हैं। कई मामलों में कोख में ही बेटियों को मार दिया जाता है ताकि उनकी इज्जत सुरक्षित रह सकें। लेकिन हालात यह है कि मृत बेटियों के शव भी सुरक्षित नहीं है। हिंदू परिवार दहशत में जीवन यापन कर रहे हैं। लेखक ने अपनी कहानी ‘माफ करना बेटी’ में कई किस्सों के माध्यम से हिंदू परिवारों की मृत बेटियों के साथ होने वाले सेक्स और अत्याचार को उठाया है। यह मुद्दा कभी इंटरनेशनल नहीं बनता।

मुस्लिम देशों में सप्लाई होती है बेटियां

हालात यह है कि रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुओं की नाबालिग और जवान बेटियों को अपनी हवस का शिकार बनाने के लिए महीनों महीनों रेप करने के बाद उन्हें मुस्लिम देशों में सप्लाई किया जाता है। पिछले दो दशक में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा उठने के बाद भी स्थिति में बदलाव नहीं आया है। मुस्लिम देशों में हिंदू बेटियों की डिमांड रहती है। एक तरफ उनके शव भी सुरक्षित नहीं है तो उनका जिंदा रहना भी खतरे से खाली नहीं है। कई मुस्लिम देशों की डिमांड हिंदुओं की बेटियां रहती है। हिंदू बेटियों पर जेहादी बुरी नजर रखते हैं और जब देखो तब उनका अपहरण कर लिया जाता है। एक मानवाधिकार संगठन ने कुछ समय पहले आवाज उठाई थी मगर वह भी कुछ कर नहीं पाया। भारत में आजादी के बाद सेकुलर सरकार के ठेकेदारों ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिशा में अपनी चिंता जता चुके हैं। मगर वैश्विक स्तर पर यह कभी मुद्दा नहीं बनता। एेसे में पाकिस्तान में हिंदू परिवारों पर अत्याचार बढ़ते ही जा रहे हैं।

पांच दशक में 22 प्रतिशत शरणार्थियों ने इसी कारण किया भारत का रुख

एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच दशक में जो हिंदू परिवार भारत आकर बसे उनमें से 22 प्रतिशत शरणार्थियों के साथ यही समस्या रही। अपनी बेटियों की इज्जत बचाने के लिए उन्हें भारत की तरफ रुख करना पड़ा। ना हिंदुओं की बेटियां जीवित सुरक्षित है और ना ही मरने के बाद उनके शव सुरक्षित। पाकिस्तान में उनकी आवाज भी नहीं सुनी जाती। जेहादियों के जुल्मों से तंग आकर आज भी हिंदू परिवार भारत आकर बसना पसंद करते हैं। भारत में आकर बसे शरणार्थियों की राम कहानी लगभग समान है। कोई अपनी बहन बेटियों की इज्जत बचाने के लिए भारत आए तो कोई अपनी संपत्ति और पैसे लेकर भारत भाग आए। वहां हिंदुओं के साथ होने वाले भेदभाव और जुल्मों की दास्तां काफी लंबी है। यह रूह कंपाने वाली भी है। भारत में सरकारों ने इन शरणार्थियों को वोट बैंक ही समझा। कभी उनकी पीड़ा और जख्मों पर मरहम लगाने का काम नहीं किया। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उनकी पीड़ा को स्वर नहीं मिलता।

आठ माह से नाबालिग बेटी के लिए न्याय मांग रहा हिंदू परिवार

हिंदू बच्चियां पाकिस्तान में कितनी सुरक्षित है इसका ताजा उदाहरण सामने है। एक हिंदू परिवार आठ माह से अपनी नाबालिग बेटी को न्याय दिलाने के लिए कानून की चौखट पर भटक रहा है मगर पाकिस्तान में उसकी सुनवाई नहीं हो रही। वहां का कानून खुद जेहादियों से मिलीभगत करता है? इसके भरोसे अपनी बच्चियों की सुरक्षा करना बेमानी है। खबर पलवल से है, जहां एक नाबालिग का जेहादी हैवानों ने अपहरण कर लिया और उसके साथ एक माह तक दरिंदगी करते रहे। नाबालिग का अश्लील वीडियो भी आरोपियों ने बना लिया. 

बताया जा रहा है कि आरोपी 2 अक्टूबर 2022 को नाबालिग को उटावड़ पुलिस को सौंप कर चला गया। आरोप है कि पुलिस ने बेटी को डरा-धमका कर कोर्ट में 164 सीआरपीसी के तहत गलत बयान दर्ज कराकर उसे बाल सरंक्षण गृह भेज दिया। वहां से आने के बाद नाबालिग ने अपनी मां को पूरी बात बताई। इसके बाद मां ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट के आदेश पर उटावड़ थाना पुलिस ने सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। मां ने अदालत में दायर मामले में कहा कि 1 सितंबर 2022 को उनकी नाबालिग बेटी के साथ दो युवकों ने दुष्कर्म कर अश्लील वीडियो बना लिया. फिर उसे वायरल करने की धमकी देकर 4 सितंबर 2022 को इंसाफ, मुस्तफा, मुनफैद, साकिब, नाजिम, अलताफ व साबिर उनकी बेटी को गाड़ी में अपहृत कर ले गए. इसके बाद सभी आरोपियों ने उसके साथ दुष्कर्म कर अश्लील वीडियो भी बना ली. फिर बेटी को साबिर के हवाले कर दिया. पीड़िता ने बेटी के लापता होने की सूचना उटावड़ थाना पुलिस को दी थी, लेकिन उसने कोई कार्रवाई नहीं की।

इसलिए करती थीं हिंदू रानियां जौहर

भारत पर प्राचीन काल में मुस्लिम आक्रांताओं के जुल्म होते रहे हैं। मुस्लिम आक्रांता हिंदू परिवारों की बेटियों के साथ बलात्कार करते थे और जुल्म ढाते थे। और तो और अगर कोई हिंदू राजा युद्ध में मारा जाता था तो उनकी रानियां सामूहिक रूप से जौहर कर देती थी। इसके पीछे मूल उद्देश्य यह था कि उनके साथ गलत काम ना हो। वे अपने आप को अग्नि के हवाले इसलिए करतीं थी ताकि उनके शव के साथ भी खोटा काम ना हो सके। हिंदुस्तान में हिंदू रानियों के जौहर के अनेक किस्से भरे पड़े हैं। इतिहासकार नंदकिशोर शर्मा बताते हैं कि जैसलमेर में भी हिंदू रानियां जौहर कर चुकी हैं। चित्तौड़ के हिंदू शासक की रानियां भी जौहर कर चुकी हैं। यह स्थिति राजपूत राजाओं की रानियों के साथ होना आम रही है। हिंदू रानियां निडर रही है। वे मौत को गले लगाने से कभी पीछे नहीं रही। खासकर रानियों के मृत शरीर के साथ खोटा काम कर उन्हें अपवित्र नहीं किया जा सके, इसलिए उनके सामने जौहर के अलावा कोई चारा नहीं होता था। भारत पर जब-जब मुस्लिम आक्रांताओं ने हमले किए यहां की हिंदू रानियों ने अपने आप को खत्म करने की ठान ली। वे सामूहिक रूप से अग्नि को अपना शरीर हवाले कर देतीं और मौत को गले लगा लेंती। इतिहास के अनेक किस्से हिंदू रानियों की मनोदशा को चित्रित करती हैं। विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यकर्ता ने बताया कि पाकिस्तान में हिंदू परिवारों को अपने स्वाभिमान के लिए लड़ना पड़ रहा है। ना केवल उनकी रोजी रोटी छीनी जा रही है, वरन उनकी बेटियों की इज्जत के साथ भी खिलवाड़ हो रही है।

Sunday, 1 May 2022

अरस्तु के श्राप की वजह से हुई थी सिकंदर की मौत!

सिकंदर ने पूरी दुनिया लगभग जीत ली थी, मगर धैर्य नहीं रख पाया और आखिर 33 वर्ष की उम्र में बेबीलोन में उसकी मौत हो गई, कहते हैं उसकी मौत बुखार से हुई थी, लेकिन यह सत्य नहीं है, उसकी मौत सांप काटने से हुई थी

 सिकंदर ने एक बार अपने गुरु अरस्तु को डराने के लिए सोते हुए उनके ऊपर मरा हुआ सांप डाल दिया था, तब अरस्तु की आंख खुल गई और उन्होंने गुस्से में आकर कहा-मूर्ख जिस ताकत पर तुझे इतना नाज है, धैर्य नहीं होने से तू अपने मकसद में कामयाब नहीं होगा और सांप ही तेरी मौत का कारण बनेगा…

डीके पुरोहित. जोधपुर

सिकंदर की मौत कैसे हुई थी? इस पर हुई रिसर्च में पता चलता है कि उसकी मौत सांप के काटने से हुई थी। अरस्तु सिकंदर के गुरु थे और शिक्षा काल के दौरान एक बार सिकंदर ने अपने गुरु अरस्तु पर सोते हुए मरा हुआ सांप डाल दिया था, बताया जाता है कि अरस्तु ने सिकंदर को गुस्से में आकर कहा-मूर्ख तुझमें धैर्य नहीं है और तुमने गुरु को डराने का प्रयास किया है। सांप ही तेरी मौत का कारण बनेगा और धैर्यहीन होने से तुम अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो पाओगे। बताया जाता है कि 33 साल की उम्र में बेबीलोन में उसकी मौत हो गई। इतिहास में बताया जाता है कि उसकी मौत बुखार यानी टाइफाइड से हुई थी, मगर सच तो यह है कि उसकी मौत सांप के काटने से हुई थी।

यह नया रहस्योद्घाटन यहां एक लाइब्रेरी में मिली पांडुलिपि के हवाले से एक वैद्य ने वर्षों पहले ही कर दिया था। इस पांडुलिपि की भाषा पढ़ने में नहीं आ रही थी, लेकिन अलीगढ़ के एक वैद्य जेठमल व्यास के प्राचीन हस्तलिखित पन्ने पर इतना लिखा हुआ मिलता है कि सिकंदर की मौत सांप काटने से हुई। पन्ने पर लिखा है कि गुरु पे मरो सांप लैटायो, गुरु बोल्यो-सर्प राजा ने खायो, सिकंदर प्राण गंवायो…गौरतलब है कि वेद्य जेठमल व्यास ने 21 साल की उम्र में अल हिल्लह का दौरा किया था। वहां किसी लाइब्रेरी में उन्हें अरस्तु को पढ़ने का मौका मिला और उन्हें जो शोधपरक जानकारी मिली उन्होंने किसी पन्ने पर इसे लिख दिया। जेठमल व्यास खुद वैद्य होने के साथ ही घुम्मकड़ थे। उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, फारसी, गुजराती, बंगाली, उर्दू और कई तरह की भाषाएं आती थीं। जिस लिपी में सिकंदर की मौत के बारे में लिखा गया है वह बेबीयाई लिपि है। इस लिपि को दुनिया में कम लोग ही जानते हैं। इसी बेबीयाई लिपि में व्यास ने ब्रह्मांड की रचना और कालखंड को उजागर किया था, मगर ये पांडुलिपियां उनके परिजनों ने रद्दी समझकर बेच दी। 

सिकंदर ने दुनिया जीती, मगर मौत ने आकर नर्तन किया 

सिकंदर का जन्म 356 ईसा पूर्व यूनान के मैसेडोन या मकदूनिया के पेला नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता फिलिप द्वितीय मकदूनिया और ओलंपिया के राजा थे। उनकी माता ओलंपिया जो एपिरुस की राजकुमारी थी। ऐसा माना जाता है कि उनकी माता एक जादूगरनी थी, जिनको सापों के बीच रहने का शौक था। इसी वजह से सिकंदर भी सांपों से खेला करता था। इसी खेल-खेल में सिकंदर ने गुरु के गले में सांप डाल दिया। उसकी एक बहन थी, जिसका नाम क्लियोपैट्रा था। सिकंदर और उसकी बहन की परवरिश पेला के ही शाही दरबार में हुई थी। सिकंदर बुद्धिमान थे, उन्होंने 12 वर्ष की आयु में ही घुड़सवारी सीख ली। सिकंदर की प्रारंभिक शिक्षा इनके एक रिश्तेदार द स्टर्न लियोनिडास से हुई। उनके पिता फिलिप चाहते थे कि वे पढ़ाई के साथ -साथ युद्ध विद्या का भी ज्ञान प्राप्त करें और एक महान योद्धा बनें। इसलिए बचपन से ही इनको युद्ध विद्या जैसे तलवारबाजी, धनुर्विद्या, घुड़सवारी आदि की शिक्षा भी द स्टर्न लियोनिडास से ही प्राप्त की। इसके पश्चात इनके पिता इनके आगे की शिक्षा के लिए एक महान दार्शनिक और विचारक अरस्तु को नियुक्त किया गया। उस वक़्त इनकी उम्र 13 साल थी। अरस्तु के निर्देशन में ही सिकंदर ने साहित्य, विज्ञान, दर्शनशास्त्र जैसे विषयों का अध्ययन किया। सिकंदर की उम्र जब 20 वर्ष की थी, तब उनके पिता की मृत्यु हो गई। पिता के निधन के बाद 336 ईसा पूर्व में सिकंदर ने मेसेडोनिया या का सम्राट बनने के लिए अपने सौतले और चचेरे भाइयों की हत्या करवा दी। इसमें सिकंदर की मां ओलंपिया ने सिकंदर की मदद की। सम्राट बनने के बाद सिकंदर ने अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए एक विशाल सेना का गठन किया और अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए सिकंदर ने यूनान के कई भागों पर अधिकार कर अपनी जीत दर्ज की। इसके पश्चात सिकंदर एशिया माइनर को जीतने के लिए निकल पड़ा। इस युद्ध में सिकंदर ने सीरिया को पराजित कर मिस्र, ईरान, मेसोपोटामिया, फिनिशिया जुदेआ, गाजा और बक्ट्रिया प्रदेश को भी पराजित कर अपने कब्जे में ले लिया। उस समय सभी राज्य फारसी साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था जो सिकंदर के साम्राज्य का लगभग 40 गुना था। इसी दौरान सिकंदर ने 327 ईसा पूर्व में मिस्र में एक नए शहर की स्थापना की। जिसका नाम अपने नाम पर इलेक्जेंड्रिया रखा और यहां एक विश्वविद्यालय भी बनवाया। सिकंदर ने अपनी विशाल सेना और कुशल नेतृत्व से फारस के राजा डेरियस तृतीय को अरबेला के युद्ध में हराकर स्वयं वहां का राजा बन गया। फारस की राजकुमारी रुकसाना से विवाह कर सिकंदर ने जनता को भी अपनी ओर कर लिया। इसके अलावा सिकंदर ने कई जगहों पर अपनी जीत हासिल की। सिकंदर ने भारत पर 326 ईसा पूर्व आक्रमण किया। उस समय भारत छोटे-छोटे गणराज्यों में बंटा हुआ था। सिकंदर खैबर दर्रे से होकर भारत पहुंचा और उसने पहला आक्रमण तक्षशिला के राजा अंभी पर किया। अंभी ने कुछ समय बाद सिकंदर के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इस समय तक्षशिला में आचार्य चाणक्य एक शिक्षक के रूप में सेवाएं दे रहे थे। उनसे ये विदेशी हमले देखे नहीं गए और सिकंदर से लड़ने के लिए बहुत से राजाओं के पास गए, लेकिन आपसी मतभेद के कारण कोई भी सिकंदर के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार नहीं हुआ। उस समय भारत में मगध में राजा घनानंद का राज था। वह बहुत ही शक्तिशाली था। चाणक्य घनानंद के पास भी गया, लेकिन घनानंद ने चाणक्य का अपमान कर उसे महल से निकाल दिया। जिसका परिणाम आगे चलकर घनानंद को उठाना पड़ा। तक्षशिला के राजा अंभी को हराकर सिकंदर झेलम और चिनाब नदी की ओर बढ़ा और नदी के किनारे ही सिकंदर और पोरस के बीच युद्ध लड़ा गया। इस युद्ध में पोरस की हार हुई। झेलम नदी के किनारे सिकंदर और पौरस के बीच भयानक युद्ध की शुरुआत हुई। पहले दिन पौरस ने सिकंदर का डटकर सामना किया, लेकिन मौसम खराब होने के कारण पौरस की सेना कमजोर पड़ने लगी। ये देखकर सिकंदर ने पौरस से आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, लेकिन पौरस ने हार नहीं मानी और युद्ध करते रहे। पौरस जानते थे कि उनकी हार निश्चित है, लेकिन उन्हें किसी की अधीनता स्वीकार नहीं थी। सिकंदर ने पौरस को पराजित तो कर दिया, लेकिन उसका भी बड़ा नुकसान हुआ। सिकंदर ने पौरस के साथ मित्रता कर ली और उससे जीता राज्य वापस कर दिया और सेना के साथ वापस लौटने का फैसला किया। लौटते वक्त बेबीलोन में सिकंदर की सांप के काटने से मौत हो गई।

Monday, 16 August 2021

राहुल गांधी की जान को खतरा, तालिबान के निशाने पर

वाशिंगटन (एजेंसी)। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की जान को खतरा है। अमेरिकी गुप्तचर डेरिस विल हिल की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल की जान को खतरा देखते हुए उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष पद से दूर किया और खुद अध्यक्ष बन गईं। हिल ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि तालिबान के जरिए राहुल को निशाना बनाया जा सकता है।

हिल की रिपोर्ट में बताया है कि किसान आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ घट रहा है। जगह-जगह उनकी आलोचना हो रही है। ऐसे में वे नहीं चाहेंगे कि अगला प्रधानमंत्री राहुल गांधी बने। जब तक गांधी परिवार राजनीति में है तब तक देश में उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती। रिपोर्ट के मुताबिक सोनिया गांधी परिपक्व नेता है और राहुल में अभी समझ की कमी है और वो उत्साहित अधिक है। अपने बेटे की जान काे खतरा देखते हुए ही वह खुद कांग्रेस अध्यक्ष बनने को तैयार हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि राहुल गांधी को तालिबान मामले से दूर रहना चाहिए। श्रीलंका में लिट्‌टे के खिलाफ राजीव गांधी ने सेना भेजी थी तो उन्हें जान से हाथ धोना पड़ा था। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि राहुल के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है और ना ही कोई साजिश रच रहे, लेकिन यह बात उन्हें भी पता है कि राहुल पर आतंकवादी संगठनों की नजर है। ऐसे में तालिबानी आतंकवादियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। रिपोर्ट में कहा गया है कि राहुल तालिबान के निशाने पर है। राहुल की हत्या के लिए मारा मोनाई गनी शाह नाम के एक व्यक्ति को जिम्मेदारी दी गई है। अगले छह महीने राहुल के लिए परेशानी भरे हो सकते हैं।  


Text Widget 2

Slider[Style1]

Sample Text

Sample text

Social Icons

About us

Horizontal

Find Us On Facebook

Powered by Blogger.

Gallery

Featured Posts