Monday, 11 November 2019

गीत : डी.के. पुरोहित


मैं रहूं न रहूं

मैं रहूं न रहूं
मेरे गीत रहेंगे
तेरी जुबां से 
मेरी कहानी कहेंगे

चांद ख्वाब
 है
सितारे बहुत दूर है
आसमां की झोली में
रोशनी भरपूर है
लेकिन यह दीप सदा
अंधेरे से लड़ेंगे
मैं रहूं न रहूं
मेरे गीत रहेंगे

जिंदगी का क्या भरोसा
कब सांस थमे
ऐ दोस्त याद कर लेना
हमारे ना होने पर हमें
शब्दों की सरगम
फिर किस्से कहेंगे
मैं रहूं न रहूं
मेरे गीत रहेंगे

जीवन तो है पहेली
मौत का प्रश्न मौन है
इस धरा पर शाश्वत
अमर रहा कौन है
जो दरिया में मिले
जाने किस धारा में बहेंगे
मैं रहूं न रहूं
मेरे गीत रहेंगे

आज प्यार करें जी भर
कल तो बस आस है
जीवन की पनघट पर
भला कब बुझती प्यास है
घड़ा तैरता रहेगा
ये धारे यूं ही बहेंगे
मैं रहूं न रहूं
मेरे गीत रहेंगे।