Tuesday, 15 December 2015

स्वागतम् 2016, आओ हम लें देश-दुनिया के हित में 16 संकल्प

-डी.के. पुरोहित-

समय बीत रहा है। जो आज है वह कल बन रहा है और जो कल होना है वो आज बन रहा है। वक्त किसी के रुके रुकता नहीं है। समय के आइने में हर तस्वीर इतिहास बन जाती है। बेशक़, हम आगे बढ़ रहे हैं, मगर पीछे कदमों के निशान छोड़ कर जा रहे हैं। फिर कैलेंडर में एक नया साल दस्तक दे रहा है। 2015 बीत रहा है। 2016 आ रहा है। सच यही है कि हम बीते हुए समय को याद नहीं करते और नए का स्वागत करने लग जाते हैं। यदि हम बीते हुए समय से सबक लें तो नया वर्ष भी हर्ष का प्रतीक बन सकता है। हमें अपनी भूलों और कमजोरियों को दूर कर नए वर्ष का स्वागत करना चाहिए। साथ ही संकल्प लेना चाहिए-कुछ नया करने का। कुछ ऐसा करने का कि नया वर्ष हमें निराश न करे। हमारे सामने बहुत सारे क्षेत्र हैं। बहुत बड़ा मैदान है। पूरा आसमां है उड़ान भरने के लिए। अनंत अभिलाषाएं हैं। हम अपनी संकल्प शक्ति से मुकाम पा सकते हैं। तो आइए हम नए साल 2016 में 16 संकल्प लें। ये 16 संकल्प हमें नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। हम अपने लक्ष्य में सफल होंगे। हमें इन संकल्पों के साथ आगे बढ़ना है। अपना मुकाम बनाना है। तो आएं हम इन 16 संकल्पों के साथ अपनी उड़ान शुरू करें।

1. ईमानदारी: राजनीति
 

जब यह पंक्तियां लिखी जा रही है बिहार विधानसभा के नतीजे आ चुके हैं। नीतिश-लालू महागठबंधन बाजी मार चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो उम्मीदें बिहार से लगाई थी, उसमें वे सफल नहीं हुए। फिर से नीतिश-लालू को सत्ता मिली। इससे एक बात फिर जाहिर हो गई कि बिहार की राजनीति में राष्ट्रीय मुद्दे नहीं चलते। बिहार को विकास की नहीं जातिवादी राजनीति प्रभावित करती है। राजनीति में जो ईमानदारी चाहिए, उसका एक पक्ष यह भी है कि लालू जैसे लोगों की वापसी से राजनीति में स्वच्छता नहीं रही। मोदी ने हालांकि अपने शासन में कुछ अच्छा िकया है या नहीं, लेकिन बुरा भी कुछ नहीं किया। अभी तो उम्मीदों के पूरे चार साल बाकी है। लेकिन बिहार चुनाव में यह साफ हो गया है कि जनता को जो जंचता है, वही करती है। उसको न तो विकास की घोषणाओं से बहलाया जा सकता है, न ही कोई नारे प्रभावित कर सकते। वह तो अपनी मर्जी करती है। ऐसे में राजनीतिक ईमानदारी किसी कोने में दुबकी नजर आ रही है। क्योंकि यह भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। नए साल में राजनीतिक क्षेत्र में जिस ईमानदारी की अपेक्षा है, उसे अपने भीतर महसूस करने की जरूरत है। राजनीति को साफ-सुथरी बनाने और उसे जनता के लिए उपयोगी बनाने के लिए हमारे नेताओं को नववर्ष पर संकल्प लेना होगा। ऐसा संकल्प कि राजनीति के क्षेत्र में भ्रष्टाचार, अनैतिकता, चारित्रिक कमजोरियों को दूर कर जिम्मेदार लीडरशिप देना हमारी प्राथमिकता हो। जनता को भी इस दिशा में सोचना होगा।

2. संवेदना: पुलिस

नए साल में पुलिस का चेहरा भी बदलना चाहिए। हमारे आईपीएस अधिकारियों को अपने विभाग को संवेदनशील बनाने का संकल्प लेना होगा। वक्त बदला, लेकिन पुलिस नहीं बदली। आज भी संवेदनहीनता उसकी प्रवृत्ति बन चुकी हैं। आम आदमी का भरोसा पुलिस नहीं जीत पाई है। एक जिम्मेदार विभाग की साफ-सुथरी और स्वच्छ छवि बनाने की जिम्मेदारी पुलिस महकमे की है। अपराधों पर रोक लगाने और गुनहगारों को सजा दिलाने के लिए पुलिस को अपना रवैया बदलना होगा। यह कैसे करना है, इस पर मंथन करना होगा। खासकर आम आदमी के साथ अच्छा व्यवहार और अपराधियों व गुनहगारों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाना होगा। संवेदनशील होकर कानून की पालना करना पुलिस का दायित्व है। आजादी के बाद से अब तक पुलिस की छवि बदल नहीं पाई है। अंग्रेजों के बनाए कानून आज भी जारी हैं। इन कानूनों की आड़ में पुलिस महकमा निरकुंश हो गया है। संवेदनाएं तो जैसे खत्म ही हो गई है। ऐसे में इस महकमे में बदलाव की जरूरत है। आम आदमी का मित्र बनकर ही पुलिस महकमा अपने उद्देश्यों में सफल हो सकता है। यदि डंडे के जोर पर ही कार्रवाई होती रही तो संवेदनाएं खत्म हो जाएंगी। इसलिए पुलिस को बदलने के लिए तैयार होना होगा।

3. नई सोच: ब्यूरोक्रेसी

संसद कानून बनाती है, लेकिन इन कानूनों को चलाने की जिम्मेदारी ब्यूरोक्रेसी की है। नौकरशाह समय के साथ निरकुंश हो रहे हैं। अधिकारी भ्रष्ट हो गए हैं। चपरासी-बाबू से लेकर कलेक्टर और कमिश्नर तक भ्रष्ट हो गए हैं। हमारी व्यवस्था में रिश्वत दाग बनकर सामने आई है। ऐसे में आम आदमी कहां जाए? किसका दरवाजा खटखटाए। छोटे-बड़े काम के लिए पैसे मांगे जाते हैं। ब्यूरोक्रेसी को अपना रवैया बदलना होगा। नया साल नई सोच का है। ब्यूरोक्रेसी को नई सोच से काम करना होगा। अगर ब्यूरोक्रेसी नई सोच के साथ काम करेगी तो देश की सूरत अवश्य बदलेगी। हमारे सामने कई क्षेत्र हैं-पर्यटन, कला, संस्कृति, समाज, रोजगार, न्याय और विभिन्न मसलों पर ब्यूरोक्रेट जागरूक होकर, राजनीतिज्ञों का मार्गदर्शन कर हमारी सूरत बदल सकते हैं।

4. नव ऊर्जा: युवा

देश की असली ताकत युवा है। युवा ही भारत का भविष्य है। अब युवाओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। युवाओं को राजनीति में आकर इसकी शुचिता की रक्षा करनी होगी। युवा ही इस देश का भविष्य है। नई सोच। जागरण की अलख जगाने में अगर कोई सक्षम है तो वे युवा ही हैं। अब जिम्मेदारी युवाओं पर है कि वह देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं। युवा अवस्था ऐसी अवस्था होती है, जब व्यक्ति का दिमाग, व्यक्ति का विजन, बड़े-बड़े कार्य करवाने में समक्ष हो सकती है। हमारे युवाओं को केवल देश का उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए सोचना होगा। सारा दारोमदार युवाओं पर हैं। हमें पीछे नहीं हटना है। अपने दायित्वों, अपनी जिम्मेदारियों को निभाना है। युवाओं को अपने समर्पण से देश को निखारना होगा। देश के विकास में, देश को ताकतवर बनाने में युवाओं की शक्ति मायने रखती है। हर क्षेत्र में युवाओं को अपनी ऊर्जा लगानी होगी।

5. कर्मशीलता: किसान

देश की बड़ी आबादी गांवों में बसती है। किसान उनका नेतृत्व करता है। कृषि प्रधान देश में किसान भूखा सोए, यह हमारे लिए शुभ संकेत नहीं है। हमारे नेतृत्व को किसानों की ओर देखना होगा, साथ ही किसान को भी सक्षम होना होगा। किसान को समृद्ध करने से ही देश समृद्ध होगा। इस साल किसानों ने आत्महत्याएं की। लोगों को पेट भरने वाला अन्नदाता, अन्न के दाने-दाने के लिए मोहताज हो गया। जब किसान आर्थिक रूप से सक्षम होगा तभी देश विकास के डग भरेगा। हमारी भूख मिटाने के लिए किसान अन्न उपजाता है। मौसम की मार सहता है। गर्मी, सर्दी सहन करता है। दिन-रात मेहनत करता है। किसान की तपस्या से ही अन्न खेतों में लहराता है। ऐसे में कर्मशीलता के कदम भरते हुए हमें किसानों को समृद्ध बनाना होगा। यह कर्मशीलता किसानों के लिए ही नहीं हर व्यक्ति के लिए लागू होती है। गीता में भी निष्काम कर्म का संदेश दिया गया है। यदि हम कर्म को अपना धर्म बनाएंगे तो आने वाली तस्वीर अच्छी होगी। हम अपने आप पर गर्व कर सकेंगे।

6. चुनौतियां: शिक्षा, संविधान, पूंजीवाद

हमारा देश विकास की ओर अग्रसर हो रहा है। नए साल में शिक्षा, संविधान और पूंजीवाद की चुनौतियों से लड़ना होगा। पूंजीवाद की संस्कृति ने मुट्ठी भर लोगों के हाथों में ताकत दे दी है। जिनके पास पूंजी है, वे राज कर रहे हैं। गरीब और गरीब हो रहा है। आम आदमी के बच्चे शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते। हाई एजुकेशन आम आदमी की पहुंच से दूर है। शिक्षा के ढांचे को बदलने की जरूरत है। यह तभी संभव होगा जब न्यायपालिका मजबूत होगी। पिछले कुछ वर्षों में न्याय पालिका ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है। एक के बाद एक साफ फैसलों ने देश को आभास कराया है कि न्याय की ताकत भी होती है। हमारे सामने शिक्षा को बढ़ावा देने और संविधान के अनुसार देश चलाने की चुनौतियां हैं। यह तभी संभव है जब आम आदमी के पास शिक्षा का वास्तविक अधिकार हो और संविधान से हर आदमी को लाभ मिल सके। कुछ समय पूर्व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने कहा था कि सौ करोड़ रुपए आपके पास हो तभी आप सुप्रीम कोर्ट से न्याय पाने की सोच सकते हैं। आम आदमी सुप्रीम कोर्ट तक आकर न्याय प्राप्त नहीं कर पाता। ऐसे में हमें इस दिशा में सोचना होगा।

7. राष्ट्रभक्ति: जय जवान

हर व्यक्ति को देश के प्रति वफादार होना होगा। राष्ट्रभक्ति हमारे खून में है। देश के प्रति हर आदमी के भीतर जज्बा है। हमें इस जज्बे को नए वर्ष में भी कायम रखना होगा। साथ ही देश के जवानों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। किसान के साथ जय जवान को भी जय के लिए तैयार होना होगा। वो देश हमेशा सुरक्षित रहता है, जिस देश का बच्चा-बच्चा देश के लिए सर्वस्व लुटाने को तत्पर रहता है। हमें अपनी देशभक्ति से देश को आगे बढ़ाना होगा। देश है तो सारे सुख है। देश की आजादी के लिए जो बलिदान हमारे पूर्वजों ने दिए हैं, उसे याद रखना होगा। देश को बचाने के लिए। देश को आगे बढ़ाने के लिए हर व्यक्ति को जय जवान बनना होगा। हमारी सामरिक शक्ति बढ़ानी होगी। सामरिक शक्ति बढ़ाने के साथ ही सीमाओं की रक्षा में अपनी पूरी ताकत लगा देनी होगी। देश की सीमा अभेद होगी। सुरक्षा चक्र अभेद होगा, तभी देश विकास के बारे में सोच सकेगा। अगर देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं होंगी तो विकास के कदम डगमगा सकते हैं।

8. विजेता: जय विज्ञान, सामरिक

भारत अब पीछे मुड़कर नहीं देखेगा। विजेता बनना उसकी आदत बन चुकी है। चाहे विज्ञान का क्षेत्र हो या कोई और। हर क्षेत्र में देश ने तरक्की की है। विजेता बनना हमारी आदत है। हमें नए-नए प्रयोग करने होंगे। हमारी सामरिक ताकत बढ़ानी होगी। देश को यह साबित करना होगा कि वह सोने की चिडि़या है और दुनिया को जीत सकता है। इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों, हमारे डाॅक्टरों, हमारे इंजीनियरों, हमारे निर्माताओं को आसमां जैसा विराट बनना होगा। जो सपने पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक स्व. अब्दुल कलाम आजाद ने दिखाए, उन्हें पूरे करने होंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था-पढ़ो नहीं तो भारतीय छा जाएंगे, यह हमारी प्रतिभा का परिचायक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठीक ही कहा था अब भारत बदल गया है। इसे कमजोर न समझें। विज्ञान के क्षेत्र में हमारे देश ने गजब की तरक्की की है। हमारे वैज्ञानिक विदेशों में प्रतिभा दिखा रहे हैं। ऐसे वैज्ञानिकों को चाहिए कि वे देश के लिए काम करे। प्रतिभा का उपयोग अपने देश के विकास और नई ताकत बनाने में करें। पैसा ही अंतिम लक्ष्य नहीं है। देश का विकास, देश की रक्षा-सुरक्षा और देश के खातिर कार्य करेंगे, यही जज्बा हमे विश्व विजेता बनाएगा।

9. प्रेम व सरलता: नारी सशक्तीकरण, पारिवारिक जिम्मेदारी

जीवन में प्रेम व सरलता भी जरूरी है। नारी सशक्तीकरण की बातें तो खूब होती हैं, मगर नारी शक्ति को महत्व देना होगा। हमारी महिलाओं को खुद सक्षम होना होगा। यह साबित करना होगा कि वे अबला नहीं है और हर क्षेत्र में सक्षम है। इसके लिए नारी को दोहरी भूमिका निभानी होगी। एक तरफ पारिवारिक जिम्मेदारी निभानी होगी, दूसरी तरफ सामाजिक क्षेत्र में। प्रेम के विभिन्न रूपों में नारी को अपना योगदान देना होगा। संतान के लिए ममत्व, पति के प्रति समर्पण और परिवार के प्रजि सहजता, सरलता व जागरूकता निभानी होगी। साथ ही दुनिया के हर क्षेत्र में उन्हें अपने आपको साबित करना होगा। हमारे देश में नारी को देवी का दर्जा प्राप्त है। कहा भी गया है-यत्र नारियस्तु पूजयते, रमंते तत्रदेवता...यह बात अपनी जगह सही है। लेकिन मौजूदा दौर में नारी के साथ पूरी तरह न्याय नहीं हो पाता। अब नारी को कठपुतली बनने से बचना होगा और हर क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। देश में आए दिन नारी के साथ यौन शोषण हो रहा है। मासूम भी दरिंदगी से बच नहीं पा रहे। ऐसे में नारी शक्ति को सामर्थ्यवान होने की जरूरत है।

10 विकास: उन्नत राष्ट्र, सूचना-प्रौद्योगिकी व खेल

देश आगे बढ़ रहा है। सही मायने में विकास तब होगा जब भारत में हर तरह की तकनीक का विकास हो। सूचना-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तरक्की करनी होगी। उन्नत राष्ट्र के लिए जो जरूरी है, वह सब देश के लोगों को करना होगा। अभी हम हर क्षेत्र में विदेशों की ओर ताकते हैं। ये सारी उपलब्धियां देश में ही मौजूद रहेंगी तभी सही मायने में देश का विकास होगा। चाहे अनाज हो, चाहे चिकित्सा हो, चाहे विज्ञान हो और चाहे कोई और क्षेत्र, हर किसी में देश के लोग आगे बढ़ेंगे तभी देश के लोग गर्व कर सकेंगे। इसके लिए हर व्यक्ति को अपने तुच्छ स्वार्थ छोड़ने होंगे। हमारे देश की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है, मगर खेल के विभिन्न क्षेत्रों में हम पिछड़े जा रहे हैं। ऐसे में देश की प्रतिभा को निखारना होगा। देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। लेकिन उन्हें मंच देने की जरूरत है। इसके लिए राजनीतिक और भाई-भतीजावाद की नीति को दूर कर प्रतिभाओं को तराशने का कार्य करना होगा।

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 आस्था: सकारात्मक सोच

आस्था जरूरी है। भगवान में भी और अपने धर्म के प्रति। धर्म से आशय मजहब से नहीं है। जो सत्य और ईमानदारी की राह पर चले वही धर्म है। व्यक्ति को अपनी सोच बदलनी होगी। जब अपने आप पर भरोसा होगा। आत्मविश्वास होगा तभी आस्था कायम रह सकेगी। जब आस्था डगमगा जाएगी तो विकास का ढांचा ही डगमगा जाएगा। इसलिए हमेशा ऊंची सोच रखनी होगी। हमें अपने आप पर जब यह भरोसा हो जाएगा कि हम जो कर रहे हैं वह उचित है। वह देश और अपने समाज के लिए उपयोगी है, तो फिर गलत कदम नहीं उठेंगें। हमारी समस्त ऊर्जा का सदुपयोग होना चाहिए। जब हम अपनी ताकत का गलत उपयोग करेंगे या निगेटिव प्रयोग करेंगे तो देश का सही मायने में विकास नहीं हो पाएगा। समाज को भी सुखी-समृद्ध और खुशहाल बनाने के लिए आस्था के बल पर निर्णय लेने होंगे।

12 सद्व्यवहार: हर क्षेत्र में आचार संहिता

जीवन में हमें सद्व्यवहार करना होगा। अपने आप के लिए आचार संहिता बनानी होगी। जो व्यवहार हम अपने लिए पसंद नहीं करते, उसे दूसरों के लिए भी उपयोग में नहीं लेना होगा। अगर हम अपने व्यवहार को बदल लेंगे तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। व्यवहार ही हमारे विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए हमें सद्व्यवहार की राह पर चलना होगा। अच्छा व्यवहार दुश्मन को भी मित्र बना देता है और बुरा व्यवहार दोस्त को भी दुश्मन बना देता है। हमें अपने पड़ाेसी देशों के साथ भी अच्छा व्यवहार रखना होगा। पड़ोसी दुश्मन नहीं होगा तो हमारा आंतरिक विकास भी अच्छा होगा। अगर देश की सीमाओं के पार पड़ोसी से अच्छे व्यवहार नहीं होंगे, तो देश हमेशा संशय में रहेगा और विकास कार्य नहीं हो पाएंगे। आचार्य चाणक्य ने भी कहा है व्यवहार के बल पर ही सत्ता बदल जाती है। मगध के राजा ने चाणक्य के साथ दुर्व्यवहार किया तो चाणक्य ने चंद्रगुप्त के साथ मिलकर सत्ता ही बदल दी। इसलिए अपने व्यवहार को हमेशा अच्छा रखना चाहिए।


13. अहिंसा : आतंकवाद पर नकैल

बुद्ध के देश में। महावीर के देश में। गांधी के देश में। हमें अहिंसा पर चलना होगा। अहिंसा परमोधर्म। ऐसे में देश के लोगों को आतंक से मुक्ति पाने के लिए सजग रहना होगा। जो तत्व चाहे वह राजनीतिक ही क्यों न हो, अगर माहौल बिगाड़ रहे हैं, या देश में दंगा भड़का रहे हैं, उनका बहिष्कार करना होगा। सारी दुनिया आज आतंकवाद से पीड़ित है। ऐसे में आतंकवाद से मुक्ति पाने के लिए दुनिया के साथ मिलकर संघर्ष करना होगा। हमारा देश वसुधैव कुटुंबकम की भावना रखता है। ऐसे में समस्त विश्व की मदद एवं शांति की कामना से हमें आतंकवाद से लड़ना होगा। आतंक चाहे कहीं से आ रहा हो, चाहे पड़ोस से ही आता हो, हमें कड़ा जवाब देना होगा। आतंकवाद से बचने के लिए हमारी सुरक्षा एजेंसियों और सुरक्षा तंत्र को और अधिक सजग और मजबूत होना होगा।

14. चरित्र : देश का चेहरा बदले

जब देश की बात होती है तो चरित्र पर चर्चा भी जरूरी है। मौजूदा दौर में भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि देश का चरित्र संदिग्ध हैं। हमें अपना चेहरा बदलना होगा। भ्रष्टाचार से लड़ना होगा। चारों तरफ अराजगता का माहौल है। आम आदमी को अपना काम करवाने के लिए रिश्वत देनी होती है। आप आदमी पार्टी ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सत्ता प्राप्त की। अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ रहे हैं। वे इसके लिए संघर्ष भी कर रहे हैं। लेकिन असली सफलता तभी मिलेगी, जब पूरा देश जागृत हो। लेकिन रास्ता बड़ा कठिन है। क्योंकि आम आदमी बेबस है। पैसे वाले लोग रिश्वत देकर काम करवा लेते हैं। रिश्वत देकर अपराधी पुलिस थानों से छूट जाते हैं। रिश्वत ने हमारे देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित की है। ऐसे में चेहरा बदलना ही होगा।

15. बुजुर्ग : वट वृक्ष की हमें जरूरत है

हमारे देश में बुजुर्गों के साथ न्याय नहीं हो रहा। नई पीढ़ी संयुक्त परिवार से कट रही है। बुजुर्गों का सम्मान नहीं किया जा रहा। ऐसे माहौल में वट वृक्ष के नीचे हम नहीं आने से सुरक्षित भी नहीं है। बुजुर्ग हमारे घर की रोशनी है। हमारे माथे पर जब तक उनका हाथ है, हम सुरक्षित और समृद्ध है। उनका आदर करना होगा। उनके बताए रास्ते पर चलना होगा। उनके अनुभवों का लाभ उठाना होगा। उन्हें बोझ नहीं समझना चाहिए। बुजुर्ग है तो सारे जहां की खुशियां है। बैल अगर बूढ़ा हो जाए तो उसे मरने के लिए तो नहीं छोड़ सकते। मगर यहां तो हमारे बुजुर्गों की बात हो रही है। उनके जीवन के अनुभव हमारी संपत्ति है। विरासत है। इस विरासत से जुड़ना ही होगा।

16. आत्मशक्ति : विराट की ओर सोच, विराट कदम


देश की बात हो रही है तो हमारे आत्मविश्वास को भी परखना होगा। आत्मविश्वास से ही हम जीवन के हर मोर्चे पर सफल हो सकते हैं। हमारी सोच को विराट बनानी होगी। आसमां की तरफ देखना होगा। लेकिन पैर जमीं पर ही रहने चाहिए। हमारी उन्नत आकांक्षाएं हमारी मंजिल की ओर ले जाएगी। देश के बच्चे से लेकर बड़े तक आत्मविश्वास से परिपूर्ण होंगे, तभी सही मायनों में खुशहाली आएगी। हमें हर क्षेत्र में विकास करना होगा। हम दुनिया के लिए सोच रहे हैं, मगर सबसे पहले अपने आपके बारे में सोचना होगा। अपने से ही शुरुआत करनी होगी। खुद अपना भला सोचेंगे ताे देश और दुनिया का अपने आप भला होगा। हम छोटी-छोटी बातों को समझें, भूलों से बचें और सबक लें तो आगे बढ़ते जाएंगे। हमारे पैर बिलकुल भी न डगमगाए, इसके लिए बचपन से तैयारी करनी होगी। नींव मजबूत होगी तो ईमारत भी मजबूत होगी। बस ऐसी ही बातों का ख्याल रखकर हम अपनी मंजिल प्राप्त कर सकते हैं।