Sunday, 17 May 2015

प्रकाश युग में अस्तित्व में आएगा अतिमानव: मोहता

-योगिक दृष्टि से भविष्य के सत्य से साक्षात्कार किया जा सकता है, ब्रह्मांड की किसी चेतना में विचरण कर रहा है अतिमानव

वर्ल्ड स्ट्रीट। जोधपुर 

वक्त करवट ले रहा है। सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग व कलियुग के बाद अब प्रकाश युग ब्रह्मांड की अगुवानी काे तैयार है। इसी युग में अस्तित्व में आएगा अतिमानव। अतिमानव के रूप में जब प्रकाशपुरुष अवतरित होगा तो पृथ्वी और ग्रह सर्पिल गति से भ्रमण करेंगे। योगिक दृष्टि से ऋषि महात्मा इसका अनुभव कर रहे हैं। इसे आज का भौतिक मानव माने या न माने, मगर इसके संकेत भविष्य के दृष्टि पटेल पर साफ दिखाई दे रहे हैं। वाकई भविष्य का सत्य अतिमानव ही है। ये विचार लेखक-विचारक रविदत्त मोहता ने रविवार को संडे संवाद कार्यक्रम के तहत चौहाबो में स्वाध्याय व साधना केंद्र में व्यक्त किए। वे "भविष्य का सत्य: अतिमानव' विषय पर व्याख्यान दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि प्राचीन युग में जिस तरह वेद आकाश से धरती पर मंत्र के रूप में उतरे थे उसी तरह अतिमानव ऐसा मंत्रपुरुष है जो आकाश से धरती पर धरती की रक्षा करने के लिए प्रकट होगा। परंपरा का इतिहास गवाह है कि जीवन का क्रमिक विकास भीड़ ने नहीं बल्कि किसी व्यक्ति की उपस्थिति ने किया है। इसलिए हमें अतिमानव की उपस्थिति स्वीकार करने की तैयारी करनी चाहिए। वह अंतरिक्ष के ऑरबिट के उस पार हमारी स्वीकृति की प्रतीक्षा कर रहा है।

महर्षि अरविंद की योगिक दृष्टि ऐसा ही संकेत दे चुकी

मोहता ने कहा कि महर्षि अरविंद की योगिक दृष्टि भी ऐसा ही संकेत दे चुकी है। वर्तमान युग विकास का युग है। विकास एक साथ स्थूल और आंतरिक देह में घटित होने वाली घटना है। विश्व के ज्यादातर आत्मपुरुष यह देख रहे हैं कि मनुष्य संस्कृति का अधोपतन अपनी पराकाष्ठा पर है। ऐसे में शुभ संकेत यह है कि अतिमानव प्रकाश युग की अगुवानी करने को आतुर है। अरविंद के साथ ही नीत्शे भी इस अतिमानव की कल्पना कर चुके हैं। इस अवसर पर साधक नरेंद्रसिंह भाटी ने कहा कि अतिमानव की कल्पना नई दृष्टि है। मगर इस सृष्टि के इतर ऐसी शक्ति मार्ग खोज रही है। वंदना व्यास ने आभार जताया।