-होमगार्ड का हो रहा है शोषण, पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर करते हैं काम, फिर भी नौकरी स्थाई नहीं, प्रतिदिन मिलते हैं मात्र 300 रुपए
-डी.के. पुरोहित-
शहर में 2 हजार से अधिक होमगार्ड हैं। इनमें से प्रत्येक होमगार्ड को मात्र छह महीने काम मिलता है। पुलिस का कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले इन होमगार्ड के जवानों की नौकरी स्थाई नहीं है। एक बार किसी होमगार्ड को छह माह नौकरी का अवसर मिलता है तो फिर दुबारा उस साल काम नहीं मिलता। साल में छह महीने काम मिलता है तो वे शेष दिनों में शादी-ब्याह के अवसर पर बैंड बजाते हैं। कुछ खेती कर लेते हैं तो कुछ निजी सिक्यूरिटी गार्ड बने हुए हैं। इन होमगार्ड को प्रतिदिन मात्र 300 रुपए मेहनताना मिलता है, जिससे उनका गुजारा नहीं हो रहा है। होमगार्ड का कहना है कि उनका शोषण किया जा रहा है।
साहब के बंगलों में बागवान व कुक का करते हैं काम
होमगार्ड को कहने को मेलों, पर्वों, रात्रिगश्त और पेट्रोलिंग में लगाने का प्रावधान है, मगर कई होमगार्ड साहब लोगों के बंगलों पर कुक व बागवान का काम कर रहे हैं। साहब के बच्चों को स्कूल छोड़ने, लाने और बाजार के कामों में लगाया जा रहा है। एक होमगार्ड ने बताया कि साहब की हाजिरी नहीं बजाएं तो कहां जाएं? बच्चों को पालना है तो काम तो करना ही होगा।
न वर्दी के पैसे, न पेट्रोल अलाउंस
होमगार्ड का कहना है कि उन्हें न तो वर्दी के पैसे मिलते हैं और न ही पेट्रोल अलाउंस मिल रहा। अगर कहीं दूर क्षेत्र में ड्यूटी देने जाना है तो खुद की साइकिल या बाइक का इस्तेमाल करना पड़ता है, इसके लिए अलग से राशि नहीं मिलती।
दो साल में वेतनवृद्धि मात्र 25 रुपए
होमगार्ड आसूसिंह गोगादेव ने बताया कि उनका शोषण हो रहा है। वसुंधरा सरकार ने पिछले साल तो वेतनवृद्धि का लाभ नहीं दिया और इस बार मात्र 25 रुपए बढ़ाए हैं। इसको मिलाकर 325 रुपए पर डे मिलते हैं। इससे घर ही नहीं चलता है, फिर बच्चों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने में मुश्किल हो रही है।
काम पुलिस की तरह, सुविधाएं मजदूर बराबर भी नहीं
होमगार्ड आसूसिंह ने बताया कि कई मामलों में होमगार्ड की ड्यूटी पुलिस के बराबर करनी पड़ती है, मगर सुविधाएं मजदूर के बराबर भी नहीं मिल रही है। एक कमठा मजदूर भी 500 रुपए पर-डे कमा लेता है, उनकी सरकार अनदेखी कर रही है। नरेंद्र मोदी को बड़ी उम्मीद से वोट दिया था, मगर भाजपा सरकार ने निराश ही किया है। इससे तो अशोक गहलोत की सरकार अच्छी थी, जिसने 80 रुपए वेतनवृद्धि की थी।
पुलिस की मदद की, घायल हुए, नतीजा शून्य
कुछ समय पहले एक लुटेरा पाली में बैंक लूटकर जोधपुर भाग आया था। इस मामले में होमगार्ड दीपसिंह ने जानपर खेलकर उसे पकड़ा था। इस दौरान लुटेरे ने उस पर चाकू से हमला कर दिया था, लेकिन बहादुर होमगार्ड ने प्रतापनगर क्षेत्र में उसे पकड़ पुलिस के हवाले कर दिया। जान का जोखिम लेकर ड्यूटी करने पर भी उसकी उपेक्षा ही की गई। ऐसे में होमगार्ड जान जोखिम लेने से कतराते हैं।
सरकार हमारे बारे में भी सोचें:-आसूसिंह
होमगार्ड आसूसिंह इस नौकरी से संतुष्ट नहीं हैं। उनके सामने दूसरा विकल्प भी नहीं है। उनका कहना है कि सरकार यदि उन्हें स्थाई करती है और सम्मानजनक वेतन दिलाएं तो वे अपने परिवार की जिम्मेदारी अच्छी तरह निभा सकते हैं और बच्चों को उच्च शिक्षा भी दिला सकते हैं। मौजूदा नौकरी में घरखर्च चलाना ही मुश्किल हो रहा है तो बच्चों की शिक्षा पर ध्यान कैसे दें?