-देश में नई बहस शुरू, क्या परंपरावादी राजनीति का अंत होने वाला है, धनबल, जातिवाद, आरक्षण और वर्ग विशेष के फतवे से बढ़कर है कोई व्यक्ति, जवाब है-केवल बस केवल केजरीवाल.....
-डी.के. पुरोहित-
जयप्रकाश नारायण और लोहिया के आंदोलन की लोकप्रियता से बढ़कर केजरीवाल भगवान का नया स्वरूप बनकर उभरे हैं। बस एक-डेढ़ साल में उन्होंने बता दिया कि जनता को बहकाया नहीं जा सकता। उसे न तो रुपयों का लालच दिया जा सकता, न ही झूठे आश्वासन। केजरीवाल को कौन जानता था। साधारण आदमी। मगर उन्होंने क्रांति का जो पथ चुना वह आसान नहीं था। अतिहिंदूवादी ताकतें, देश को चलाने वाले पूंजीपति, भ्रष्ट नौकरशाही, राजनीति में व्याप्त गुंडातत्व से बचना और सबसे बड़ी चुनौत्ती जनता का विश्वास जीतना। दिल्ली विधानसभा के चुनाव सामने हैं। परिणाम आ चुके हैं-67 आम आदमी पार्टी और 3 भाजपा की सीटें। कांग्रेस शून्य।
यह लहर नहीं सुनामी है। लहर से बढ़कर। केजरीवाल कहते हैं वे बहुत ही छोटे आदमी है। हमें अहंकार नहीं करना चाहिए। जनता ने सेवा का मौका दिया है, अब दायित्व उनका है। केजरीवाल कहते हैं कि जनता ने इतना बड़ा जनादेश दिया है कि डर लगने लगा है। पिछले दिल्ली चुनाव में जो कमी रह गई थी, उसे इस बार जनता ने पूरी कर दी। आप की हथेली पर दिल्ली रख दी है। सभी चैनल केजरीवाल का गुणगान कर रहे हैं। बंगाल में तृणमूल कांग्रेस पार्टी जश्न बना रही हैं। लालू यादव मोदी को अहंकारी बताते हुए आप की सराहना कर रहे हैं। टीवी पर पत्रकार गोष्ठियों में व्यस्त है। सब कह रहे हैं आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में केजरीवाल की जीत का व्यापक असर पड़ेगा।
भाजपा ने चुनाव से पहले ही सोच लिया था कि इस बार आर-पार की लड़ाई है। मगर यह नहीं सोचा था कि ऐसी गत होगी। जब बीजेपी ने पूर्व आईपीएस किरण बेदी को मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया तो मोदी के दिमाग का पूरे देश ने लोहा माना। सभी राजनीतिज्ञ कह रहे थे कि मोदी के दिमाग का जवाब नहीं। बड़ा तुरुप का पत्ता खेला है। मगर सारे समीकरण ध्वस्त। सभी भविष्वाणियां फेल। बस हर तरफ केजरीवाल।
यह देश की जनता है। दिल्ली की जनता ने जनादेश दिया है, वह पूरे देश में संदेश दे रहा है। यह कि जनता को मूर्ख नहीं बनाया जा सकता। जनता जब जागती है तो अच्छे-अच्छों की नींद खराब कर देते हैं। सुबह से ही लोग टीवी पर नजरें गड़ाए थे। जैसे-जैसे परिणाम आते गए, लोगों की खुशी की कोई सीमा नहीं रही। आम आदमी पार्टी का कंसेप्ट केजरीवाल क्या लाए, जैसे जनता की मुराद पूरी हो गई। केजरीवाल वाकई भगवान के अवतार हैं। उन्होंने शुरुआत दिल्ली से की है, मगर आने वाले समय में उन्हें पूरा देश सिर आंखों पर बिठाएगा।
आइए कुछ बात मोदी की करें। विदेश यात्राएं करना। अपने वाकचातुर्य व भाषण कला से देश की जनता को सपने दिखाना और बार-बार चाय वाला कहकर मूर्ख बनाना। फर्क यही है केजरीवाल मन के साफ हैं। देश को और देश की जनता की सेवा करने आए हैं, मगर मोदी तो पूंजीपतियों के नेता है। जनता के लिए अभी तक कुछ नहीं किया। मोदी चालाक और धूर्त नेता है, मगर केजरीवाल आम आदमी का विश्वास जीतने वाले ईश्वर का अवतार है।
अभी तो दिल्ली के चुनाव नतीजे सामने आए है। केजरीवाल के पास संसाधन कम है। प्रचार-प्रसार के लिए न पैसे हैं और न ही उतने बड़े कार्यकर्ता। मगर यह बात साफ है, आने वाला समय आम आदमी पार्टी का है। आम आदमी का है। कार्यकर्ता जब टोपी पहने घूमते हैं तो लगता है जैसे बच्चा-बच्चा, आम आदमी खुद सत्ता चला रहा है।
हमें यह मान लेना चाहिए कि जो जादू जेपी के आंदोलन में नहीं था, उससे कहीं ज्यादा जादू केजरीवाल के आंदोलन में है। जयप्रकाश नारायण के समय परिस्थितियां उनके अनुरूप थी। लेकिन हाल ही के चुनाव में मोदी अजातशत्रु बनकर उभरे थे। सभी कह रहे थे, मोदी को मात देना आसान नहीं। अब दूसरे दलों को नया चेहरा मिल गया है जो मोदी को मात दे सकता है। दैनिक भास्कर में एक लेख में लेखक ने लिखा कि यह भारत सरकार बनाम केजरीवाल मुकाबला है। खबर यह भी आई कि आरएसएस को भी पता चल गया था कि केजरीवाल आगे हैं। चैनल भी रोचक मुकाबला बता रहे थे। लेकिन दस फरवरी को इतिहास बन गया।
केजरीवाल को बहुमत ही नहीं पूरी दिल्ली सौंप दी गई। यह इतना आसान भी नहीं था। टीवी पर जब केजरीवाल ने अपनी पत्नी से मिलाते हुए कहा कि ये उनकी पत्नी है। सरकारी कर्मचारी है। उनके साथ आने से डर रही थी, कहीं कार्रवाई न हो जाए, मगर पत्नी की प्रेरणा से वे लड़ाई में सफल रहे। उन्होंने अपने बूढ़े पिता से भी मुलाकात करवाई। वाकई वे पल भावनाओं से परिपूर्ण थे।
देश में करीब एक साल से मोदी सरकार है। मोदी ने देश की जनता के लिए कुछ नहीं किया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमते कम हुई, मगर फिर भी पूरा लाभ जनता को नहीं मिला। गैस महंगी। डीजल महंगा। सब्जी, राशन और आम वस्तुएं महंगी। दिल्ली में जनता ने जो जनादेश दिया इसकी कल्पना भाजपा तो क्या खुद आप को भी नहीं थी। मगर जब टीवी पर भाजपा सांसद कीर्ति आजाद का प्रलाप सुना तो साफ हो गया कि अमित शाह की तानाशाही सामने आ गई।
केजरीवाल अब एक ऐसे नायक के रूप में उभरे हैं जिन्हें दिल्ली की जनता के साथ पूरे देश की जनता का प्यार मिलेगा। अगर पांच साल सफलता से केजरीवाल ने निकाल लिए तो अगली बार परिस्थितियां अलग होंगी। केजरीवाल दिल्ली का चेहरा है। केजरीवाल आने वाले समय में देश का चेहरा बनेंगे। उन्होंने क्रांति की जो बिगुल बजाई है वह आने वाले समय में सुनामी बनकर देश में केजरीवाल को सत्ता सौंपेगी। केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी है। यानी आम आदमी की पार्टी। आम आदमी अब समझ गए हैं, कि उन्हें रक्षक मिल गया है।
अब जबकि किरण बेदी चुनाव हार गई। पार्टी ध्वस्त हो गई-दिल्ली में। दिल्ली देश की राजधानी है। यहां से जो लहर शुरू होती है, वह देश भर में फैलने में देर नहीं लगती। अब केजरीवाल के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है। उन्हें धैर्य से काम लेना होगा। केजरीवाल को पुरानी गलतियां नहीं दोहरानी होगी। संयम से, स्नेह से, सफलता से शासन चलाना होगा। जरुरत है पूंजीवादी ताकतों को दबाने की। मजदूरों को उनका हक दिलाने की। आम आदमी की जो सुनेगा वही देश पर राज करेगा। यह जनादेश चमत्कार नहीं है। सहज है। खासकर मोदी के खिलाफ केजरीवाल को समर्थन है। मोदी ने अपना आभामंडल तो खूब बनाया, लेकिन अब केजरीवाल हमारे नए लीडर है। मोदी से हमें बहुत उम्मीदें थी, मगर इस एक साल में उन्होंने कुछ भी नहीं किया। जहां-जहां भाजपा की सरकारें बनी निराश कर दिया।
राजस्थान में वसुंधरा ने नौटंकियों के अलावा कुछ नहीं किया। देश में मोदी और राजस्थान में वसुंधरा नौटंकी कर रही है। फिर सवाल उठता है कि निकाय चुनाव, पंचायतराज चुनाव में भाजपा को सफलता क्यों मिली? इसका सीधा जवाब है जनता के पास और कोई रास्ता नहीं। केजरीवाल को अभी सत्ता में आए कुछ दिन ही हुए हैं। संसाधनों का, धन का अभाव है। सरकारी मशीनरी भाजपा के पास है। नौकरशाही और पूंछहिलाऊ प्रशासन भाजपा की आरती उतार रहा है। शाम-दाम-दंड-भेद की नीति कर भाजपा सफल हो रही है। यह सही मायनों में जनादेश नहीं है। यह डंडाराज है।
भलेही जनता को कुछ समय के लिए धोखा दे दिया जाए, मगर लंबे समय तक उसे भ्रमित नहीं किया जा सकता। अब जमाना बदल गया है। दिल्ली के समीकरण आने वाले चुनावों में देश की नई दिशा तय करेंगे। केजरीवाल आने वाले समय में बच्चे-बच्चे की जबान पर होगा। उस दौर में जब मोदी की लहर पूरे देश में थी, तब भी केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुकाबले में आ गई। अब देश की जनता में मोदी का नकाब खुल चुका है।
अब हमें आश्वासन नहीं चाहिए। अच्छे दिन भी नहीं चाहिए। काला धन वापस लाने की भी जरुरत नहीं है। हमें चाहिए हमारे जीने का अधिकार। सर्वे भवंतु सुखीन, यानी हमें हमारे आत्मसम्मान की रक्षा चाहिए। केवल देशभक्ति की बातें और नौटंकी से देश का भला नहीं हो सकता। मोदी को अब समझ लेना चाहिए कि अभी भी जनता की सुध नहीं ली तो परिणाम ऐसे सामने आएंगे कि फिर वे अपना चेहरा दिखाने लायक भी नहीं रहेंगे। मोदी ने देश का भरोसा तोड़ा है। यह संवाददाता जब लोकसभा चुनाव के दौरान किसी ढाबे पर खाना खाने गया तो ढाबे वाला बोला साहब हम तो मोदीजी को लाएंगे। लेकिन वह ढाबे वाला और चाय वाला कहता है-मोदी ने धोखा दिया।.....और जाते-जाते यह भी कि अगर केजरीवाल को अपना अस्तित्व बचाना है और देश का भला करना है तो सोते-उठते-जागते-चलते और 24 घंटे देश के बारे में सोचना होगा। इस देश में देश के बारे में सोचने वाले मुट्ठी भर लोग हैं। लेकिन इन मुट्ठी भर लोगों में केजरीवाल भी एक है। मोदी तो धूर्त निकले, लेकिन अब केजरीवाल से ही उम्मीदे हैं।