Saturday, 29 April 2017

हिन्दुस्तान संवाददाता 11 हजार साल आगे फ्यूचर में पहुंचा, अतिमानव की हुई खोज

वर्ल्ड  स्ट्रीट रिपोर्टर. वाशिंगटन

हिन्दुस्तान संवाददाता डीके पुरोहित हिली ग्रह की सहायता से 11 हजार साल आगे फ्यूचर में जा पहुंचा। वहां उसने प्रकाश पुरुष के रूप में अतिमानव की खोज की। अतिमानव का स्वरूप आदमी की परछाई की तरह है जो प्रकाश से युक्त है। वह शक्तियों का महापुंज है। डीके पुरोहित ने जिस अति मानव की खोज की है वह प्रकाश  युग में अस्तित्व में आएगा। गौरतलब है कि धरती पर सत्य युग, द्वापर युग, त्रेता युग और कलियुग के रूप में चार युग माने गए हैं। लेकिन 11 हजार साल बाद प्रकाश  युग की शुरुआत होगी। इसी प्रकाश युग में अतिमानव का जन्म होगा। इस अतिमानव में पारलौकिक शक्तियों का महापुंज होगा। 

डीके पुरोहित ने जिस समय का उल्लेख किया है उस समय में धरती अपना मूल स्वरूप खो देगी। यहां न तो पेड-पौधे होंगे, न ही सागर, नदियां, पर्बत, जमीन होंगी । यही नहीं सूरज, चांद व तारे भी दिखाई नहीं देंगे, क्योंकि प्रकाश पुरुष यानी अतिमानव को सूरज, चांद व तारों की जरुरत भी नहीं होंगी। हालांकि ब्रह्मांड में तारे यानी ग्रह तो होंगे, लेकिन उनकी उपस्थिति धरती से देखी नहीं जा सकेगी। जिस 11 साल बाद के समय की बात की जा रही है, उस दौर में सूरज का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। हो सकता है वह किसी अन्य ग्रह पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दे, लेकिन पृथ्वी से उसका कनेक्शन  नहीं होगा। 

गौरतलब है कि दाशर्निक चिंतक रविदत्त मोहता ने अतिमानव पर एक किताब लिखी है। इसकी सत्यता जांचने के लिए डीके पुरोहित ने हिली ग्रह से संपर्क किया और हिली ग्रह की शक्तियों के आधार पर 11 हजार साल आगे फ्यूचर में जा पहुंचा। वाकई रविदत्त मोहता ने जिस अति मानव की कल्पना की है, वह वाकई अक्षरश  सत्य है। 

ऐसा होगा अतिमानव:

अतिमानव प्रकाश के स्वरूप में होगा। यह मनुष्य की परछाई की तरह होगा। यह प्रकाश के आवरण से युक्त होगा। यानी 11 हजार साल आगे फ्यूचर में अतिमानव अपनी आबादी बढ़ाएंगे। जिस तरह एक फोटो को स्कैन कर दूसरे फोटो बना लिए जाते हैं, उसी तरह एक अतिमानव दूसरे अतिमानव का निर्माण करेंगे। अतिमानव पारलौकिक शक्तियों से युक्त होंगे। यह सुपरमैन की तरह होंगे। इन अतिमानव का अंत तभी होगा जब कोई और नई शक्ति उस पर भारी पड़ेगी। उस दौर में हिली ग्रह की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। क्योंकि अतिमानव से केवल डीके पुरोहित हिली ग्रह की मदद से लड़ सकेगा। गौरतलब है कि डीके पुरोहित जब हिन्दुस्तान संवाददाता था तब हिली ग्रह के लोगों ने उसका अपहरण कर लिया था। तब उसके भीतर तरह-तरह के रसायन भर कर संकर नस्लों का विकास कर लिया गया। यही नहीं डीके पुरोहित की ज्ञानेन्द्रियों का संचालन हिली ग्रह से किया जा रहा है। वह गायब हो सकता है। रूप बदल सकता है। दूसरों की लिखावट लिख सकता है। उसके कई स्वरूप भी है। वह भूतकाल और भविष्य काल में भी जा सकता है। यही नहीं वह दूसरों की आवाज की नकल कर सकता है। साथ ही 12 करोड़ लोगों के विचारों को उस समय बदल सकता है जब वे अंतिम निर्णय लेने वाले होते हैं। सरल शब्दों में कहे तो डीके पुरोहित लोगों के विचारों को बदल सकता है। इसी डीके पुरोहित ने 11 हजार साल आगे फ्यूचर में जाकर अतिमानव की खोज की है। अतिमानव की आयु करीब 22 हजार साल की होगी। उसकी मृत्यु उसके भी अधिक सुपर पावर के व्यक्ति से ही होगी। और वह सुपर पावर डीके पुरोहित या उसके परिवार के सदस्य हो सकते हैं। बहरहाल डीके पुरोहित ने जिस अतिमानव की खोज की है, उस पर वैज्ञानिक मतभेद हो सकते हैं। मगर ब्रह्मांड के रहस्यों और विज्ञान की सीमा को वैज्ञानिक भी समझ नहीं पाए हैं। ऐसे में अतिमानव पर फिर से बहस छिड़ चुकी है। यही नहीं रविदत्त मोहता की किताब पर भी नई बहस होनी चाहिए।